15-06-2022, 03:12 PM
दो मिनट में ही मैं महसूस किया कि वह बहुत अच्छा तरह चूसती है क्योंकि वह कभी तो मेरे सुपाड़े को चूसती और कभी पूरे लौड़े को गले तक लेजा कर आगे पीछे करती जिससे दोनों चुसाई तथा रगड़ाई के मजे एक साथ मिलने लगे।
मैं खड़ा हो उससे लौड़ा चुसवाता रहा और जैसे ही वह मेरे लौड़े को अपने गले में उतारती मैं आगे पीछे हिल कर उसके मुँह को चोद लेता। करीब पांच मिनट के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर अपना लौड़ा उसके मुँह डाल दिया और उसकी चूत पर अपना मुँह रख कर चूसने लगा।
मालती तो लौड़े को उसी तरह चूसती रही लेकिन मैं कभी उसकी चूत के अंदर जीभ डाल कर अंदर बाहर करता तो कभी उसकी चूत के होंटों को चूसता और कभी उसके दाने को जीभ से रगड़ता।
यह सब लगभग दस मिनट चलता रहा और फिर जब मैं मालती के दाने से खेल रहा था तब उसने कहा कि वह पानी छोड़ने वाली है तो मैंने अपना मुँह उसकी चूत से चिपका लिया और उसके निकलते हुए पानी को पी गया !
इसके बाद मालती ने कहा- साहब, मैं बहुत गर्म हो चुकी हूँ और मुझे चूत में बहुत खुजली हो रही इसलिए आप जल्दी से अपने लौड़े को मेरी चूत में डाल कर मेरी चुदाई कर दें !
मैंने कहा- ऐसी भी क्या जल्दी है?
मालती बोली- साहब, जब औरत की चूत में आग लगी हो तभी मारनी चाहिए ! इससे चूत मारने वाले और मरवाने वाले दोनों को ही मजे आते हैं।
मैं अच्छा कह कर मालती के ऊपर चढ़ गया और उसकी दोनों टाँगें फैला दी, तब मालती ने अपने एक हाथ से चूत का मुँह खोल दिया और दूसरे हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर उसमें बिठा दिया तथा मुझे धक्का मारने को कहा।
मैंने कस के धक्का लगाया तो मेरे लौड़े का सुपारा उसकी चूत के अंदर चला गया और वह सीसीइइइ…सीसीइइइ… करने लगी।
मैंने पूछ- क्या दर्द हो रहा है?
वह बोली- जब एक इंच पतले लौड़े से चुदने वाली चूत में ढाई इंच मोटा लौड़े को झटके से डालोगे तो दर्द तो होगा ही !
मैं बोला- तुमने ही तो धक्का मारने को कहा था।
मैं खड़ा हो उससे लौड़ा चुसवाता रहा और जैसे ही वह मेरे लौड़े को अपने गले में उतारती मैं आगे पीछे हिल कर उसके मुँह को चोद लेता। करीब पांच मिनट के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर अपना लौड़ा उसके मुँह डाल दिया और उसकी चूत पर अपना मुँह रख कर चूसने लगा।
मालती तो लौड़े को उसी तरह चूसती रही लेकिन मैं कभी उसकी चूत के अंदर जीभ डाल कर अंदर बाहर करता तो कभी उसकी चूत के होंटों को चूसता और कभी उसके दाने को जीभ से रगड़ता।
यह सब लगभग दस मिनट चलता रहा और फिर जब मैं मालती के दाने से खेल रहा था तब उसने कहा कि वह पानी छोड़ने वाली है तो मैंने अपना मुँह उसकी चूत से चिपका लिया और उसके निकलते हुए पानी को पी गया !
इसके बाद मालती ने कहा- साहब, मैं बहुत गर्म हो चुकी हूँ और मुझे चूत में बहुत खुजली हो रही इसलिए आप जल्दी से अपने लौड़े को मेरी चूत में डाल कर मेरी चुदाई कर दें !
मैंने कहा- ऐसी भी क्या जल्दी है?
मालती बोली- साहब, जब औरत की चूत में आग लगी हो तभी मारनी चाहिए ! इससे चूत मारने वाले और मरवाने वाले दोनों को ही मजे आते हैं।
मैं अच्छा कह कर मालती के ऊपर चढ़ गया और उसकी दोनों टाँगें फैला दी, तब मालती ने अपने एक हाथ से चूत का मुँह खोल दिया और दूसरे हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर उसमें बिठा दिया तथा मुझे धक्का मारने को कहा।
मैंने कस के धक्का लगाया तो मेरे लौड़े का सुपारा उसकी चूत के अंदर चला गया और वह सीसीइइइ…सीसीइइइ… करने लगी।
मैंने पूछ- क्या दर्द हो रहा है?
वह बोली- जब एक इंच पतले लौड़े से चुदने वाली चूत में ढाई इंच मोटा लौड़े को झटके से डालोगे तो दर्द तो होगा ही !
मैं बोला- तुमने ही तो धक्का मारने को कहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![thanks thanks](https://xossipy.com/images/smilies/thanks.gif)