14-06-2022, 06:19 PM
(This post was last modified: 15-06-2022, 01:59 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरे पड़ोस वाली हरप्रीत दीदी की उम्र 25 साल है. वो पंजाबी परिवार की हैं. पंजाबी गर्ल सेक्सी होती हैं. वो बहुत सुंदर हैं.
दीदी की शादी की उम्र हो चुकी थी पर उनका रिश्ता कहीं नहीं हो पा रहा था क्योंकि उनके पैर में मामूली नुक्स था, उनकी चाल थोड़ी अलग थी.
उनको देख कर मेरा दिल उनकी चुदाई करने का करता था.
उनके और हमारे परिवार में एकदम घर जैसे सम्बन्ध हैं.
मैं इसी अभिलाषा से दीदी के घर जाया करता था कि किसी तरह से दीदी को देख सकूँ और मौक़ा खोज सकूँ कि दीदी को चोद लूं.
एक दिन मेरे घर के सारे लोग कहीं गए हुए थे.
मैं शाम को दीदी के घर गया.
मैंने उनसे कहा- मेरे घर पर आज कोई नहीं है. मैं कुछ देर बाद घर जाऊंगा. अकेले में मेरा मन नहीं लगेगा.
दीदी ने पूछा- घर के सब लोग कहाँ गए हैं?
मैंने बताया- शादी में.
दीदी ने पूछा- तुम क्यों नहीं गए?
मैंने कहा- मेरा मन नहीं था. फिर मम्मी ने एक जन घर पर रुकने के लिए भी कहा था.
दीदी ने ओके कहा.
फिर कुछ देर रूकने के बाद दीदी बोलीं- तू आज यहीं रुक जा!
मैं सोचने लगा कि क्या दीदी भी कुछ मूड में हैं.
वो बोलीं- चल, तेरे घर में ताला लगा आते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
हम दोनों ताला लगाने आ गए.
उस वक्त मेरे घर की लाइट बंद थी, एकदम अंधेरा पड़ा था.
मैं लाइट चालू करने गया तो उसी बीच दीदी किसी चीज़ से टकरा गईं और वो गिर गईं.
उनकी आवाज आई- आह मर गई सोनू … जल्दी आ.
मैंने झट से दीदी को अपनी गोद में उठाया और उन्हें अन्दर कमरे में ले गया.
कमरे में मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया.
मैंने उनसे पूछा- आपको किधर चोट आई है?
तो दीदी ने अपनी गांड पर हाथ फेर कर कहा- मैं एकदम से गिरी थी तो मेरे कूल्हे में दर्द हो रहा है.
मैंने उन्हें पेन किलर गोली दे दी.
अब मैं उनकी लॉन्ग स्कर्ट को ऊपर करके देखने लगा कि कहीं खून आदि तो नहीं निकल रहा है.
मैंने उनकी टांग पर हाथ फेर कर फिर से पूछा- बताओ … कहां दर्द हो रहा है?
दीदी ने कहा- इधर नहीं … थोड़ा ऊपर की तरफ हो रहा है.
मैंने उनकी स्कर्ट और ऊपर की तो दीदी की पैंटी दिख गई. दीदी ने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
फिर मैंने दीदी की टांग में तेल लगाया और उनसे चलने को कहा.
दीदी ने मेरा सहारा लेकर चल कर देखा, वो अब ठीक थीं.
कुछ देर में मैं और दीदी के घर वापस आ गए.
दीदी के घर में 3 रूम थे.
दो कमरों में उनके मम्मी पापा और दादी के लिए थे. तीसरा रूम दीदी का था. उसमें दीदी अकेली रहती थीं.
दीदी की मम्मी ने दीदी से कहा- अब ये कहां सोएगा?
तो दीदी बोलीं- ये मेरे रूम में सो जाएगा. मेरा रूम खाली है. वैसे भी मैं अकेली ही सोती हूँ.
दीदी की मम्मी ने कुछ नहीं कहा.
उसके बाद खाना हुआ और हम दोनों कमरे में आ गए.
