15-06-2022, 03:54 PM
योंकि रात के उस समय मुझे घर के किसी भी सदस्य के दिखने या मिलने की सम्भावना नहीं थी इसलिए मैं सिर्फ एक बिना बाजू का टॉप और एक झीनी सी पैंटी पहने हुए बाथरूम में घुस गई थी।
सिद्धार्थ को अकस्मात् ही उस हालत में देख कर मैंने अपने को एक संकोचशील स्थिति में पाया और शर्म के मारे मेरा चेहरा और कान भी लाल हो गए।
सिद्धार्थ को अकस्मात् ही उस हालत में देख कर मैंने अपने को एक संकोचशील स्थिति में पाया और शर्म के मारे मेरा चेहरा और कान भी लाल हो गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.