15-06-2022, 03:20 PM
मैंने उससे पूछा- बहुत थक गई थी क्या?
तो उसने सिर हिला कर हाँ कर दी और उठ कर रसोई में जाकर चाय बना लाई और हमने साथ ही बैठ कर चाय पी। फिर उसने कपड़े पहने और रसोई में जाकर रात के लिए खाना बनाया। रात को सात बजे से पहले ही मालती मेरे पास आकर बोली- साहब, मैं अब जाऊँगी, खाना बना दिया है, आप खा लीजिएगा !
तब मैंने उसे पांच सौ रुपये दिए तो वह कहने लगी- साहब, मैंने चूत पैसों के लिए नहीं मरवाई !
तो उसने सिर हिला कर हाँ कर दी और उठ कर रसोई में जाकर चाय बना लाई और हमने साथ ही बैठ कर चाय पी। फिर उसने कपड़े पहने और रसोई में जाकर रात के लिए खाना बनाया। रात को सात बजे से पहले ही मालती मेरे पास आकर बोली- साहब, मैं अब जाऊँगी, खाना बना दिया है, आप खा लीजिएगा !
तब मैंने उसे पांच सौ रुपये दिए तो वह कहने लगी- साहब, मैंने चूत पैसों के लिए नहीं मरवाई !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
