15-06-2022, 07:12 AM
कामना की गहरी आहें उनकी कानों में जाते ही गिल साहब की मन में खुशी से लड्डू फूटने लगे। उनको फ़ौरन समाज में आ गया की यह चटकदार रंड अब अपने इच्छा अनुसार उपभोग करने के लिये अच्छी तरह तैयार है। लोहा गरम हो चुका, अब हथोड़ा मार देना चाहिये। समय बर्बाद ना करते हुए, उन्होंने ने उसकी गीली चूत से अपनी उंगलियां निकल ली और उसे डांस फ्लोर और पार्टी दोनों से बाहर निकाल ले आये। दोनों सीधे उनकी बड़े से माकन के अंदर जाकर घुसे। दो मंजिला माकन के अंदर कुलमिलाकर पांच कमरे हैं, निचे दो और ऊपर तीन। और सब ही बहुत बड़े है। नीच का दो कमरा महेमान और नौकड़ के लिए है, जो अभी कामना के पियक्कड़ पति रोहित और एक पुराना खानसामा ने ले रक्खें है। ऊपर बाला तीन कमरे को एक मास्टर बेडरूम, एक दूसरा बेडरूम और एक स्टडीरूम बनाया गया है। उन पांच कमरों के अलावा, माकन में दो बड़े बाथरूम, एक बड़ा किचन, एक बड़ा हॉल और दो लम्बे से बालकनी भी है।
गिल साहब ने कामना को ऊपर मास्टर बेडरूम में ले गये। कमरे में जाते ही उन्होंने दरवाजा बंध कर दिये। एक बार फिर उन्होंने उसे अपनी बाहों में ले लिये और उसे चूमने के लिये झुके। उसने भी पूर्ण सहयोग दिखाई और उन्हें अपने नरम होठों को जुनून के साथ चूमने दि। उनके होंठ उसकी होंठो से लॉक होते ही उन्होंने अपनी दोनों हाथ उसकी बॉडीकॉन के ऊपर से गांड पर रख दिये। फिर उसकी टाइट पोशाक को ऊपर खींचकर उसकी विशाल गांड को नंगा कर डाला। और फिर दोनों हाथों से अच्छे से दबाने लगे। जवाब में वह भी अपनी दाहिना हाथ उनके लोहे जैसे सख्त लंड को उनकी पैंट के ऊपर से पकड़ लिया। पैंट के ऊपर से ही उसे लगा की उनकी लंड अपने मालिक के जैसे ही काफी ज्यादा बड़ा है। उसने झट से चैन नीचे खींची और अपना हाथ उनकी पैंट के अंदर डाल दि। महाबीर गिल ने जांघिया पहन रखे थे। थोड़ी देर टटोलने के बाद कामना जांघिया और पैंट के अंदर से उनकी लंड को बहार निकालने में सफल हुई। अब चौंकने की बारी उसकी थी। वह सही थी। वाकई में गिल साहब की लंड जरूरत से ज्यादा बड़ा निकला। ऐसे प्रकांड लंड उसने सिर्फ विदेशी ब्लू फिल्मों में देखि है। लंड विभाग में गिल साहब उसकी पति को आसानी से दस गोल मारेंगे। रोहित का लंड इनकी आकार का आधा भी नहीं है। ऐसी विपुल लंड कोई भारतीय का भी हो सकता है, यह वह कल्पना भी नहीं कर सकती। शानदार लंबाई और असाधारण परिधि, यह लंड एकदम अनोखा है। यह इतना बड़ा है कि केवल एक हाथ उपयोग करके इसे ठीक तरह से पकड़ा नहीं जा सकता। कामना इस अजीबोगरीब लंड के प्यार में गिर गयी और एकाएक हल्के हाथ से उसको रगड़ने लगी।
उसकी बेहया आचरण से खुश हो कर उन्होंने उसके कानों में फुसफुसा कर छेड़ते हुये पूछा, "तुम्हें हमारे औजार पसंद है, है ना? क्या तुम्हारे पति का इससे बड़ा है?"