दीदी बोलीं- मैं नहा कर आती हूँ.
मैंने कहा- हां ठीक है.
दीदी नहाने चली गईं और मैं लेट गया. दीदी नहा कर बाहर सर निकाल कर देख रही थीं. शायद उनके कपड़े रूम में ही रखे थे.
दीदी ने कहा- सोनू, मेरे कपड़े कमरे में ही रखे हैं. मुझे कमरे में आना है.
मैंने कहा- आप आ जाओ दीदी मैं आंख बंद कर लेता हूँ.
मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं.
वो रूम में पैंटी और ब्रा में ही आ गईं.
कमरे में आकर वो अपने कपड़े पहनने लगीं.
तभी मैं उठ गया और दीदी से पूछा- दीदी पानी कहां रखा है?
मैंने पूछा, तो दीदी डर गईं और उन्होंने झट से अपने बदन पर एक चादर लपेट ली.
मैंने कहा- दीदी, सॉरी … मुझे लगा कि आपने कपड़े पहन लिए हैं.
दीदी- कोई बात नहीं.
कुछ देर और आंख बंद कर, मैं कपड़े पहन लूं.
मैंने कहा- ओके, एक मिनट मैं बाहर ही चला जाता हूँ.
मैं बाहर चला गया.
दस मिनट बाद अन्दर से आवाज आई- सोनू अन्दर आ जा.
मैं अन्दर गया, तो देखा दीदी ने मिनी स्कर्ट और टॉप पहन रखा था.
मैंने पूछा- आप ये पहन कर सोती हैं?
दीदी बोलीं- नहीं रे पागल … आज तू है न … इसलिए पहने हैं.
मैंने कहा- मेरी वजह से आप परेशान हों, ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा. मैं अपने घर जा रहा हूँ.
मैं बाहर जाने लगा.
दीदी- रुक पागल.
मैं- अब क्या हुआ?
दीदी बोलीं- मुझे तेरे रहने से कोई परेशानी नहीं है. तू रूम में आ जा.
मैं रूम में वापस आ गया.
दीदी बोलीं- कोई बात नहीं, एक दिन की ही तो बात है.
अपनी चूत चुदाई का मजा ले लेती हैं
दीदी की शादी की उम्र हो चुकी थी पर उनका रिश्ता कहीं नहीं हो पा रहा था क्योंकि उनके पैर में मामूली नुक्स था, उनकी चाल थोड़ी अलग थी.
उनको देख कर मेरा दिल उनकी चुदाई करने का करता था.
उनके और हमारे परिवार में एकदम घर जैसे सम्बन्ध हैं.
मैं इसी अभिलाषा से दीदी के घर जाया करता था कि किसी तरह से दीदी को देख सकूँ और मौक़ा खोज सकूँ कि दीदी को चोद लूं.
एक दिन मेरे घर के सारे लोग कहीं गए हुए थे.
मैं शाम को दीदी के घर गया.
मैंने उनसे कहा- मेरे घर पर आज कोई नहीं है. मैं कुछ देर बाद घर जाऊंगा. अकेले में मेरा मन नहीं लगेगा.
दीदी ने पूछा- घर के सब लोग कहाँ गए हैं?
मैंने बताया- शादी में.
दीदी ने पूछा- तुम क्यों नहीं गए?
मैंने कहा- मेरा मन नहीं था. फिर मम्मी ने एक जन घर पर रुकने के लिए भी कहा था.
दीदी ने ओके कहा.
फिर कुछ देर रूकने के बाद दीदी बोलीं- तू आज यहीं रुक जा!
मैं सोचने लगा कि क्या दीदी भी कुछ मूड में हैं.
वो बोलीं- चल, तेरे घर में ताला लगा आते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.
हम दोनों ताला लगाने आ गए.
उस वक्त मेरे घर की लाइट बंद थी, एकदम अंधेरा पड़ा था.
मैं लाइट चालू करने गया तो उसी बीच दीदी किसी चीज़ से टकरा गईं और वो गिर गईं.
उनकी आवाज आई- आह मर गई सोनू … जल्दी आ.
