15-06-2022, 03:10 PM
पिछले वर्ष मेरी पत्नी पूनम जब गर्भवती थी, तब वह छह माह के लिए मायके रहने चली गई थी। पूनम के जाने के बाद मालती उसके समझाए अनुसार मेरे खाने पीने और घर के दूसरे काम को बहुत ही अच्छे तरह से करती रही। दिन तो मैं ऑफिस चला जाता था और रात में थके होने के कारण जल्द ही सो जाता था।
एक सप्ताह तक तो इसी तरह निकल गया लेकिन शनिवार की शाम मुझे पूनम की कमी महसूस हुई !
रात देर तक जब नींद नहीं आई तब मैं डीवीडी प्लयेर में एक ब्लू फिल्म की डीवीडी लगा कर टीवी पर आराम से नंगा होकर देखता रहा। फिल्म देखने के दौरान मैंने दो बार मुठ भी मारी और हर बार पास रखे तौलिए से लौड़े को साफ़ भी करता रहा !
टीवी देखते देखते मुझे नींद आ गई और मैं टीवी चलता हुआ छोड़ कर नंगा ही बिस्तर पर सो गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अगला दिन इतवार था फिर भी हर रोज की तरह मालती सुबह सात बजे आ गई, लेकिन उसके आने का मुझे पता ही नहीं चला और मैं अपने कमरे में नंगा ही सोता रहा !
नौ बजे के लगभग जब मालती ने मेरे कमरे का दरवाज़ा जोर से खड़काया तब मेरी नींद खुली और इससे पहले कि मैं अपने आप को संभालता, वह अचानक ही कमरे में घुस आई !
मैंने जल्दी से तौलिया उठा कर अपने बदन को ढका और मालती की ओर देखा तो पाया कि वह मुस्करा रही थी। जब मैंने उससे मुस्कराहट का कारण पूछा तो उसने बताया कि सुबह आठ बजे मेरे कमरे में आई थी तभी उसने मुझे नंगा सोते हुए देख लिया था और तब उसने कमरे की सफाई करके लाईट और टीवी बंद कर दिया था।
मैंने चारों ओर नजर दौड़ाई तो देखा कि कमरे का हर सामान करीने से रखा हुआ था तो मुझे विश्वास हो गया कि मालती कमरे की सफाई करते समय ज़रूर मुझे नंगा सोते हुए देख चुकी थी और मैं शर्म से झेंप गया।
मैं अपनी शर्म और झेंप से उभर ही नहीं पाया था कि मालती ने मुझे मेरी लुंगी देते हुए कहा कि मैं उसे पहन लूं और तौलिया उसे धोने ले लिए दे दूं क्योंकि उस पर मेरा ढेर सारा माल लगा हुआ था। मालती की वह बात सुन कर तो मैं पानी पानी हो गया और मुझे लगा कि मेरी रही सही इज्ज़त भी मिटटी में मिल गई थी। खैर मैं लुंगी पहन कर और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि मालती रसोई में आलू की सब्जी बना चुकी थी और मेरे लिए पूड़ी तल रही थी।
मैं खाने की मेज पर बैठ गया और चुपचाप मालती द्वारा दिया गया नाश्ता खाता रहा। मुझे गुमसुम देख कर मालती ने मेरी चुप्पी का कारण पूछा तो मैं टाल गया और चाय पीकर अपने कमरे में चला गया।
मैं अपने कमरे में पहले तो टीवी देखता रहा और फिर लैपटॉप कुछ काम करता रहा। उधर मालती रसोई की सफाई, कपड़ों की धुलाई और घर का बाकी काम निपटाती रही !
दोपहर को एक बजे जब मालती मेरे कमरे में खाने के लिए बुलाने आई तो मैंने उसे कह दिया कि वह खाना बना कर रख दे।
एक सप्ताह तक तो इसी तरह निकल गया लेकिन शनिवार की शाम मुझे पूनम की कमी महसूस हुई !
रात देर तक जब नींद नहीं आई तब मैं डीवीडी प्लयेर में एक ब्लू फिल्म की डीवीडी लगा कर टीवी पर आराम से नंगा होकर देखता रहा। फिल्म देखने के दौरान मैंने दो बार मुठ भी मारी और हर बार पास रखे तौलिए से लौड़े को साफ़ भी करता रहा !
टीवी देखते देखते मुझे नींद आ गई और मैं टीवी चलता हुआ छोड़ कर नंगा ही बिस्तर पर सो गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अगला दिन इतवार था फिर भी हर रोज की तरह मालती सुबह सात बजे आ गई, लेकिन उसके आने का मुझे पता ही नहीं चला और मैं अपने कमरे में नंगा ही सोता रहा !
नौ बजे के लगभग जब मालती ने मेरे कमरे का दरवाज़ा जोर से खड़काया तब मेरी नींद खुली और इससे पहले कि मैं अपने आप को संभालता, वह अचानक ही कमरे में घुस आई !
मैंने जल्दी से तौलिया उठा कर अपने बदन को ढका और मालती की ओर देखा तो पाया कि वह मुस्करा रही थी। जब मैंने उससे मुस्कराहट का कारण पूछा तो उसने बताया कि सुबह आठ बजे मेरे कमरे में आई थी तभी उसने मुझे नंगा सोते हुए देख लिया था और तब उसने कमरे की सफाई करके लाईट और टीवी बंद कर दिया था।
मैंने चारों ओर नजर दौड़ाई तो देखा कि कमरे का हर सामान करीने से रखा हुआ था तो मुझे विश्वास हो गया कि मालती कमरे की सफाई करते समय ज़रूर मुझे नंगा सोते हुए देख चुकी थी और मैं शर्म से झेंप गया।
मैं अपनी शर्म और झेंप से उभर ही नहीं पाया था कि मालती ने मुझे मेरी लुंगी देते हुए कहा कि मैं उसे पहन लूं और तौलिया उसे धोने ले लिए दे दूं क्योंकि उस पर मेरा ढेर सारा माल लगा हुआ था। मालती की वह बात सुन कर तो मैं पानी पानी हो गया और मुझे लगा कि मेरी रही सही इज्ज़त भी मिटटी में मिल गई थी। खैर मैं लुंगी पहन कर और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि मालती रसोई में आलू की सब्जी बना चुकी थी और मेरे लिए पूड़ी तल रही थी।
मैं खाने की मेज पर बैठ गया और चुपचाप मालती द्वारा दिया गया नाश्ता खाता रहा। मुझे गुमसुम देख कर मालती ने मेरी चुप्पी का कारण पूछा तो मैं टाल गया और चाय पीकर अपने कमरे में चला गया।
मैं अपने कमरे में पहले तो टीवी देखता रहा और फिर लैपटॉप कुछ काम करता रहा। उधर मालती रसोई की सफाई, कपड़ों की धुलाई और घर का बाकी काम निपटाती रही !
दोपहर को एक बजे जब मालती मेरे कमरे में खाने के लिए बुलाने आई तो मैंने उसे कह दिया कि वह खाना बना कर रख दे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.