और वह उनकी विकट लंड से इतनी मंत्रमुग्ध थी कि वह अपने मन की बात तुरंत बोल डाली, "मुझे यह बहुत पसंद है। उनसे काफी बड़ा है। बहुत ही बड़ा। उनके तो आधे भी नहीं होंगे। उनका बहुत छोटा है। बिलकुल बच्चे जैसा।"
ऐसे कीमती जानकारी से महाबीर गिल बहुत ही प्रसन्ना हुये और हंसते हुए उसे थोड़ा और छेड़ा, "ऐसा क्या? तब तो तुम्हे आज बहुत ही मजा आनेवाला है। हमारे जैसे असली मर्द से जो टांका फेरा है। अब अपने हाथ को थोड़ा आराम दो। हमे मुँह में लो। हमे भी तो थोड़ा मजा मिले।"
कामना ने कभी भी अपने पति की लुल्ली को अपनी मुँह में नहीं लिये। रोहित है ही इतने अपरिवर्तनवादी के उसको कभी भी यह सब नहीं करना। वह पूरी तरह से ओरल और आनल सेक्स के खिलाफ है। वह संभोग क्रिया में बिलकुल ही दयनीय है। उसके सामने बिस्तर पर हमेशा अजीब हो जाते है। कभी नहीं समझ पाये कि अपनी सुंदर पत्नी की गर्म शरीर के साथ आखिर क्या करना है। अपने बेअक़ल पतिदेव का एहि रूढ़िवादी सोच और अनाड़ीपन कामना को नई चीजों को आजमाने के लिए कब का बेताब बना दिये थे। इसलिए जब उन्होंने अपने विशाल लिंग को उसके गर्म मुंह में डालने की ख्वाहिश बयान किये, तब वह भी तुरंत मान गयी। लिंग रगड़ना बंद करके उनके सामने अपने घुटनो की बल बैठ गयी। वह घुटने के बल बैठते ही वह उनकी प्रकांड लंड को अपनी खूबसूरत चेहरे के ठीक सामने लटकता पाया। उस अतिमानवीय लंड को इतना करीब से देखकर, उसे वो और भी ज्यादा बड़ा लगा। वह खुद को रोक ना पाई और फट से उसको अपनी दोनों हाथो से पकड़ ली। उनका शानदार लिंग उसे इतनी ललचाने वाला लगी की, वह उसकी बड़ा सा मुख को जल्दी से चाट लिये। उसे वो काफी स्वादिष्ट लगे। फिर वह नहीं रुकी और विशालकाय लिंग के पुरे लंबाई को अच्छे से चटा। चाट चाट के उसको पूरा गिला कर दिया।
गिल साहब बहुत संतुष्ट हुये। यह सौदा उनके लिए काफी लाभदायक हो रहा है। कामना सचमुच में रंडी निकली। वह जानती है कि एक असली मर्द को कैसे खुश करनी है। ताकि वह आसानी से अपने काम कर पाये, इसलिए उन्होंने उसे जरा ठहरने को कहा,"थोड़ा रुक जाओ डार्लिंग। हम अपने पैंट उतर ले। इसे तुम्हे आसानी होगी। तुम और भी अच्छे से हमको खुश कर सकोगी। तुम भी अपना कपड़े उतर दो। तुम तो हमे देख चुकी हो। तुम्हे हम पसंद भी आ गये। अब हमे भी तो तुम्हे पूरा देखना चाहिये। हमे भी तो जानना है तुम यह हॉट ड्रेस की अंदर क्या छुपा के राखी हो।"
