15-06-2022, 03:14 PM
दस मिनट तक इसी तरह चुदने के बाद मालती ने आह्ह… आह्हह्ह… की आवाज़ निकालते हुए अपना पानी छोड़ा और चूत में से पच्च… पच्च… की आवाज़ आने लगी। इस पच्च… पच्च… की आवाज़ सुन कर मैं उत्तेजित हो गया और मैंने चुदाई की गति तेज कर दी। मालती भी शायद यही चाहती थी क्योंकि उसने भी चूतड़ उठाने की रफ्तार मेरे धक्कों के बराबर तेज कर दी। जब अगले पन्द्रह मिनट तक मैं मालती को तेज़ी से चोदता रहा तब उसने कहा- साहब, और तेज़ी से मारो, मैं अब छूटने वाली हूँ !
मैंने अच्छा कह कर चुदाई की गति को बहुत ही तेज कर दिया।
पांच मिनट की बहुत तेज चुदाई के बाद मालती का बदन एकदम ऐंठ गया और उसकी चूत बिल्कुल सिकुड़ गई थी, वह लौड़े को जकड़ कर अंदर की ओर खींचने लगी और लौड़े को ज़बरदस्त रगड़ मारने लगी थी ! उसकी इस रगड़ ने मेरे लौड़े को उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचा दिया तथा मेरे सुपारा फूल गया और तब मैं और मालती ने एक साथ ही अपना अपना रस छोड़ दिया !
रस छूटते ही हम दोनों निढाल हो कर बिस्तर पर पड़ गए और अगले बीस मिनट तक वैसे ही पड़े पड़े सुस्ताते रहे। फिर मालती ने मेरे होंटों पर अपने होंट रख कर मुझे चूमा और मुझे हल्का सा धक्का देकर अपने से अलग किया तथा मेरे लौड़े को अपनी चूत से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल कर चूसा और चाट कर साफ़ किया।
मैंने अच्छा कह कर चुदाई की गति को बहुत ही तेज कर दिया।
पांच मिनट की बहुत तेज चुदाई के बाद मालती का बदन एकदम ऐंठ गया और उसकी चूत बिल्कुल सिकुड़ गई थी, वह लौड़े को जकड़ कर अंदर की ओर खींचने लगी और लौड़े को ज़बरदस्त रगड़ मारने लगी थी ! उसकी इस रगड़ ने मेरे लौड़े को उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचा दिया तथा मेरे सुपारा फूल गया और तब मैं और मालती ने एक साथ ही अपना अपना रस छोड़ दिया !
रस छूटते ही हम दोनों निढाल हो कर बिस्तर पर पड़ गए और अगले बीस मिनट तक वैसे ही पड़े पड़े सुस्ताते रहे। फिर मालती ने मेरे होंटों पर अपने होंट रख कर मुझे चूमा और मुझे हल्का सा धक्का देकर अपने से अलग किया तथा मेरे लौड़े को अपनी चूत से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल कर चूसा और चाट कर साफ़ किया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.