15-06-2022, 04:08 PM
(This post was last modified: 15-06-2022, 04:19 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
हड़बड़ाहट में जब मैंने अपनी पैंटी की ओर देखा तो मैंने पाया कि मेरा एक हाथ मेरी योनि के ऊपर था और उसकी बड़ी ऊँगली पैंटी के एक ओर से उसमें घुसी हुई थी।
मैंने झट से ऊँगली को बाहर निकाल कर जब अपने हाथों से अपनी पैंटी को छुपाने की कोशिश करी तब मुझे उसका गीलापन महसूस हुआ।
मैं समझ गई कि सिद्धार्थ को लिंग हिलाते देख कर मेरी उत्तेजना भी जागृत हो गई होगी और अनजाने में मैंने अपनी ऊँगली योनि में डाल दी होगी जिससे उसमें से पानी रिसना शुरू हो गया होगा।
मैं तुरंत शेल्फ से उतर कर खड़ी हो गई और दरवाज़े की ओर जाने ही लगी थी कि तभी सिद्धार्थ उठ कर मेरे पास आया और मेरी बाजू पकड़ कर मुझे रोका और कहा– दीदी, मैंने तो मंजू से मेरी मदद के लिए कहा था लेकिन वह खुद नहीं आई बल्कि उसने आपको यहाँ आने की तकलीफ दे दी। दीदी, क्या मेरे इस कार्य में आप मेरी सहायता करेंगी?
मैंने झट से ऊँगली को बाहर निकाल कर जब अपने हाथों से अपनी पैंटी को छुपाने की कोशिश करी तब मुझे उसका गीलापन महसूस हुआ।
मैं समझ गई कि सिद्धार्थ को लिंग हिलाते देख कर मेरी उत्तेजना भी जागृत हो गई होगी और अनजाने में मैंने अपनी ऊँगली योनि में डाल दी होगी जिससे उसमें से पानी रिसना शुरू हो गया होगा।
मैं तुरंत शेल्फ से उतर कर खड़ी हो गई और दरवाज़े की ओर जाने ही लगी थी कि तभी सिद्धार्थ उठ कर मेरे पास आया और मेरी बाजू पकड़ कर मुझे रोका और कहा– दीदी, मैंने तो मंजू से मेरी मदद के लिए कहा था लेकिन वह खुद नहीं आई बल्कि उसने आपको यहाँ आने की तकलीफ दे दी। दीदी, क्या मेरे इस कार्य में आप मेरी सहायता करेंगी?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.