कामना उनके बेमिसाल लंड से खेलना बंद नहीं करना चाहती थी। मगर गिल साहब का अभिलाषा को नकारना उसके लिये असम्भब है। वह लिंग छोड़रार खड़े हो गयी और धीरे धीरे कर के अपनी निहायत कसी हुई पोशाक को अपने सुडौल बदन से उतर के पूरी तरह से नंगी हो गयी। सिर्फ अपनी जूते नहीं उतरे। पैरों में हाई हील्स पहनी रही। जूते पहने रहने से वह और भी ज्यादा सेक्सी दिख रही थी। दूसरे तरफ, महाबीर गिल भी अपने सभी पोशाक उतर के पुरे नंगे हो चुके थे। एक मिनट के लिए दोनों ने लालची निगाहों से एक दूसरे को अच्छी तरह से नापा। दोनों ही एक दूसरे की आकर्षक शरीर से काफी प्रभावित हुये। एक ओर, उन्हें उसकी भरा हुआ बदन पर बड़े मम्मे और गोल उभड़ता हुआ विशाल गांड पसंद आये। दूसरी ओर, उनकी महाकाय लिंग की तरह, उनके पेशी बहुल ताकतवर शरीर उसे लुभा गई। पलों में, दोनों ही वासना के आग में जल कर राख हो गये और अपने बाहें फैलाकर एक दूसरे को अपनी छाती से लगा लिये। पुरे एक मिनट के लिये दोनों एक दूसरे से चिपके रहे। उसकी नरम स्तन उनकी मजबूत छाती पर दबे रहे। उसकी कोमल स्पर्श उन्हें और भी अधिक उत्तेजित कर डाला। वह अब अपने तेजस्वी लिंग को उसकी गर्म मुंह के अंदर डालने के लिये बहुत उत्सुक हो उठे।
"अब और देर ना करो डार्लिंग। प्यासा कब तक ऐसे ही कुएं के पास बिना पानी पिये सिर्फ खड़ा रहेगा? जो सुरु की थी, उसे अब फिर से चालू कर दो।"
उनकी उत्सुकता देख कर कामना ने बड़े ईमानदारी से उनकी फ़रमान तामील करने की कोशिश किये। वह फिर से उनके सामने अपने घुटनों की बल पर बैठ गयी। उसकी नजर गिल साहब की मुंडा अंडकोष के ऊपर जाकर गिरी, जो उनके लंड की जैसा ही काफी बड़े आकर के है। वह फिर से उनकी लंड को चाटने लगी। कुछ देर चाटने की बाद, उसने उस विशालकाय लंड का एक छोटे से हिस्से को अपनी मुँह में ले ली और चूसने लगी। उसकी ज्वालामुखी जैसी गर्म मुँह के अंदर अपना लंड डाल कर उन्हें बहुत आनंद मिला। वह उत्तेजित हो उठे और अपने दाहिने हाथ से उसकी सिर के पिछले हिस्से को पकड़ लिये। दृढ़ हाथो से उसकी सर पकड़ कर वह अपने प्रकांड लंड को उसके गरम मुंह की और गहराई में डालने की कोशिश किये। उनकी पकड़ इतने मजबूर थे कि वह अपने सिर को हिला भी ना पाई और उसका फ़ायदा उठा कर भरी बलबूटी से उन्होंने अपना विकट लंड को उसके गले की गहराई में धकेल दिये। उसके लिये ठीक तरह से सांस लेना मुश्किल हो गया। उसकी दम घुंटने लगी। उसकी आंखो से भी पानी निकल गया। मगर उन्होंने उसे नहीं छोड़ा। अपने कसी हुई पकड़ को एक मिनट के लिये भी ढीली नहीं होने दी। जब उसे समझ आ गया कि ऐसी आसानी से रिहाई नहीं मिलेगी, तब वह खुद ही अपने गले के अंदर उनके अतिमानव लंड की आदत डालने की दिलोजान से कोशिश की।
थोड़ी कोशिश करने के बाद, कामना को उस राक्षशी लंड की विशाल लंबाई से आदत पर गई। इससे गिल साहब को बड़ी खुशी हुई। उन्होंने शाबाशी देते हुए हर्ष स्वर में कहे, "ओह डार्लिंग! तुम हमारे लंड चूसते हुए कितनी हॉट लग रही हो! क्या बढ़िया चूस रही हो! बिलकुल मज़ा आ गया! वाह! वाह! बहुत खूब! ठीक यही तो हम तुमसे उम्मीद करते है! बहुत अच्छा कर रही हो! चुसती जाओ। अब मत रुकना!"
