15-06-2022, 02:32 PM
मुझसे ठीक नीचे वाली फ्लोर पर रजत भैया रहते थे, जो एक बड़ी कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट, सेल्स थे. वे अपनी जॉब के चलते अधिकतर टूर पर ही रहते थे. उनकी पत्नी शशि भाभी भी काफ़ी पढ़ी लिखी थीं, लेकिन आजकल घर पर ही रहती थीं. क्योंकि उनका एक साल का बेटा था, उसकी देखभाल ज़्यादा ज़रूरी थी.
भैया के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी. भाभी की मदद के लिए पूरे दिन एक आया भी घर पर रहती थी, जो भाभी के घर के काम भी करती थी.
भाभी की उम्र करीब 27-28 साल थी. उनके बाल कंधे से थोड़ा नीचे तक थे. भाभी देखने में बहुत सुंदर थीं. एकदम दूध सी गोरी, कद करीब साढ़े पांच फिट का होगा. और भाभी की फिगर का तो बस पूछो ही मत … कसा हुआ 36-30-38 का मस्त बदन था. भाभी के चूचे एकदम मस्त गोल और टाइट थे. लचीली और बलखाती कमर के नीचे भाभी के उभरे हुए चूतड़ ऐसे ठुमकते थे, जो किसी को भी दीवाना कर दें.
भाभी सेक्स के लिए मस्त माल थी. पर वे बहुत समझदार और सलीकेदार महिला थीं. जब वो बोलती थीं, तो जैसे फूल से झड़ते थे.
कभी कभी आते जाते मैं भैया भाभी दोनों को नमस्ते कर देता था. मेरे मन में कुछ भी ग़लत नहीं था. मेरे ऑफिस का टाइम 8 से 5 तक था. सब कुछ ठीक चल रहा था.
ये लगभग 6 महीने पहले की बात है. ऑफिस से आते हुए रास्ते में मुझे रजत भैया मिले. मैंने उनको नमस्ते किया और दोनों लोग घर की तरफ आने लगे.
उन्होंने आज पहली बार मुझसे मेरे बारे में पूछा … और मैंने उनके बारे में.
रास्ते में ही हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो गयी … क्योंकि हम दोनों ही इंजीनियर थे. उन्होंने आई आई टी दिल्ली से इंजीनियरिंग की थी और मैंने दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से अपनी इंजीनियरिंग की थी.
उस दिन पता चला कि भैया और भाभी दोनों उत्तराखंड से हैं और भाभी ने एफ एम एस से एम बी ए किया था.
उनकी फ्लोर पर आते ही उन्होंने मुझसे चाय पीकर जाने की कही, तो मैं मना नहीं कर पाया. मैंने उनसे कमरे में जाकर आने का कहा और वो ‘ठीक है.’ कह कर अपने फ्लैट में घुस गए.
ऊपर पहुंचकर मैंने चेंज किया और नीचे जाकर उनका दरवाजा खटखटाया. भाभी ने दरवाजा खोला, तो मैंने नमस्ते किया. उन्होंने अच्छे से मुस्कुराहट दी और अन्दर बुला लिया. भैया शायद बाथरूम में थे.
उस दिन मेरी भाभी से बात हुई. मैं करीब एक घंटा उन दोनों के साथ रहा और दोनों लोग मेरे बहुत अच्छे दोस्त बन गए.
उसके बाद आते जाते मैं भाभी से बात भी कर लेता था, वो भी मुझसे बहुत अच्छे से बात करती थीं. भाभी की मासूम मुस्कराहट से मेरा दिल खुश हो जाता था.
करीब 3 महीने में मैं और भाभी अच्छे दोस्त बन गए थे. भैया जनरली टूर पर रहते थे, तो भाभी मुझसे बात करके अपने दिल का हाल भी बता देती थीं.
नवम्बर के महीने में सर्दी शुरू हो जाती है. उनके फ्लोर पर धूप कम ही आती थी.
एक शनिवार को भाभी के घर उनकी आया नहीं आई थी और मैं घर पर था. मैं दूध लेने नीचे जा रहा था, तो भाभी मिल गईं.
भाभी- आज ऑफिस नहीं गए?
मैं- आज ऑफ है भाभी.
भाभी- कहां जा रहे हो?
मैं- भाभी दूध लेने मार्केट जा रहा हूँ … आज टिफिन भी नहीं आया है, तो कुछ खाने का भी लाना है.
भाभी- ठीक है … प्लीज़ एक लीटर दूध मेरे लिए भी ला दो, आज आया भी नहीं आई और तुम्हारे भैया भी बाहर गए हैं.
मैंने ओके कहा और चला गया. फिर मैंने दूध लाकर उनको दे दिया और ऊपर आ गया. थोड़ी देर में भाभी ऊपर छत पर आईं, तब मुझे पता चला कि वो हर रोज धूप के लिए ऊपर आ जाती थीं … क्योंकि छत का दरवाजा खुला ही रहता था.
मैं- अरे भाभी आप ऊपर … इतना बड़ा सर्प्राइज़!
भाभी- मैं तो हर रोज ऊपर आती हूँ, नीचे धूप नहीं आती है न … और बेटे की हर रोज मालिश करनी होती है.
