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Misc. Erotica पारस्परिक हस्त मैथुन
#31
उसकी इस हरकत से मैं स्तब्ध हो गई और जल्दी में एक कदम पीछे की ओर लिया ही था कि मेरे पैरों में फंसी पैंटी के कारण मैंने अपना संतुलन खो बैठी।

इससे पहले कि मैं लड़खड़ा कर नीचे गिरती, मुझे सिद्धार्थ के मज़बूत हाथों ने थाम लिया और मैं उसकी बाहों में झूल गई।
मैंने जब अपने को सम्भाला तो पाया कि उस अकस्मात् की पकड़ा धकड़ी में मेरा टॉप ऊँचा हो गया था और मेरे दोनों स्तन बाहर निकल कर बाथरूम की तेज़ रोशनी में चमक रहे थे।[Image: 85494264_003_dbc1.jpg]
सिद्धार्थ मेरे सफ़ेद स्तनों और उन पर उभरे काले रंग के चुचूकों को नग्न देख कर मन्त्र-मुग्ध हो कर देखता रहा और बोल पड़ा- दीदी, आपके स्तन तो वास्तव में आराध्य हैं। मंजू के स्तन भी इतने सुंदर नहीं है जितने आपके हैं। लगता है कि इन्हें किसी बड़े मेधावी एवम् प्रतिभाशाली मूर्तिकार ने बड़े ही प्यार से तराशा है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पारस्परिक हस्त मैथुन - by neerathemall - 15-06-2022, 04:37 PM



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