15-06-2022, 03:50 PM
उसकी शादी के दो सप्ताह के बाद जब वह और सिद्धार्थ पहली बार फेरा डालने के लिए घर पर आये तब माँ ने चार दिन के लिए मेरा कमरा उन्हें दे दिया और मुझे उन दिनों स्टोर में रहना पड़ा था।
तीन दिन तो मंजू और सिद्धार्थ मेरे कमरे में ही सोते रहे लेकिन चौथी रात को अगले दिन आने वाले बिछोह से दुखी मंजू माँ से बातें करते करते उनके पास ही सो गई।
सिद्धार्थ देर रात तक मंजू के आने की प्रतीक्षा करता रहा किन्तु जब वह नहीं आई तब उसे कमरे में अकेले ही सोना पड़ा।
उस रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे सोने से पहले मैं लघु शंका के लिए बाथरूम के भिड़े हुए द्वार को धकेलती हुई अन्दर घुसी और जो देखा उससे स्तब्ध हो गई।
बाथरूम की लाइट जल रही थी और सिद्धार्थ पूर्ण नग्न रूप में अपने सिर को थोड़ा ऊपर किये तथा आँखें बंद किये पॉट के सामने खड़ा हुआ था, उसने अपना बायां हाथ पॉट की टंकी पर रखा हुआ था और वह दायें हाथ से बड़े ही प्यार से अपने सात इंच लम्बे एवम् ढाई इंच मोटे लिंग को हिला रहा था।
तीन दिन तो मंजू और सिद्धार्थ मेरे कमरे में ही सोते रहे लेकिन चौथी रात को अगले दिन आने वाले बिछोह से दुखी मंजू माँ से बातें करते करते उनके पास ही सो गई।
सिद्धार्थ देर रात तक मंजू के आने की प्रतीक्षा करता रहा किन्तु जब वह नहीं आई तब उसे कमरे में अकेले ही सोना पड़ा।
उस रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे सोने से पहले मैं लघु शंका के लिए बाथरूम के भिड़े हुए द्वार को धकेलती हुई अन्दर घुसी और जो देखा उससे स्तब्ध हो गई।
बाथरूम की लाइट जल रही थी और सिद्धार्थ पूर्ण नग्न रूप में अपने सिर को थोड़ा ऊपर किये तथा आँखें बंद किये पॉट के सामने खड़ा हुआ था, उसने अपना बायां हाथ पॉट की टंकी पर रखा हुआ था और वह दायें हाथ से बड़े ही प्यार से अपने सात इंच लम्बे एवम् ढाई इंच मोटे लिंग को हिला रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.