उसके गरम मुँह से अपने लंड चुसवाकर वह इतनी उत्तेजित हो परे की, अपने भीमकाय लंड को उसकी अब अभ्यस्त मुंह में पंप करना शुरू कर दिया। मगर तब तक वह अच्छी तरह से चूसना सीख चुकी थी। अपनी गर्म मुंह की गहराईओं में उस विशालकाय लंड ने पंपिंग चालू करने के बाद भी, वह नहीं घबराई और अपनी सांसे बचाने के लिए, उसे डीप थ्रोट करने लग पारी। उसकी दाँव-पेच काम करने लगी। गिल साहब के लिए और ज्यादा सहन करना बहुत कठिन हो गया। उन्होंने खुद को ज्यादा देर तक रोक नहीं पाए और दो मिनट के अंदर ही उसकी गर्म मुँह के अंदर वीर्यपात कर बसे। वीर्यपात करने के बाद भी उन्होंने कामना को अपनी स्थान से हिलने नहीं दिए। उन्होंने उसके सिर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाये रखते हुए अपने वीर्य डालते रहें लंड को उसके गर्म मुंह पर दबाये रखा। मजबूरन उसे भी उनकी गर्म वीर्य को निगलनी पारी। मगर वीर्य इतने ज़्यादा थे की वह पूरी निगल ना पाई और उसकी होंटो के किनारे से कुछ बहार निकाल के उसकी नंगी मम्मे के ऊपर जा कर गिरा।
जब कामना उनकी लगभग पूरा वीर्य निगल लेती हैं, तब जा कर गिल साहब उस पर अपनी कड़ी पकड़ छोड़ देते हैं। एक बार उन्हें संतुष्टि मिल गया, तब उन्होंने अपने खूबसूरत साथी को वही सुख देनी की वासना व्यक्त किये, "ओह डार्लिंग! तुम तो कमाल कर दिये। क्या गर्म मुँह हे! क्या बढ़िया जलवा दिखाए! बिलकुल टॉप क्लास! दिल एकदम खुस कर दिये हो! अब हमे भी सेवा करने का एक मौका दो। हम भी तुमको थोड़ा खुस करना चाहेंगे। इतना हक़ तो तुम्हारा बनता है।"
यह एक अत्युत्तम प्रस्ताव है। कामना ने तुरंत स्वीकार कर ली। पहले से ही उसकी सांस फूल रहा था। उसे बहुत पसीना भी आ रहा था। साथ ही उनकी प्रकांड लंड को चूसते चूसते वह खूब भी बड़ी गरम हो चुकी थी। गिल साहब की सेवा का मतलब है कि उसे थोड़ा आराम मिलने के साथ मजा भी मिल जायेगा। जैसे ही उनके प्रस्ताव स्वीकारा गया, उन्होंने फ़ौरन उसे बिस्तर पर ले गये। उन्होंने उसे बिस्तर के किनारे से अपने पैर लटका कर अपनी पीठ के बल लेटने को कहा। जैसे ही वह बिस्तर पर लेट गई, उन्होंने बिलकुल उसके दो टांगों की बिच में जा कर अपने दोनों घुटने जमीन पर टेक दिये। फिर अपना मुँह उसकी गीली चूत पे डुबोकर लोलुपता से चाटने लगे। गिल साहब चाटने में बहुत माहिर है। पलक मारते ही, कामना की गरम बदन के सभी नसों में कामवासना के आग लग गया। अनियंत्रित सुख पा कर उसकी मुंह से जोरो जोरो से चीखें निकलने लगी।
"हे भगवान! में तो मर गयी! आप तो मुझे मर ही डालोगे! उफ़! माँ! में तो पूरी पागल हो जाउंगी! ओह! चाटो, मुझे आप और चाटो! चाट चाट के ही मेरा पानी निकल दो! आह!"
