15-06-2022, 02:53 PM
मनीष ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे पीछे आ गया, उसने मुझसे चूतड़ों को ऊपर करने को कहा.
मैंने कर दिए.
उसने अपना लंड मेरी चूत में पीछे से घुसा कर धक्के देना शुरू कर दिया, साथ ही मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा.
पीछे से उसका लंड मुझे और भी मोटा लग रहा था.
मेरी चूत फट जाएगी ऐसा मुझे लगने लगा. मैं फिर से कराहने लगी- आहह ओह्ह ओह्ह मां मर गईईई … आह … कोई तो बचाओ आहह … इस जालिम से.
मैं जितना भी कराहती, मनीष उतना ही जोर से धक्का मार देता.
कुछ देर बाद मुझे उसने फिर से सीधा लिटा दिया और कमर के नीचे तकिया रख कर मेरी टांगें फैला दीं और लंड अन्दर घुसा दिया.
वो मेरे ऊपर लेट गया और धक्के देने लगा.
हमें चुदाई करते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था. मेरी चूत में अब जलन होने लगी थी. मुझे उसके धक्के असहय से लगने लगे और मैं सोचने लगी कि ये अब जल्दी से झड़ जाए.
उसके धक्के अब और तेज होते जा रहे थे, शायद वो अब झड़ने के करीब ही था.
मैं भी अब चाहती थी कि मैं भी दुबारा से मनीष के साथ ही झड़ जाऊं क्योंकि उस वक़्त साथ में झड़ने से जो मजा आता है, वो सबसे अलग और सबसे ज्यादा होता है.
मैंने मनीष के गले में हाथ डाल कर उसको पकड़ लिया और टांगों को ज्यादा से ज्यादा उठा कर उसके चूतड़ों पर चढ़ा दिया ताकि उसे अपना लंड मेरी चूत में घुसाने को ज्यादा से ज्यादा जगह मिल सके.
फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और चूसने लगी.
मनीष ने भी मेरे चूचुकों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया.
उसकी चुदाई बहुत बेरहम थी पर पता नहीं मुझे मजा भी बहुत आ रहा था.
ऐसा मजा मैंने अपने जीवन में कभी महसूस नहीं किया था.
तभी उसने मेरे मम्मों को कसके पकड़ा और एक जोर का धक्का देकर सुपारे को मेरी बच्चेदानी में घुसा दिया.
मैंने कर दिए.
उसने अपना लंड मेरी चूत में पीछे से घुसा कर धक्के देना शुरू कर दिया, साथ ही मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा.
पीछे से उसका लंड मुझे और भी मोटा लग रहा था.
मेरी चूत फट जाएगी ऐसा मुझे लगने लगा. मैं फिर से कराहने लगी- आहह ओह्ह ओह्ह मां मर गईईई … आह … कोई तो बचाओ आहह … इस जालिम से.
मैं जितना भी कराहती, मनीष उतना ही जोर से धक्का मार देता.
कुछ देर बाद मुझे उसने फिर से सीधा लिटा दिया और कमर के नीचे तकिया रख कर मेरी टांगें फैला दीं और लंड अन्दर घुसा दिया.
वो मेरे ऊपर लेट गया और धक्के देने लगा.
हमें चुदाई करते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था. मेरी चूत में अब जलन होने लगी थी. मुझे उसके धक्के असहय से लगने लगे और मैं सोचने लगी कि ये अब जल्दी से झड़ जाए.
उसके धक्के अब और तेज होते जा रहे थे, शायद वो अब झड़ने के करीब ही था.
मैं भी अब चाहती थी कि मैं भी दुबारा से मनीष के साथ ही झड़ जाऊं क्योंकि उस वक़्त साथ में झड़ने से जो मजा आता है, वो सबसे अलग और सबसे ज्यादा होता है.
मैंने मनीष के गले में हाथ डाल कर उसको पकड़ लिया और टांगों को ज्यादा से ज्यादा उठा कर उसके चूतड़ों पर चढ़ा दिया ताकि उसे अपना लंड मेरी चूत में घुसाने को ज्यादा से ज्यादा जगह मिल सके.
फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और चूसने लगी.
मनीष ने भी मेरे चूचुकों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया.
उसकी चुदाई बहुत बेरहम थी पर पता नहीं मुझे मजा भी बहुत आ रहा था.
ऐसा मजा मैंने अपने जीवन में कभी महसूस नहीं किया था.
तभी उसने मेरे मम्मों को कसके पकड़ा और एक जोर का धक्का देकर सुपारे को मेरी बच्चेदानी में घुसा दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.