15-06-2022, 02:56 PM
मनीष नीचे गया तो मेरे ससुर उसे रोककर पूछने लगे- अरे बेटा कहां जा रहे हो. अभी तो खाने का टाइम हो रहा है. खाना खाकर जाना.
मैं मन में कहने लगी कि खाना खाकर … उसने आपकी बहू की इज्जत ही खा ली.
मनीष मेरे ससुर से बोला- हां बाबू जी, अभी इधर थोड़ा काम है, उसको निपटा कर आता हूं. फिर खाना खाकर ही जाऊंगा.
मैं भी जल्दी से बाथरूम गयी क्योंकि उसका वीर्य मेरी जांघों पर बह रहा था.
बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चूत को देखा तो मैं सन्न रह गयी.
मेरी चूत एकदम लाल पड़ गयी थी.
उस कमीने ने बहुत ही बेदर्दी से पेला था.
अब मैंने जल्दी से अपनी चूत की सफाई की और किचन में आकर खाना बनाने लगी क्योंकि मेरे ससुर के खाने का समय हो गया था.
फिर अपने ससुर को खाना देकर मैं अपने और मनीष के लिए रोटियां सेंकने लगी.
मैं मन में सोचने लगी कि ये गलत हुआ या सही.
इतने में ही मनीष वापस आ गया.
मैं मन में कहने लगी कि खाना खाकर … उसने आपकी बहू की इज्जत ही खा ली.
मनीष मेरे ससुर से बोला- हां बाबू जी, अभी इधर थोड़ा काम है, उसको निपटा कर आता हूं. फिर खाना खाकर ही जाऊंगा.
मैं भी जल्दी से बाथरूम गयी क्योंकि उसका वीर्य मेरी जांघों पर बह रहा था.
बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चूत को देखा तो मैं सन्न रह गयी.
मेरी चूत एकदम लाल पड़ गयी थी.
उस कमीने ने बहुत ही बेदर्दी से पेला था.
अब मैंने जल्दी से अपनी चूत की सफाई की और किचन में आकर खाना बनाने लगी क्योंकि मेरे ससुर के खाने का समय हो गया था.
फिर अपने ससुर को खाना देकर मैं अपने और मनीष के लिए रोटियां सेंकने लगी.
मैं मन में सोचने लगी कि ये गलत हुआ या सही.
इतने में ही मनीष वापस आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.