15-06-2022, 03:13 PM
मालती बोली- मुझे इस दर्द का अंदेशा था इसीलिए इसको सहन भी तो कर लिया है!
मैं बोला- निकाल लूँ क्या?
मालती बोली- नहीं बिलकुल नहीं ! मैं तैयार हूँ, आप धक्के मारो और लौड़े को पूरा अंदर बाड़ दो।
मैंने उसके कहे अनुसार एक जोर का धक्का लगाया और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत के अंदर कर दिया। लौड़े के अंदर घुसते ही वह चिल्ला उठी उईई… उईईइ… हाईईईई… हाईईई… मरगईईई माँअआ अआ… हाय मार डाला रेएएए…!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
मालती बोली- होना क्या है, मुझे मार डाला आपने ! मेरी चूत ने आज तक सिर्फ पांच इंच लम्बा लौड़ा ही लिया था लेकिन आपके आठ इंच लंबे लौड़े ने एक झटके में ही अंदर घुस कर मेरी बच्चेदानी तक चोट मारी है !
मैंने कहा- तुमने ही तो कहा था कि धक्का मारो और इस पूरा अंदर डाल दो !
मालती बोली- लेकिन मैंने यह नहीं कहा था कि एक ही झटके में हलाल करो ! दो तीन धक्कों में घुसेड़ते तो इतनी तकलीफ नहीं होती !
मैंने कहा- अब बाहर निकाल लूँ?
मालती बोली- नहीं, जो होना था सो हो गया, अब तो मजे लेने की बारी है ! आप अब आराम से जी भर के धक्के मारो !
इतना सुनते ही मैंने मालती की चुदाई शुरू कर दी और आराम से लौड़े को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा ! मालती को भी अब मजे आने लगे थे, वह चूतड़ उठा उठा कर हर धक्के में मेरा साथ दे रही थी और उसकी चूत बहुत ही कसी हो गई, जिससे दोनों के लिंगों को खूब रगड़ लग रही थी।
मैं बोला- निकाल लूँ क्या?
मालती बोली- नहीं बिलकुल नहीं ! मैं तैयार हूँ, आप धक्के मारो और लौड़े को पूरा अंदर बाड़ दो।
मैंने उसके कहे अनुसार एक जोर का धक्का लगाया और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत के अंदर कर दिया। लौड़े के अंदर घुसते ही वह चिल्ला उठी उईई… उईईइ… हाईईईई… हाईईई… मरगईईई माँअआ अआ… हाय मार डाला रेएएए…!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
मालती बोली- होना क्या है, मुझे मार डाला आपने ! मेरी चूत ने आज तक सिर्फ पांच इंच लम्बा लौड़ा ही लिया था लेकिन आपके आठ इंच लंबे लौड़े ने एक झटके में ही अंदर घुस कर मेरी बच्चेदानी तक चोट मारी है !
मैंने कहा- तुमने ही तो कहा था कि धक्का मारो और इस पूरा अंदर डाल दो !
मालती बोली- लेकिन मैंने यह नहीं कहा था कि एक ही झटके में हलाल करो ! दो तीन धक्कों में घुसेड़ते तो इतनी तकलीफ नहीं होती !
मैंने कहा- अब बाहर निकाल लूँ?
मालती बोली- नहीं, जो होना था सो हो गया, अब तो मजे लेने की बारी है ! आप अब आराम से जी भर के धक्के मारो !
इतना सुनते ही मैंने मालती की चुदाई शुरू कर दी और आराम से लौड़े को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा ! मालती को भी अब मजे आने लगे थे, वह चूतड़ उठा उठा कर हर धक्के में मेरा साथ दे रही थी और उसकी चूत बहुत ही कसी हो गई, जिससे दोनों के लिंगों को खूब रगड़ लग रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.