और उन्होंने ठीक वैसा ही किया। उसकी गीली चूत को अपनी लम्बी जीभ से चाटते रहे। चाटते वक़्त समय समय में, उसकी नाज़ुक भगशेफ को मुँह में ले कर चूस भी दिये। अपनी कामुक चूत को ऐसे निपुण तरीके से चाटवाकर उसे इतना अपार सुख मिला की वह खुद को संभाल ना पाई और मिनटों में ही अपना पानी छोड़ दि। एक माहिर खिलाडी की चतुर मुँह ने उसकी पूरी बदन को झंझोर के रख दिया। पानी निकलने वक़्त उसकी भारा हुआ बदन थरथर कांपने लगी। शरीर को चकनाचूर करके रख देने वाला चरमोत्कर्ष ने उसकी दिमाग के तारों को एक ही झटके में उड़ा दिया। थोड़ी देर के लिए तो वह बेहोश हो गयी। परंतु वह जानती नहीं के उसकी अपरिसीम आनंद को प्राप्त करने का समय निश्चित रूप से अभी भी खत्म ना हुई।
गिल साहब ने कामना को ऊपर मास्टर बेडरूम में ले गये। कमरे में जाते ही उन्होंने दरवाजा बंध कर दिये। एक बार फिर उन्होंने उसे अपनी बाहों में ले लिये और उसे चूमने के लिये झुके। उसने भी पूर्ण सहयोग दिखाई और उन्हें अपने नरम होठों को जुनून के साथ चूमने दि। उनके होंठ उसकी होंठो से लॉक होते ही उन्होंने अपनी दोनों हाथ उसकी बॉडीकॉन के ऊपर से गांड पर रख दिये। फिर उसकी टाइट पोशाक को ऊपर खींचकर उसकी विशाल गांड को नंगा कर डाला। और फिर दोनों हाथों से अच्छे से दबाने लगे। जवाब में वह भी अपनी दाहिना हाथ उनके लोहे जैसे सख्त लंड को उनकी पैंट के ऊपर से पकड़ लिया। पैंट के ऊपर से ही उसे लगा की उनकी लंड अपने मालिक के जैसे ही काफी ज्यादा बड़ा है। उसने झट से चैन नीचे खींची और अपना हाथ उनकी पैंट के अंदर डाल दि। महाबीर गिल ने जांघिया पहन रखे थे। थोड़ी देर टटोलने के बाद कामना जांघिया और पैंट के अंदर से उनकी लंड को बहार निकालने में सफल हुई। अब चौंकने की बारी उसकी थी। वह सही थी। वाकई में गिल साहब की लंड जरूरत से ज्यादा बड़ा निकला। ऐसे प्रकांड लंड उसने सिर्फ विदेशी ब्लू फिल्मों में देखि है। लंड विभाग में गिल साहब उसकी पति को आसानी से दस गोल मारेंगे। रोहित का लंड इनकी आकार का आधा भी नहीं है। ऐसी विपुल लंड कोई भारतीय का भी हो सकता है, यह वह कल्पना भी नहीं कर सकती। शानदार लंबाई और असाधारण परिधि, यह लंड एकदम अनोखा है। यह इतना बड़ा है कि केवल एक हाथ उपयोग करके इसे ठीक तरह से पकड़ा नहीं जा सकता। कामना इस अजीबोगरीब लंड के प्यार में गिर गयी और एकाएक हल्के हाथ से उसको रगड़ने लगी।
उसकी बेहया आचरण से खुश हो कर उन्होंने उसके कानों में फुसफुसा कर छेड़ते हुये पूछा, "तुम्हें हमारे औजार पसंद है, है ना? क्या तुम्हारे पति का इससे बड़ा है?"