मैंने झट से दीदी को अपनी गोद में उठाया और उन्हें अन्दर कमरे में ले गया.
कमरे में मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया.
मैंने उनसे पूछा- आपको किधर चोट आई है?
तो दीदी ने अपनी गांड पर हाथ फेर कर कहा- मैं एकदम से गिरी थी तो मेरे कूल्हे में दर्द हो रहा है.
मैंने उन्हें पेन किलर गोली दे दी.
अब मैं उनकी लॉन्ग स्कर्ट को ऊपर करके देखने लगा कि कहीं खून आदि तो नहीं निकल रहा है.
मैंने उनकी टांग पर हाथ फेर कर फिर से पूछा- बताओ … कहां दर्द हो रहा है?
दीदी ने कहा- इधर नहीं … थोड़ा ऊपर की तरफ हो रहा है.
मैंने उनकी स्कर्ट और ऊपर की तो दीदी की पैंटी दिख गई. दीदी ने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
फिर मैंने दीदी की टांग में तेल लगाया और उनसे चलने को कहा.
दीदी ने मेरा सहारा लेकर चल कर देखा, वो अब ठीक थीं.
कुछ देर में मैं और दीदी के घर वापस आ गए.
दीदी के घर में 3 रूम थे.
दो कमरों में उनके मम्मी पापा और दादी के लिए थे. तीसरा रूम दीदी का था. उसमें दीदी अकेली रहती थीं.
दीदी की मम्मी ने दीदी से कहा- अब ये कहां सोएगा?
तो दीदी बोलीं- ये मेरे रूम में सो जाएगा. मेरा रूम खाली है. वैसे भी मैं अकेली ही सोती हूँ.
दीदी की मम्मी ने कुछ नहीं कहा.
उसके बाद खाना हुआ और हम दोनों कमरे में आ गए.
दीदी बोलीं- मैं नहा कर आती हूँ.
मैंने कहा- हां ठीक है.
दीदी नहाने चली गईं और मैं लेट गया. दीदी नहा कर बाहर सर निकाल कर देख रही थीं. शायद उनके कपड़े रूम में ही रखे थे.
दीदी ने कहा- सोनू, मेरे कपड़े कमरे में ही रखे हैं. मुझे कमरे में आना है.
मैंने कहा- आप आ जाओ दीदी मैं आंख बंद कर लेता हूँ.
मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं.
वो रूम में पैंटी और ब्रा में ही आ गईं.
कमरे में आकर वो अपने कपड़े पहनने लगीं.
तभी मैं उठ गया और दीदी से पूछा- दीदी पानी कहां रखा है?
मैंने पूछा, तो दीदी डर गईं और उन्होंने झट से अपने बदन पर एक चादर लपेट ली.
मैंने कहा- दीदी, सॉरी … मुझे लगा कि आपने कपड़े पहन लिए हैं.
दीदी- कोई बात नहीं.
कुछ देर और आंख बंद कर, मैं कपड़े पहन लूं.
मैंने कहा- ओके, एक मिनट मैं बाहर ही चला जाता हूँ.
मैं बाहर चला गया.
दस मिनट बाद अन्दर से आवाज आई- सोनू अन्दर आ जा.
मैं अन्दर गया, तो देखा दीदी ने मिनी स्कर्ट और टॉप पहन रखा था.
मैंने पूछा- आप ये पहन कर सोती हैं?
दीदी बोलीं- नहीं रे पागल … आज तू है न … इसलिए पहने हैं.
मैंने कहा- मेरी वजह से आप परेशान हों, ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा. मैं अपने घर जा रहा हूँ.
मैं बाहर जाने लगा.
दीदी- रुक पागल.
मैं- अब क्या हुआ?
दीदी बोलीं- मुझे तेरे रहने से कोई परेशानी नहीं है. तू रूम में आ जा.
मैं रूम में वापस आ गया.
दीदी बोलीं- कोई बात नहीं, एक दिन की ही तो बात है.
अपनी चूत चुदाई का मजा ले लेती हैं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.