15-06-2022, 01:26 PM
जब मैं सो रहा होता था तो वो सुबह मुझे उठाने के बहाने मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर देखा करती थी. मैंने कई बार उनको मेरे लंड को छेड़ते हुए देखा था. लेकिन मैं इस बारे में किसी से कुछ कह भी नहीं सकता था.
ऐसे ही दिन निकल गये और मैं पढ़ाई करने के लिए रायपुर शहर आ गया. अब मेरे फूफा जी की उम्र भी काफी हो गई थी. जब भी मैं छुट्टियों में अपने गांव जाता था तो मेरी बुआ मेरे सामने अपनी साड़ी को जांघों तक उठा कर बैठ जाती थी. मेरे पैरों पर अपने पैरों को रगड़ती थी.
अब तक मेरे अंदर भी चूत चोदने की प्यास प्रबल हो चुकी थी. इधर मेरी बुआ की चूत की खुजली भी पहले से ज्यादा बढ़ चुकी थी. जब फूफा जवान थे तो बुआ की चुदाई करके उनको शांत रखते थे. मगर अब फूफा की उम्र ज्यादा हो गई थी और बुआ की चूत प्यासी रहने लगी थी.
एक बार तीज के त्यौहार पर मैं अपनी बड़ी बुआ को लेने उनके घर गया. मेरी बाकी दो बुआ को पापा लेने गये थे. जब मैं बुआ के घर पहुंचा तो वो मुझे देख कर काफी खुश हो गयी. मैंने उनके पैर छुए और फिर कुछ बातें कीं.
रात में हम लोगों ने साथ में खाना खाया. बुआ के घर में तीन कमरे थे. एक में बुआ और फूफा सोते थे. दूसरे में उनके लड़के लोग सोते थे और तीसरा कमरा गेस्ट के लिए रखा हुआ था. सोने के समय पर मैं गेस्टरूम में था.
ऐसे ही दिन निकल गये और मैं पढ़ाई करने के लिए रायपुर शहर आ गया. अब मेरे फूफा जी की उम्र भी काफी हो गई थी. जब भी मैं छुट्टियों में अपने गांव जाता था तो मेरी बुआ मेरे सामने अपनी साड़ी को जांघों तक उठा कर बैठ जाती थी. मेरे पैरों पर अपने पैरों को रगड़ती थी.
अब तक मेरे अंदर भी चूत चोदने की प्यास प्रबल हो चुकी थी. इधर मेरी बुआ की चूत की खुजली भी पहले से ज्यादा बढ़ चुकी थी. जब फूफा जवान थे तो बुआ की चुदाई करके उनको शांत रखते थे. मगर अब फूफा की उम्र ज्यादा हो गई थी और बुआ की चूत प्यासी रहने लगी थी.
एक बार तीज के त्यौहार पर मैं अपनी बड़ी बुआ को लेने उनके घर गया. मेरी बाकी दो बुआ को पापा लेने गये थे. जब मैं बुआ के घर पहुंचा तो वो मुझे देख कर काफी खुश हो गयी. मैंने उनके पैर छुए और फिर कुछ बातें कीं.
रात में हम लोगों ने साथ में खाना खाया. बुआ के घर में तीन कमरे थे. एक में बुआ और फूफा सोते थे. दूसरे में उनके लड़के लोग सोते थे और तीसरा कमरा गेस्ट के लिए रखा हुआ था. सोने के समय पर मैं गेस्टरूम में था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.