और वह उनकी विकट लंड से इतनी मंत्रमुग्ध थी कि वह अपने मन की बात तुरंत बोल डाली, "मुझे यह बहुत पसंद है। उनसे काफी बड़ा है। बहुत ही बड़ा। उनके तो आधे भी नहीं होंगे। उनका बहुत छोटा है। बिलकुल बच्चे जैसा।"
ऐसे कीमती जानकारी से महाबीर गिल बहुत ही प्रसन्ना हुये और हंसते हुए उसे थोड़ा और छेड़ा, "ऐसा क्या? तब तो तुम्हे आज बहुत ही मजा आनेवाला है। हमारे जैसे असली मर्द से जो टांका फेरा है। अब अपने हाथ को थोड़ा आराम दो। हमे मुँह में लो। हमे भी तो थोड़ा मजा मिले।"
कामना ने कभी भी अपने पति की लुल्ली को अपनी मुँह में नहीं लिये। रोहित है ही इतने अपरिवर्तनवादी के उसको कभी भी यह सब नहीं करना। वह पूरी तरह से ओरल और आनल सेक्स के खिलाफ है। वह संभोग क्रिया में बिलकुल ही दयनीय है। उसके सामने बिस्तर पर हमेशा अजीब हो जाते है। कभी नहीं समझ पाये कि अपनी सुंदर पत्नी की गर्म शरीर के साथ आखिर क्या करना है। अपने बेअक़ल पतिदेव का एहि रूढ़िवादी सोच और अनाड़ीपन कामना को नई चीजों को आजमाने के लिए कब का बेताब बना दिये थे। इसलिए जब उन्होंने अपने विशाल लिंग को उसके गर्म मुंह में डालने की ख्वाहिश बयान किये, तब वह भी तुरंत मान गयी। लिंग रगड़ना बंद करके उनके सामने अपने घुटनो की बल बैठ गयी। वह घुटने के बल बैठते ही वह उनकी प्रकांड लंड को अपनी खूबसूरत चेहरे के ठीक सामने लटकता पाया। उस अतिमानवीय लंड को इतना करीब से देखकर, उसे वो और भी ज्यादा बड़ा लगा। वह खुद को रोक ना पाई और फट से उसको अपनी दोनों हाथो से पकड़ ली। उनका शानदार लिंग उसे इतनी ललचाने वाला लगी की, वह उसकी बड़ा सा मुख को जल्दी से चाट लिये। उसे वो काफी स्वादिष्ट लगे। फिर वह नहीं रुकी और विशालकाय लिंग के पुरे लंबाई को अच्छे से चटा। चाट चाट के उसको पूरा गिला कर दिया।
गिल साहब बहुत संतुष्ट हुये। यह सौदा उनके लिए काफी लाभदायक हो रहा है। कामना सचमुच में रंडी निकली। वह जानती है कि एक असली मर्द को कैसे खुश करनी है। ताकि वह आसानी से अपने काम कर पाये, इसलिए उन्होंने उसे जरा ठहरने को कहा,"थोड़ा रुक जाओ डार्लिंग। हम अपने पैंट उतर ले। इसे तुम्हे आसानी होगी। तुम और भी अच्छे से हमको खुश कर सकोगी। तुम भी अपना कपड़े उतर दो। तुम तो हमे देख चुकी हो। तुम्हे हम पसंद भी आ गये। अब हमे भी तो तुम्हे पूरा देखना चाहिये। हमे भी तो जानना है तुम यह हॉट ड्रेस की अंदर क्या छुपा के राखी हो।"