उस समय भाभी ने सलवार सूट पहना हुआ था, जिसमें वो बहुत सुंदर लग रही थीं.
मेरे मन में उनके लिए आज तक कभी कुछ बुरा ख्याल नहीं था … लेकिन आज उनको देखा तो मन बदलने लगा.
भैया के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी. भाभी की मदद के लिए पूरे दिन एक आया भी घर पर रहती थी, जो भाभी के घर के काम भी करती थी.
भाभी की उम्र करीब 27-28 साल थी. उनके बाल कंधे से थोड़ा नीचे तक थे. भाभी देखने में बहुत सुंदर थीं. एकदम दूध सी गोरी, कद करीब साढ़े पांच फिट का होगा. और भाभी की फिगर का तो बस पूछो ही मत … कसा हुआ 36-30-38 का मस्त बदन था. भाभी के चूचे एकदम मस्त गोल और टाइट थे. लचीली और बलखाती कमर के नीचे भाभी के उभरे हुए चूतड़ ऐसे ठुमकते थे, जो किसी को भी दीवाना कर दें.
भाभी सेक्स के लिए मस्त माल थी. पर वे बहुत समझदार और सलीकेदार महिला थीं. जब वो बोलती थीं, तो जैसे फूल से झड़ते थे.
कभी कभी आते जाते मैं भैया भाभी दोनों को नमस्ते कर देता था. मेरे मन में कुछ भी ग़लत नहीं था. मेरे ऑफिस का टाइम 8 से 5 तक था. सब कुछ ठीक चल रहा था.
ये लगभग 6 महीने पहले की बात है. ऑफिस से आते हुए रास्ते में मुझे रजत भैया मिले. मैंने उनको नमस्ते किया और दोनों लोग घर की तरफ आने लगे.
उन्होंने आज पहली बार मुझसे मेरे बारे में पूछा … और मैंने उनके बारे में.
रास्ते में ही हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो गयी … क्योंकि हम दोनों ही इंजीनियर थे. उन्होंने आई आई टी दिल्ली से इंजीनियरिंग की थी और मैंने दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से अपनी इंजीनियरिंग की थी.
उस दिन पता चला कि भैया और भाभी दोनों उत्तराखंड से हैं और भाभी ने एफ एम एस से एम बी ए किया था.
उनकी फ्लोर पर आते ही उन्होंने मुझसे चाय पीकर जाने की कही, तो मैं मना नहीं कर पाया. मैंने उनसे कमरे में जाकर आने का कहा और वो ‘ठीक है.’ कह कर अपने फ्लैट में घुस गए.
ऊपर पहुंचकर मैंने चेंज किया और नीचे जाकर उनका दरवाजा खटखटाया. भाभी ने दरवाजा खोला, तो मैंने नमस्ते किया. उन्होंने अच्छे से मुस्कुराहट दी और अन्दर बुला लिया. भैया शायद बाथरूम में थे.
उस दिन मेरी भाभी से बात हुई. मैं करीब एक घंटा उन दोनों के साथ रहा और दोनों लोग मेरे बहुत अच्छे दोस्त बन गए.
उसके बाद आते जाते मैं भाभी से बात भी कर लेता था, वो भी मुझसे बहुत अच्छे से बात करती थीं. भाभी की मासूम मुस्कराहट से मेरा दिल खुश हो जाता था.
करीब 3 महीने में मैं और भाभी अच्छे दोस्त बन गए थे. भैया जनरली टूर पर रहते थे, तो भाभी मुझसे बात करके अपने दिल का हाल भी बता देती थीं.
नवम्बर के महीने में सर्दी शुरू हो जाती है. उनके फ्लोर पर धूप कम ही आती थी.
एक शनिवार को भाभी के घर उनकी आया नहीं आई थी और मैं घर पर था. मैं दूध लेने नीचे जा रहा था, तो भाभी मिल गईं.
भाभी- आज ऑफिस नहीं गए?
मैं- आज ऑफ है भाभी.
भाभी- कहां जा रहे हो?
मैं- भाभी दूध लेने मार्केट जा रहा हूँ … आज टिफिन भी नहीं आया है, तो कुछ खाने का भी लाना है.
भाभी- ठीक है … प्लीज़ एक लीटर दूध मेरे लिए भी ला दो, आज आया भी नहीं आई और तुम्हारे भैया भी बाहर गए हैं.
मैंने ओके कहा और चला गया. फिर मैंने दूध लाकर उनको दे दिया और ऊपर आ गया. थोड़ी देर में भाभी ऊपर छत पर आईं, तब मुझे पता चला कि वो हर रोज धूप के लिए ऊपर आ जाती थीं … क्योंकि छत का दरवाजा खुला ही रहता था.
मैं- अरे भाभी आप ऊपर … इतना बड़ा सर्प्राइज़!
भाभी- मैं तो हर रोज ऊपर आती हूँ, नीचे धूप नहीं आती है न … और बेटे की हर रोज मालिश करनी होती है.
उस समय भाभी ने सलवार सूट पहना हुआ था, जिसमें वो बहुत सुंदर लग रही थीं.
मेरे मन में उनके लिए आज तक कभी कुछ बुरा ख्याल नहीं था … लेकिन आज उनको देखा तो मन बदलने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.