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Adultery पड़ोस की भाभी
#3
आज भाभी गजब की सुंदर लग रही थीं. वैसे वो मुझसे बहुत बात करती थीं लेकिन कभी भी ऐसी वैसी कोई बात नहीं की थी. उनकी नज़रों में मैं भी बहुत समझदार और शरीफ़ लड़का था क्योंकि मैं भी सलीके से और लिमिटेड बात करता था.

आज उनको देखकर मेरे मन में ख्याल आया कि अगर मैं भाभी पर लाइन मारूं, तो क्या वो पट जाएंगी. मन ने कहा कि असम्भव … ऐसा हो नहीं सकता. लेकिन फिर भी लाइन मारने में क्या हर्ज है, हो सकता है किस्मत खुल जाए.
भाभी के मदमस्त रूप कर वर्णन तो मैंने ऊपर किया ही है. उनके मस्त चुचे और उठी हुई गांड किसी को भी दीवाना बना देने में सक्षम थे. ऊपर से वो शायद सिंगल हैंडेड ड्रिवन थीं, समझदार थीं, अगर मुझसे पट गईं … तो मेरी तो किस्मत ही खुल जाएगी. ऐसी औरत को अपने लंड के नीचे लेना अपने आपमें बहुत बड़ी बात थी. ये सोचकर मैंने ट्राइ मारने का फ़ैसला किया, लेकिन सलीके से … ताकि भाभी को बुरा ना लगे.
भाभी चटाई पर बैठी थीं और बेटे की मालिश कर रही थीं. उनके चूतड़ फैल कर बाहर की तरफ आ रहे थे. चुचे भी मस्त हिल रहे थे. ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा.
मैं- भाभी, क्या आप एक कप चाय लेंगी!
भाभी- हां ले लूंगी, लेकिन कप अच्छे से साफ कर लेना.
मैं- मैं हमेशा किचन साफ़ ही रखता हूँ.
भाभी- हा हा … बैचलर के कमरे जरा यूं ही अस्त व्यस्त रहते हैं … इसलिए कहा.
मैंने मन में सोचा कि आज कितना नाटक कर रही हो कि कप साफ़ कर लेना. एक दिन वो भी आएगा, जब आप मेरा लंड चूसोगी और मैं आपकी चूत. उस समय सारी साफ़ सफाई गांड में घुस जाएगी.
खैर … मैंने चाय बनाई और दो कप में लेकर छत पर आ गया. हम दोनों ने चाय पी. उस दिन काफ़ी देर तक भाभी से बात होती रही. फिर भाभी बेबी को लेकर नीचे चली गईं.
उसी दिन शाम को मुझे पता चला कि भैया बाहर से 15 दिन तक नहीं आने वाले हैं और आया भी कुछ दिन नहीं आएगी.
इसी तरह कुछ दिन बीत गए, भाभी और मैं बहुत बात करने लगे थे.
एक दिन जब मैं ऑफिस से आया, तो भाभी का गेट खुला था. मैंने दरवाजा खटखटाया, तो भाभी बेडरूम से बाहर आईं. शायद वो बेटे को सुला रही थीं.
मैं- भाभी, आप कहो तो आज डिनर करने बाहर चलें?
भाभी- नहीं, रजत मना कर देंगे. अभी बेटा छोटा है ना!
मैं- तो उनसे मत कहो कुछ भी. हम लोग जल्दी वापस आ जाएंगे और वैसे भी हर बात हज़्बेंड को नहीं बतानी चाहिए. आप इतने दिन अकेली रहती हो, थोड़ा घूम लोगी, तो मन भी बहल जाएगा.
थोड़ा सोचकर भाभी ने हां कर दिया और कहा कि हम 8 बजे से पहले वापस आ जाएंगे.
मैंने गाड़ी निकाली और हम दोनों पड़ोस के एक रेस्ट्रोरेंट में चले गए. मैंने ऑर्डर कर दिया.
भाभी- तुमने ऐसा क्यों कहा कि सारी बात हज़्बेंड को नहीं बतानी चाहिए.
मैं- अरे भाभी, आदमी का दिमाग़ ऐसा ही होता है … कितना भी विश्वास हो, लेकिन कुछ भी सोच सकता है. इसीलिए मैं तो कहता हूँ कि आप हम दोनों की बातें उनके सामने कभी मत किया करो. हो सकता है … उनको बुरा लग जाए. उनको उतना ही बताओ, जितना ज़रूरी है.
भाभी- लेकिन अगर तुमने बताया तो!
मैं- अरे, मैं क्यों बताने लगा. वैसे भी मेरी खुशी इसमें है कि आप मुझसे बात करती रहें … और आपका घर परिवार भी अच्छा चले. मैं आपको खुश देखना चाहता हूँ, खुश रखना चाहता हूँ ना कि दुखी.
तब तक खाना आ गया और हम खाने लगे.
भाभी- वैसे संजय, तुम्हारी गर्ल फ्रेंड तो खुश रहती होगी, कितने समझदार हो तुम, कितना ध्यान रखते हो.
मैं- मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है भाभी, कॉलेज में एक थी, उसकी शादी हो गयी. उसके बाद मैं यहां आ गया. बाकी सब आपको पता ही है. वैसे बुरा नहीं मानो तो एक बात कहूँ.
भाभी- हां कहो न!
मैं- आप बहुत सुंदर हो, समझदार हो. मेरा मन करता है कि आपको ही गर्लफ्रेंड बना लूं … हा हा हा हा.
भाभी- हा हा हा हा … अरे पागल मैं तो शादीशुदा हूँ.
मैं- तो क्या हुआ, क्या शादीशुदा गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती!
भाभी- किसी बिना शादीशुदा को पटाओ … हा हा हा हा … वैसे भी रजत को पता चलेगा तो जान ले लेंगे … हा हा हा हा.
मैं- अरे भाभी उनको कौन बताएगा. मैं तो कभी भी उनके होते हुए आपको ना तो मैसेज करूंगा और ना ही मिलूंगा. आपकी इज़्ज़त और आदर हमेशा बना कर रखूंगा, आप हमेशा खुश रहें … यही तो मैं चाहता हूँ.
भाभी- तुम्हारे होते हुए मैं खुश ही रहती हूँ, मुझे अकेलापन नहीं लगता. इतना बहुत है मेरे लिए … गर्ल फ्रेंड बना लेने से क्या अलग हो जाएगा. हा हा हा.
मैं- भाभी मेरे मन में बहुत सारी बातें होती हैं, जो मैं कह नहीं पाता हूँ. अगर आप मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओगी, तो दिल की बातें आपके साथ करने में मुझे हिचक नहीं होगी. वैसे भी आपको गर्लफ्रेंड के रूप में पाने वाला इस दुनिया का सबसे लकी आदमी होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: पड़ोस की भाभी - by neerathemall - 15-06-2022, 02:33 PM



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