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मैंने बुआ चोद दी
कमरे में जाते ही गुड्डो के बदन की गर्मी याद आई; याद आया उसका मुझसे लिपटना; याद आया उसकी चुचियों अपनी छाती पर गद्देदार एहसास। सब याद आते ही लंड महाराज ने करवट ली और अकड़ कर लोअर में तम्बू बनाने लगा।
उस दिन इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। पर उस दिन के बाद से गुड्डो का रूप सा बदल गया। मैंने महसूस किया कि वो मेरी तरफ आकर्षित हो रही थी। उठते बैठे खाते पीते उसकी नजर मेरे ऊपर ही टिकी हुई नजर आती। जब भी पास से गुजरती बिना छुए या टकराए नहीं निकलती। अगले दो दिन टचिंग टचिंग में निकल गए। ना वो आगे बढ़ रही थी और ना ही मेरी हिम्मत हो रही थी पर आग अब दोनों तरफ लगी हुई थी।
दो दिन बाद ऊपर वाले ने दो सुलगती आत्माओं की शांति के लिए एक मौका बना कर दिया। दोपहर को जब मैं कॉलेज से आया तो बुआ घर पर नहीं थी। गुड्डो ने ही दरवाजा खोला और बिना कुछ बोले रसोई में चली गई। मैंने घर में जब बुआ को नहीं देखा तो मैं गुड्डो के पास रसोई में चला गया और बुआ के बारे में पूछा तो उनसे बताया कि वो अपनी एक सहेली के घर कीर्तन में गई है और शाम तक आएँगी।
गुड्डो की बात सुनते ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। आज मौका अच्छा है अगर आज कुछ नहीं किया तो कभी कुछ नहीं हो पाएगा… इतना सोचते ही मैंने हिम्मत कर आगे बढ़ने का मन बना लिया।
मैं पानी लेने के बहाने से आगे बढ़ा और ठीक गुड्डो के पीछे जाकर खड़ा हो गया। जैसे ही मैं पानी पीने के लिए गिलास उतारने के लिए आगे हुआ गुड्डो का बदन मेरे बदन से टकरा गया। गुड्डो चौंकते हुए जैसे ही पलटी तो सीधा मेरी बांहों में समा गई। मैंने भी उसको सँभालने का नाटक करते हुए उसके कोमल मखमली बदन को अपनी बाँहों में भर लिया। गुड्डो के कोमल बदन का अहसास होते ही मेरी तो जैसे साँसें ही थम गई।
तन्द्रा तब भंग हुई जब गुड्डो मेरी बांहों से निकलने के लिए थोड़ा मचलने लगी। पर मैंने मौके की नजाकत को देखते हुए उसको और कस के अपने से लिपटा लिया। गुड्डो ने मेरी हरकत पर बनावटी गुस्सा दिखाते हुए जैसे ही अपना चेहरा ऊपर किया मैंने तपाक से अपने होंठ गुड्डो के होंठों से मिला दिए।
एक बारगी तो वो कसमसाई पर फिर समर्पण करते हुए उसने अपना बदन मेरे हवाले कर दिया। अगले दस से पंद्रह मिनट तक रसोई में ही चूमाचाटी का दौर चलता रहा। बदन की आग अब ज्वालामुखी बन चुकी थी; हम दोनों एक दूसरे के होंठो को जैसे खा जाने को आतुर थे। कपड़े बदन पर बोझ से लग रहे थे।
“राज… अब आगे भी कुछ करने का इरादा है या फिर सारा समय ऐसे ही गुजारना है?”
उसकी बात का मैंने कोई जवाब नहीं दिया बस उसके 52 किलो वजनी मखमली बदन को अपनी बांहों में उठाया और सीधा अपने बेडरूम में ले गया। बेडरूम में पहुँचते ही मेरे हाथ उसके कपड़ों का वजन उसके बदन से कम करने में व्यस्त हो गए। अगले ही पल को सिर्फ पेंटी में मेरे सामने खड़ी थी। मेरे रुकते ही वो शुरू हो गई और मुझे जन्मजात नंगा करने के बाद ही वो रुकी।
जैसे ही उसने मेरा अंडरवियर उतारा तो अपने मनपसंद खिलौने को देखते ही वो ख़ुशी से मचल उठी- वाह राज… तुम्हारा तो मस्त है यार… कहाँ छुपा रखा था इतने दिन से… देखो तो कितना मोटा और लम्बा है… महेश के लंड से कम से कम दो गुणा बड़ा है तुम्हारा!
लंड महाराज अपनी तारीफ़ सुन उछल कूद करने लगे। गुड्डो जो की खेली खाई थी उसने लंड को अपने मुँह में भर लिया और उसकी उछल कूद बन्द कर दी।
लंड की उछल कूद तो बंद हो गई पर मेरी शुरू हो गई। मेरे लिए ये अहसास बिलकुल नया था। मेरे तो पूरे बदन में सरसराहट सी फ़ैल गई; मेरे मुँह से आनंददायक सिसकारियाँ फूट पड़ी थी-
आह… मेरी गुड्डो रानी… अआह्ह… बहुत मजा आ रहा है मेरी जान… ओह्ह्ह्ह…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: मैंने बुआ चोद दी - by neerathemall - 14-06-2022, 06:06 PM



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