कामना उनके बेमिसाल लंड से खेलना बंद नहीं करना चाहती थी। मगर गिल साहब का अभिलाषा को नकारना उसके लिये असम्भब है। वह लिंग छोड़रार खड़े हो गयी और धीरे धीरे कर के अपनी निहायत कसी हुई पोशाक को अपने सुडौल बदन से उतर के पूरी तरह से नंगी हो गयी। सिर्फ अपनी जूते नहीं उतरे। पैरों में हाई हील्स पहनी रही। जूते पहने रहने से वह और भी ज्यादा सेक्सी दिख रही थी। दूसरे तरफ, महाबीर गिल भी अपने सभी पोशाक उतर के पुरे नंगे हो चुके थे। एक मिनट के लिए दोनों ने लालची निगाहों से एक दूसरे को अच्छी तरह से नापा। दोनों ही एक दूसरे की आकर्षक शरीर से काफी प्रभावित हुये। एक ओर, उन्हें उसकी भरा हुआ बदन पर बड़े मम्मे और गोल उभड़ता हुआ विशाल गांड पसंद आये। दूसरी ओर, उनकी महाकाय लिंग की तरह, उनके पेशी बहुल ताकतवर शरीर उसे लुभा गई। पलों में, दोनों ही वासना के आग में जल कर राख हो गये और अपने बाहें फैलाकर एक दूसरे को अपनी छाती से लगा लिये। पुरे एक मिनट के लिये दोनों एक दूसरे से चिपके रहे। उसकी नरम स्तन उनकी मजबूत छाती पर दबे रहे। उसकी कोमल स्पर्श उन्हें और भी अधिक उत्तेजित कर डाला। वह अब अपने तेजस्वी लिंग को उसकी गर्म मुंह के अंदर डालने के लिये बहुत उत्सुक हो उठे।
"अब और देर ना करो डार्लिंग। प्यासा कब तक ऐसे ही कुएं के पास बिना पानी पिये सिर्फ खड़ा रहेगा? जो सुरु की थी, उसे अब फिर से चालू कर दो।"
उनकी उत्सुकता देख कर कामना ने बड़े ईमानदारी से उनकी फ़रमान तामील करने की कोशिश किये। वह फिर से उनके सामने अपने घुटनों की बल पर बैठ गयी। उसकी नजर गिल साहब की मुंडा अंडकोष के ऊपर जाकर गिरी, जो उनके लंड की जैसा ही काफी बड़े आकर के है। वह फिर से उनकी लंड को चाटने लगी। कुछ देर चाटने की बाद, उसने उस विशालकाय लंड का एक छोटे से हिस्से को अपनी मुँह में ले ली और चूसने लगी। उसकी ज्वालामुखी जैसी गर्म मुँह के अंदर अपना लंड डाल कर उन्हें बहुत आनंद मिला। वह उत्तेजित हो उठे और अपने दाहिने हाथ से उसकी सिर के पिछले हिस्से को पकड़ लिये। दृढ़ हाथो से उसकी सर पकड़ कर वह अपने प्रकांड लंड को उसके गरम मुंह की और गहराई में डालने की कोशिश किये। उनकी पकड़ इतने मजबूर थे कि वह अपने सिर को हिला भी ना पाई और उसका फ़ायदा उठा कर भरी बलबूटी से उन्होंने अपना विकट लंड को उसके गले की गहराई में धकेल दिये। उसके लिये ठीक तरह से सांस लेना मुश्किल हो गया। उसकी दम घुंटने लगी। उसकी आंखो से भी पानी निकल गया। मगर उन्होंने उसे नहीं छोड़ा। अपने कसी हुई पकड़ को एक मिनट के लिये भी ढीली नहीं होने दी। जब उसे समझ आ गया कि ऐसी आसानी से रिहाई नहीं मिलेगी, तब वह खुद ही अपने गले के अंदर उनके अतिमानव लंड की आदत डालने की दिलोजान से कोशिश की।
थोड़ी कोशिश करने के बाद, कामना को उस राक्षशी लंड की विशाल लंबाई से आदत पर गई। इससे गिल साहब को बड़ी खुशी हुई। उन्होंने शाबाशी देते हुए हर्ष स्वर में कहे, "ओह डार्लिंग! तुम हमारे लंड चूसते हुए कितनी हॉट लग रही हो! क्या बढ़िया चूस रही हो! बिलकुल मज़ा आ गया! वाह! वाह! बहुत खूब! ठीक यही तो हम तुमसे उम्मीद करते है! बहुत अच्छा कर रही हो! चुसती जाओ। अब मत रुकना!"
