15-06-2022, 03:10 PM
इस पर उसने कहा कि वह साथ वाले कमरे में ही सुस्ता रही है और मैंने जब भी खाना खाना हो उसे बुला लूँ वह बना कर परोस देगी। लगभग आधे घंटे के बाद जब मुझे भूख लगी तब मैंने मालती को आवाज़ दी लेकिन वह नहीं आई तो मैं उसे देखने के लिए साथ वाले कमरे में गया तो उसे जमीन पर सोया हुआ पाया। उसकी धोती का पल्लू उसके सीने पर से हटा हुआ था और उसके कसे हुए मम्में उसके झीने से ब्लाउज में से साफ़ दिखाई दे रहे थे ! उसकी एक टांग सीधी थी और दूसरी टांग ऊँची कर रखी थी जिसके कारण उसकी धोती सरक कर थोड़ा ऊपर गई थी तथा उसकी जांघें नंगी हो रही थी! उसकी नंगी जाँघों की नरम और चिकनी त्वचा देख कर मुझ से रहा नहीं गया और मैंने झुक के उसकी टांगों के बीच झाँकने लगा। अँधेरा होने की वजह मुझे कुछ ज्यादा साफ़ साफ़ तो नज़र नहीं आया लेकिन इतना जरूर पता चल गया कि मालती ने पेंटी नहीं पहनी हुई थी।
मालती को उस हालत में सोते हुए देख कर मेरे लौड़े ने सलाम करना शुरू कर दिया, मैं उत्तेजित हो गया इसलिए जल्दी से अपने बाथरूम में जा कर मुठ मारने लगा।
शायद मालती मेरे कदमों की आवाज़ सुन ली थी इस लिए वह मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे में आ गई और बाथरूम के दरवाज़े के बाहर खड़ी हो गई। क्योंकि मैं बाथरूम का दरवाज़ा बंद करना भूल गया था इसलिए मालती को मेरे मुठ मारने का नज़ारा साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैं उसे वहाँ खड़ा देख कर दंग रह गया और मेरे मुँह से आवाज़ नहीं निकली।
तब मालती बाथरूम के अंदर मेरे पास आई और पूछा- क्या आप बीबी जी की याद में मुठ मार रहे हैं?
मैंने कहा- हाँ !
मालती- लाओ, मैं आप की मदद कर दूँ !
मैं- नहीं, मुझे तुम्हारी मदद नहीं चाहिए !
मालती- बीबी जी भी तो आपकी मदद करती हैं ना !
मैं- तुम्हें कैसे मालूम?
मालती- मैंने कई बार आप लोगों को ऐसा करते हुए देखा है !
मैं- क्या तुम ऐसा कर पाओगी?
मालती- क्यों नहीं, मैं अपने मर्द की मदद भी तो करती हूँ !
मालती को उस हालत में सोते हुए देख कर मेरे लौड़े ने सलाम करना शुरू कर दिया, मैं उत्तेजित हो गया इसलिए जल्दी से अपने बाथरूम में जा कर मुठ मारने लगा।
शायद मालती मेरे कदमों की आवाज़ सुन ली थी इस लिए वह मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे में आ गई और बाथरूम के दरवाज़े के बाहर खड़ी हो गई। क्योंकि मैं बाथरूम का दरवाज़ा बंद करना भूल गया था इसलिए मालती को मेरे मुठ मारने का नज़ारा साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैं उसे वहाँ खड़ा देख कर दंग रह गया और मेरे मुँह से आवाज़ नहीं निकली।
तब मालती बाथरूम के अंदर मेरे पास आई और पूछा- क्या आप बीबी जी की याद में मुठ मार रहे हैं?
मैंने कहा- हाँ !
मालती- लाओ, मैं आप की मदद कर दूँ !
मैं- नहीं, मुझे तुम्हारी मदद नहीं चाहिए !
मालती- बीबी जी भी तो आपकी मदद करती हैं ना !
मैं- तुम्हें कैसे मालूम?
मालती- मैंने कई बार आप लोगों को ऐसा करते हुए देखा है !
मैं- क्या तुम ऐसा कर पाओगी?
मालती- क्यों नहीं, मैं अपने मर्द की मदद भी तो करती हूँ !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.