15-06-2022, 01:31 PM
मैं और बुआ वापस कमरे की तरफ आने लगे. कमरे के पास पहुंच कर बुआ रुक गई और मैं अंदर आ गया. मैंने कमरे की जाली से झांक कर देखा कि बुआ अपनी चूत को फैला कर नीचे बैठी थी और पेशाब कर रही थी. कमरे की लाइट में बुआ की चूत हल्की सी दिख रही थी. फिर वो कुछ फुसफुसाते हुए उठी और कमरे की तरफ आने लगी.
अंदर आई तो मैं बेड पर लेटा हुआ था. फिर वो कहने लगी- पप्पू, आज हमारे पास वह अधूरा काम करने का मौका है.
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मुझे कुछ समझ नहीं आया.
वो बोली- जिस दिन तुम मेरे घर में मेरी मालिश कर रहे थे. उस दिन कुछ अधूरा रह गया था.
बुआ की चुदास भरी बातें सुन कर ही मेरा लंड टाइट होने लगा था.
इससे पहले कि मैं कुछ कहता बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रखवा दिया. मैं बुआ की तरफ देखने लगा तो बुआ बोली कि मेरे बदन के दो अंगों को तो उस दिन तूने छुआ भी नहीं था.
अब बुआ साफ साफ शब्दों में सेक्स करने का निमंत्रण दे रही थी. मैंने भी तुरंत उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर कर भींचना शुरू कर दिया.
दो मिनट के बाद ही उनके मुंह से सीत्कार निकलने लगे. वो बोली- आह्ह … पप्पू, जब से मैंने तेरे लंड को अपने हाथ से छुआ था तब से ही मैं इस पल का इंतजार कर रही थी.
अंदर आई तो मैं बेड पर लेटा हुआ था. फिर वो कहने लगी- पप्पू, आज हमारे पास वह अधूरा काम करने का मौका है.
मैंने अनजान बनते हुए कहा- मुझे कुछ समझ नहीं आया.
वो बोली- जिस दिन तुम मेरे घर में मेरी मालिश कर रहे थे. उस दिन कुछ अधूरा रह गया था.
बुआ की चुदास भरी बातें सुन कर ही मेरा लंड टाइट होने लगा था.
इससे पहले कि मैं कुछ कहता बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रखवा दिया. मैं बुआ की तरफ देखने लगा तो बुआ बोली कि मेरे बदन के दो अंगों को तो उस दिन तूने छुआ भी नहीं था.
अब बुआ साफ साफ शब्दों में सेक्स करने का निमंत्रण दे रही थी. मैंने भी तुरंत उनकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर कर भींचना शुरू कर दिया.
दो मिनट के बाद ही उनके मुंह से सीत्कार निकलने लगे. वो बोली- आह्ह … पप्पू, जब से मैंने तेरे लंड को अपने हाथ से छुआ था तब से ही मैं इस पल का इंतजार कर रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.