उसके गरम मुँह से अपने लंड चुसवाकर वह इतनी उत्तेजित हो परे की, अपने भीमकाय लंड को उसकी अब अभ्यस्त मुंह में पंप करना शुरू कर दिया। मगर तब तक वह अच्छी तरह से चूसना सीख चुकी थी। अपनी गर्म मुंह की गहराईओं में उस विशालकाय लंड ने पंपिंग चालू करने के बाद भी, वह नहीं घबराई और अपनी सांसे बचाने के लिए, उसे डीप थ्रोट करने लग पारी। उसकी दाँव-पेच काम करने लगी। गिल साहब के लिए और ज्यादा सहन करना बहुत कठिन हो गया। उन्होंने खुद को ज्यादा देर तक रोक नहीं पाए और दो मिनट के अंदर ही उसकी गर्म मुँह के अंदर वीर्यपात कर बसे। वीर्यपात करने के बाद भी उन्होंने कामना को अपनी स्थान से हिलने नहीं दिए। उन्होंने उसके सिर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाये रखते हुए अपने वीर्य डालते रहें लंड को उसके गर्म मुंह पर दबाये रखा। मजबूरन उसे भी उनकी गर्म वीर्य को निगलनी पारी। मगर वीर्य इतने ज़्यादा थे की वह पूरी निगल ना पाई और उसकी होंटो के किनारे से कुछ बहार निकाल के उसकी नंगी मम्मे के ऊपर जा कर गिरा।
जब कामना उनकी लगभग पूरा वीर्य निगल लेती हैं, तब जा कर गिल साहब उस पर अपनी कड़ी पकड़ छोड़ देते हैं। एक बार उन्हें संतुष्टि मिल गया, तब उन्होंने अपने खूबसूरत साथी को वही सुख देनी की वासना व्यक्त किये, "ओह डार्लिंग! तुम तो कमाल कर दिये। क्या गर्म मुँह हे! क्या बढ़िया जलवा दिखाए! बिलकुल टॉप क्लास! दिल एकदम खुस कर दिये हो! अब हमे भी सेवा करने का एक मौका दो। हम भी तुमको थोड़ा खुस करना चाहेंगे। इतना हक़ तो तुम्हारा बनता है।"
यह एक अत्युत्तम प्रस्ताव है। कामना ने तुरंत स्वीकार कर ली। पहले से ही उसकी सांस फूल रहा था। उसे बहुत पसीना भी आ रहा था। साथ ही उनकी प्रकांड लंड को चूसते चूसते वह खूब भी बड़ी गरम हो चुकी थी। गिल साहब की सेवा का मतलब है कि उसे थोड़ा आराम मिलने के साथ मजा भी मिल जायेगा। जैसे ही उनके प्रस्ताव स्वीकारा गया, उन्होंने फ़ौरन उसे बिस्तर पर ले गये। उन्होंने उसे बिस्तर के किनारे से अपने पैर लटका कर अपनी पीठ के बल लेटने को कहा। जैसे ही वह बिस्तर पर लेट गई, उन्होंने बिलकुल उसके दो टांगों की बिच में जा कर अपने दोनों घुटने जमीन पर टेक दिये। फिर अपना मुँह उसकी गीली चूत पे डुबोकर लोलुपता से चाटने लगे। गिल साहब चाटने में बहुत माहिर है। पलक मारते ही, कामना की गरम बदन के सभी नसों में कामवासना के आग लग गया। अनियंत्रित सुख पा कर उसकी मुंह से जोरो जोरो से चीखें निकलने लगी।
"हे भगवान! में तो मर गयी! आप तो मुझे मर ही डालोगे! उफ़! माँ! में तो पूरी पागल हो जाउंगी! ओह! चाटो, मुझे आप और चाटो! चाट चाट के ही मेरा पानी निकल दो! आह!"
और उन्होंने ठीक वैसा ही किया। उसकी गीली चूत को अपनी लम्बी जीभ से चाटते रहे। चाटते वक़्त समय समय में, उसकी नाज़ुक भगशेफ को मुँह में ले कर चूस भी दिये। अपनी कामुक चूत को ऐसे निपुण तरीके से चाटवाकर उसे इतना अपार सुख मिला की वह खुद को संभाल ना पाई और मिनटों में ही अपना पानी छोड़ दि। एक माहिर खिलाडी की चतुर मुँह ने उसकी पूरी बदन को झंझोर के रख दिया। पानी निकलने वक़्त उसकी भारा हुआ बदन थरथर कांपने लगी। शरीर को चकनाचूर करके रख देने वाला चरमोत्कर्ष ने उसकी दिमाग के तारों को एक ही झटके में उड़ा दिया। थोड़ी देर के लिए तो वह बेहोश हो गयी। परंतु वह जानती नहीं के उसकी अपरिसीम आनंद को प्राप्त करने का समय निश्चित रूप से अभी भी खत्म ना हुई।