14-06-2022, 06:07 PM
पांच मिनट की चुदाई के बाद ही गुड्डो एक बार से फिर अकड़ने लगी और आठ दस धक्के के बाद ही उसकी चुत फिर से झरने लगी थी। उसके झड़ने से चुत पानी पानी हो गई थी और फच्च फच्च की आवाजें अब कुछ ज्यादा होने लगी थी।
झड़ने के बाद गुड्डो भी थोड़ा सुस्त हो गई थी पर मेरा लंड अभी भी तना हुआ उसकी चुत की सैर कर रहा था। गुड्डो के झड़ने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला तो बेड पर घोड़ी की तरह झुक कर पोजीशन में आ गई। मैंने बिना देर किये पीछे जाकर लंड उसकी चुत की गहराई में उतार दिया और उसकी कमर पकड़ कर लम्बे लम्बे धक्के मार मार कर उसकी चुदाई करने लगा।
कुछ ही धक्कों के बाद गुड्डो फिर से रंग में आ गई और मस्त हो चुदाई करवाने लगी थी। मैं झुक कर उसकी चुचियों को पकड़ कर मसलते हुए धक्के लगाने लगा।
“चोद मेरे राजा… चोद… आज तो तूने मुझे निहाल कर दिया… इतना मजा तो जिन्दगी में आज तक नहीं आया… आज पता लगा कि चुदाई क्या होती है मेरे राजा… फाड़ दे मेरी चुत आज अपने मोटे लंड से… चोद मुझे.. चोद मेरे राजा… लगा दे पूरा जोर… आज इस निगोड़ी चुत की धज्जियाँ उड़ा दे मेरे राजा…” गुड्डो मस्ती के मारे बड़बड़ाते हुए चुद रही थी और मैं भी चुदाई का भरपूर मजा लेते हुए चोद रहा था उसकी कड़क चुत को।
कुछ देर की चुदाई के बाद गुड्डो का बदन एक बार फिर से अकड़ने लगा और वो अपनी चुत को मेरे लंड पर कसने लगी थी। इस कसावट ने मुझे जैसे दूसरी दुनिया में पहुँचा दिया था और अब लगने लगा था कि जैसे मेरा लंड भी अब जैसे फटने को है। बीस पच्चीस धक्कों के बाद गुड्डो की चुत झड़ने लगी और फिर मैं भी अपने आप को रोक नहीं पाया और मेरे लंड से भी गर्म गर्म लावा फूट पड़ा और मेरे वीर्य से गुड्डो की चुत भरती चली गई।
एक दो तीन… ना जाने कितनी पिचकारियाँ निकली थी लंड से।
मेरे तो जैसे होश ही गुम हो गए थे।
हम दोनों मस्त तरीके से झड़ चुके थे। गुड्डो मेरे नीचे ही बेड पर पसर गई। मुझमें भी जैसे हिम्मत नहीं बची थी तो मैं भी वहीं गुड्डो के नंगे बदन के ऊपर ही ढेर हो गया। गुड्डो का कोमल बदन मेरे कसरती बदन के नीचे दबा हुआ था।
पाँच मिनट बीते थे गुड्डो के बदन में कुछ हलचल हुई तो मुझे एहसास हुआ कि कैसे वो कोमल कली मेरे नीचे दबी हुई थी। मैं उसके ऊपर से उतर कर बगल में लुढ़क गया। मुझ पर तो जैसे नींद का नशा सा छा गया था; मैं ऐसे ही नंगधड़ंग लेटे लेटे ही सो गया।
गुड्डो कब मेरे पास से गई, मुझे याद नहीं।
जब उठा तो मेरे बदन पर कपड़े थे जो गुड्डो ने ही मुझे पहनाये थे। शाम के साढ़े पाँच बजे हुए थे। मुझे याद आया कि मैं लगभग दो बजे घर आया था और आते ही हम दोनों का चुदाई प्रोग्राम शुरू हो गया था जो लगभग घंटा भर चला था। इसका मतलब मैं करीब दो घंटे से सो रहा था।
झड़ने के बाद गुड्डो भी थोड़ा सुस्त हो गई थी पर मेरा लंड अभी भी तना हुआ उसकी चुत की सैर कर रहा था। गुड्डो के झड़ने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला तो बेड पर घोड़ी की तरह झुक कर पोजीशन में आ गई। मैंने बिना देर किये पीछे जाकर लंड उसकी चुत की गहराई में उतार दिया और उसकी कमर पकड़ कर लम्बे लम्बे धक्के मार मार कर उसकी चुदाई करने लगा।
कुछ ही धक्कों के बाद गुड्डो फिर से रंग में आ गई और मस्त हो चुदाई करवाने लगी थी। मैं झुक कर उसकी चुचियों को पकड़ कर मसलते हुए धक्के लगाने लगा।
“चोद मेरे राजा… चोद… आज तो तूने मुझे निहाल कर दिया… इतना मजा तो जिन्दगी में आज तक नहीं आया… आज पता लगा कि चुदाई क्या होती है मेरे राजा… फाड़ दे मेरी चुत आज अपने मोटे लंड से… चोद मुझे.. चोद मेरे राजा… लगा दे पूरा जोर… आज इस निगोड़ी चुत की धज्जियाँ उड़ा दे मेरे राजा…” गुड्डो मस्ती के मारे बड़बड़ाते हुए चुद रही थी और मैं भी चुदाई का भरपूर मजा लेते हुए चोद रहा था उसकी कड़क चुत को।
कुछ देर की चुदाई के बाद गुड्डो का बदन एक बार फिर से अकड़ने लगा और वो अपनी चुत को मेरे लंड पर कसने लगी थी। इस कसावट ने मुझे जैसे दूसरी दुनिया में पहुँचा दिया था और अब लगने लगा था कि जैसे मेरा लंड भी अब जैसे फटने को है। बीस पच्चीस धक्कों के बाद गुड्डो की चुत झड़ने लगी और फिर मैं भी अपने आप को रोक नहीं पाया और मेरे लंड से भी गर्म गर्म लावा फूट पड़ा और मेरे वीर्य से गुड्डो की चुत भरती चली गई।
एक दो तीन… ना जाने कितनी पिचकारियाँ निकली थी लंड से।
मेरे तो जैसे होश ही गुम हो गए थे।
हम दोनों मस्त तरीके से झड़ चुके थे। गुड्डो मेरे नीचे ही बेड पर पसर गई। मुझमें भी जैसे हिम्मत नहीं बची थी तो मैं भी वहीं गुड्डो के नंगे बदन के ऊपर ही ढेर हो गया। गुड्डो का कोमल बदन मेरे कसरती बदन के नीचे दबा हुआ था।
पाँच मिनट बीते थे गुड्डो के बदन में कुछ हलचल हुई तो मुझे एहसास हुआ कि कैसे वो कोमल कली मेरे नीचे दबी हुई थी। मैं उसके ऊपर से उतर कर बगल में लुढ़क गया। मुझ पर तो जैसे नींद का नशा सा छा गया था; मैं ऐसे ही नंगधड़ंग लेटे लेटे ही सो गया।
गुड्डो कब मेरे पास से गई, मुझे याद नहीं।
जब उठा तो मेरे बदन पर कपड़े थे जो गुड्डो ने ही मुझे पहनाये थे। शाम के साढ़े पाँच बजे हुए थे। मुझे याद आया कि मैं लगभग दो बजे घर आया था और आते ही हम दोनों का चुदाई प्रोग्राम शुरू हो गया था जो लगभग घंटा भर चला था। इसका मतलब मैं करीब दो घंटे से सो रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.