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Adultery पड़ोस की भाभी
#8
भाभी- अरे बाबा … मैंने तुम्हारे इसको फील किया था.

ये कहते हुए भाभी ने खड़े खड़े ही धीरे से मेरे लंड को पकड़ लिया. मेरी तो जैसे सांस ही रुक गयी.
मैं- आअहह शशि … कितनी मस्त हो तुम … तुम्हें आज खा जाऊं क्या?
भाभी- खा जाओ यार, अच्छे से खा जाओ.
मैं- सोच लो शशि, मैं तुम्हारे चूतड़, चूत, चुचियां सब खा लूंगा.
भाभी- सब खा लो यार … और …
मैं- और!
भाभी ने मेरा लंड हाथ में लेकर कहा कि मैं तुम्हारा ये मैं भी खा लूंगी.
मैं- ये क्या है? इसका नाम तो बताओ.
भाभी- नहीं … मुझे शर्म आती है.
मैं- प्लीज़ बोलो ना.
भाभी- ओके … मैं तुम्हारा ये खा लूंगी … ये तुम्हारा मोटा सा लंड. … हाईईईई.
हम दोनों धीरे से बिस्तर पर लेट गए, मैंने भाभी को पैरों से चूमना शुरू कर दिया. भाभी का एकदम गोरा बदन था. वो आंख बंद करके लेटी रहीं. फिर भाभी ने बिस्तर के पास वाली बटन से लाइट कम कर दी.
मैंने भाभी का गाउन धीरे से ऊपर कर दिया. आह गजब की जांघें थीं उनकी … केले के तने सी मस्त चिकनी और गोरी.
भाभी की जांघों को चूमते हुए मैं ऊपर आ पहुंचा.
भाभी वासना से छटपटा रही थीं और अपने मुँह से कामुकता से ‘हाईईईईई … आह..’ कर रही थीं. भाभी अपने दोनों हाथों से चादर को पकड़े हुए थीं. मैंने उनके गाउन को पेट तक सरका दिया. मेरे सामने भाभी की पैंटी में छिपी हुई गजब की फूली हुई चूत थी. मैंने धीरे से किस किया तो भाभी उत्तेजना से कांपने लगीं. मैंने प्यार से धीरे से पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया. आह एकदम साफ़ गुलाबी चूत लपलप कर रही थी. शायद आज ही भाभी ने चुत की झांटों को साफ़ किया था.

Shy Smile Tongue
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पड़ोस की भाभी - by neerathemall - 15-06-2022, 02:39 PM



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