Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery पड़ोस की भाभी
#6
यही सब सोचते हुए बड़ी मुश्किल से 7 बजे. मैं नाइट ड्रेस पहनकर नीचे आ गया. शशि भाभी किचन में रोटी बना रही थीं. उन्होंने झीना सा गाउन पहना हुया था, जिसमें उनकी ब्रा और पेंटी साफ़ दिख रहे थे.

छह महीने में पहली बार मैंने भाभी को इन कपड़ों में देखा था. वरना आज तक सलवार सूट या साड़ी में हो देखा था.
मैं समझ गया कि आज कुछ होना पक्का है … क्योंकि शशि भाभी की आज की ड्रेसिंग सेंस में सेक्स का पुट था.
मैं जाकर भाभी के पीछे खड़ा हो गया और अपने हाथ उनके पेट पर ले गया. वो रोटी बेल रही थीं.
भाभी- अरे क्या हुआ है तुम्हें … जाकर आराम से बैठो ना … क्यों चिपके जा रहे हो!
मैं- मैं तो आपसे एक मिनट भी दूर ना रहूँ अब … किस्मत से मिली हो तो ऐसे कैसे दूर रहूँ … मैं तो ऐसे ही चिपका रहूँगा.
भाभी- अरे बाबा … रोटी तो बनाने दो … ऐसे चिपके रहोगे, तो काम ही नहीं हो पाएगा.
मैं हटा नहीं और धीरे से शशि भाभी के मम्मों पर हाथ लगा दिया. मेरा लंड उनके चूतड़ों की दरार पर लगा हुआ था, जिसे भाभी अच्छे से फील कर पा रही थीं.
जब मैंने शशि भाभी के चुचे पकड़े, तो उन्होंने रोटी बेलना रोक देना, गैस की लौ कम कर दी और आंखें बंद कर लीं. मैंने भाभी की गर्दन पर किस कर दिया.
भाभी- आहह … प्लीज़ संजय, मत करो ना … कुछ होता है यार मुझे.
मैं- शशि, प्लीज़ मत रोको ना … मैंने इस दिन के लिए बहुत इंतजार किया है.
भाभी- मैं जानती हूँ कि तुम मुझे पसंद करते हो. मगर थोड़ा टाइम तो रूको प्लीज़ … ऐसे मत बहकाओ यार. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. थोड़ा तो वेट करो.
मैं- ठीक है … प्लीज़ जल्दी फ्री हो जाओ.
मैंने भाभी को छोड़ दिया और सोफे पर बैठकर उनको देखने लगा. गजब का शरीर था भाभी का. उनका एक एक अंग खिल रहा था. हाय रे किस्मत … आज तो खुल ही गयी. भाभी भी खुश होकर काम कर रही थीं. वो जान बूझकर अपने चुचे और चूतड़ को हिला कर रिझा रही थीं … ऐसा लग रहा था, जैसे भाभी मुझे दीवाना बना रही हों.
मैं खुश था कि आज तो ऐसी चूत मिलने वाली है, जिसका सपना हर कोई देखता है.
आख़िरकार 9 बजे तक काम खत्म हुआ हम दोनों ने खाना खाया, साथ में बहुत सारी बातें की.
बर्तन साफ़ करके वो मेरे पास सोफे पर आकर बैठ गईं और मुस्कुराते हुए कहने लगीं- कैसा लगता है वेट करना? वैसे संजय तुम में बहुत धैर्य है यार. इसीलिए तुम मुझे पसंद हो … क्योंकि तुम मुझे और मेरी फीलिंग्स की इज्जत करते हो … उन्हें समझते हो.
मैंने बैठे हुए शशि भाभी को अपने गले लगा लिया और वो भी बड़े आराम से मेरी गोद में लेट सी गईं. मैं उनके बालों में हाथ फिराने लगा.
मैं- शशि, कहीं ये सपना तो नहीं है ना कि तुम मेरे पास, मेरी बांहों में हो और मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ!
भाभी- सपना नहीं है संजय … बस मुझे ऐसे ही प्यार करना. बदल नहीं जाना, तुम्हारी शादी हो जाएगी, तो क्या तुम बदल जाओगे?
मैं- ना शशि … मैं कभी नहीं बदलूंगा … हमेशा साथ रहूँगा और प्यार करूंगा.
मैंने शशि भाभी के गालों पर किस किया. उन्होंने आंखें बंद कर लीं और मुझे फील करने लगीं. मैंने उनके मम्मों पर हाथ लगाया और धीरे से दबाने लगा. भाभी ने आह भरी और मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया, लेकिन हटाया नहीं. मैं धीरे धीरे भाभी के मम्मों को उनके गाउन के ऊपर से मसलने लगा और उनके गालों पर किस करने लगा. भाभी भी आंख बंद करके मज़ा लेने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: पड़ोस की भाभी - by neerathemall - 15-06-2022, 02:36 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)