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Adultery मालती
#5
मैं- क्या तुम्हें शर्म नहीं आएगी?

मालती- शर्म किस बात की, लौड़ा ही तो हिलाना है !
इतना कह कर मालती ने मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी !
उसके हाथ का स्पर्श ने जैसे जादू कर दिया और दो ही मिनट में ही में मेरे मुँह से आह्ह… आह्ह्ह… आह्ह्ह… की आवाज़ निकलने लगी। उस आह्हह्ह… की आवाज़ सुनते ही मालती अकस्मात झुकी और मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और उसमें से निकल रहे सारे रस को पी लिया !
मैंने जब उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने बताया कि वह मेरे रस का स्वाद अपने पति के रस के स्वाद के साथ तुलना करना चाहती थी !
मेरे पूछने पर कि उसे क्या अंतर महसूस हुआ तो उसने बताया कि उसके पति का रस पतला है जबकि मेरा रस बहुत गाढ़ा है। उसके पति का बहुत थोड़ा सा रस निकलता है जबकि मेरा बहुत सारा रस निकला था। उसके पति के रस का स्वाद नमकीन है जबकि मेरा रस कुछ मीठा और कुछ नमकीन है।
मेरे पूछने पर कि उसे कौन सा रस पसंद आया तो उसने बताया कि निश्चित रूप से उसे मेरा रस ज्यादा स्वादिष्ट लगा।
इसके बाद मैंने लुंगी पहनी और मालती को पकड़ कर कमरे में ले आया और उसे खींच कर अपने पास बिस्तर पर बिठाया लेकिन वह एकदम से खड़ी हो गई और कहने लगी कि यह बिस्तर तो उसकी बीबी जी का है इसलिए वह उस बिस्तर पर बिलकुल नहीं बैठेगी।
तब मैंने उसे जबरदस्ती से अपनी गोद में बिठा लिया और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर उसे चूमने लगा।
पहले तो मालती ने विरोध किया लेकिन फिर जैसा मैं उसके होंटों के साथ करना चाहता था उसने करने दिया !
थोड़ी देर चूमने के बाद मैंने उससे कहा- तूने तो मेरा सब कुछ देख व छू लिया है और मेरा रस भी पी लिया है, अब तू मुझे अपना बदन नहीं दिखाएगी?
तब उसने कहा- यह कमरा बीबी जी का है इसलिए इस कमरे में ना तो अपना कुछ दिखाऊँगी और ना ही कोई भी गलत काम करूँगी!
उसकी यह बात सुन कर मुझे प्रसन्ता हुई कि वह कम से कम वह मेरे साथ कुछ तो गलत काम करने को तैयार थी इसलिए मैंने उस हल्की फुल्की मालती को गोद में उठाया और दूसरे कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया तथा पास में ही खड़ा होकर उसकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा।
जब कुछ देर तक मालती बिना कुछ बोले और बिना हिले डुले वैसे ही बिस्तर पर लेटी रही तो मुझ से नहीं रहा गया और उससे पूछा कि क्या वह अपना बदन मुझे दिखाएगी?
मेरे प्रश्न के उतर में मालती ने अपनी धोती का पल्लू खोल कर मेरे हाथ में दे दिया और कहा कि मुझे जो कुछ भी देखना है खुद ही देख लूँ, वह कोई आपत्ति नहीं करेगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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मालती - by neerathemall - 15-06-2022, 03:09 PM
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