14-06-2022, 06:02 PM
दस बजे फूफा ऑफिस के लिए चले गए। बुआ ने अभी तक मुझ से कोई बात नहीं की थी, बिल्कुल चुपचाप थी। जब मैं कॉलेज के लिए निकलने लगा तो बुआ बोली- राज.. आज कॉलेज रहने दे घर पर कुछ काम है .. आज की छुट्टी ले ले !
मैं तो जैसे यही सुनने का इंतज़ार कर रहा था। मैंने झट से अपने एक दोस्त को बुला कर छुट्टी के लिए बोल दिया। कुछ ही देर के बाद एक चपरासी घर की सफ़ाई करने आ गया। मैं उसके जाने का इंतज़ार करता रहा पर उस हरामी ने पूरा डेढ़ घंटा लगा दिया। मैं सोच रहा था कि इससे तो अच्छा था कि मैं कॉलेज ही चला जाता। बुआ अब मटक मटक कर मेरे सामने घूम रही थी कुछ मुस्कुरा भी रही थी। मुझे बहुत झुंझलाहट हो रही थी पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।
खैर जब लगभग बारह बजे वो हरामी चपरासी अपना काम खत्म करके गया। उसके जाते ही मैंने दरवाजा जल्दी से बंद किया और भाग कर बुआ के पास पहुँचा। बुआ रसोई में दोपहर के खाने की तैयारी में लग गई थी।
मैंने जाते ही बुआ को पीछे से पकड़ा और बुआ के नंगे पेट पर हाथ फेरते हुए बुआ की गर्दन पर चूमने लगा। बुआ ने मेरा हाथ हटा दिया और सब्जी काटती रही। बुआ के इस तरह हाथ हटाने से मैं बेचैन हो गया। मैंने दुबारा फिर कोशिश की तो बुआ ने फिर से मेरा हाथ हटा दिया। मैंने बुआ को अपनी तरफ घुमाया तो देखा बुआ की आँखों में आंसू थे। बुआ रो रही थी। मैंने बुआ के आंसू पोंछे और पूछा- क्या हुआ?
तो बुआ फफक फफक कर रो पड़ी। मैं परेशान हो गया कि आखिर बुआ रो क्यों रही है।
मैंने बुआ से पूछा- मुझ से कोई गलती हो गई क्या बुआ ?
“अरे नहीं रे … बस तेरा प्यार देख कर वैसे ही मन भर आया”
मैं तो जैसे यही सुनने का इंतज़ार कर रहा था। मैंने झट से अपने एक दोस्त को बुला कर छुट्टी के लिए बोल दिया। कुछ ही देर के बाद एक चपरासी घर की सफ़ाई करने आ गया। मैं उसके जाने का इंतज़ार करता रहा पर उस हरामी ने पूरा डेढ़ घंटा लगा दिया। मैं सोच रहा था कि इससे तो अच्छा था कि मैं कॉलेज ही चला जाता। बुआ अब मटक मटक कर मेरे सामने घूम रही थी कुछ मुस्कुरा भी रही थी। मुझे बहुत झुंझलाहट हो रही थी पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।
खैर जब लगभग बारह बजे वो हरामी चपरासी अपना काम खत्म करके गया। उसके जाते ही मैंने दरवाजा जल्दी से बंद किया और भाग कर बुआ के पास पहुँचा। बुआ रसोई में दोपहर के खाने की तैयारी में लग गई थी।
मैंने जाते ही बुआ को पीछे से पकड़ा और बुआ के नंगे पेट पर हाथ फेरते हुए बुआ की गर्दन पर चूमने लगा। बुआ ने मेरा हाथ हटा दिया और सब्जी काटती रही। बुआ के इस तरह हाथ हटाने से मैं बेचैन हो गया। मैंने दुबारा फिर कोशिश की तो बुआ ने फिर से मेरा हाथ हटा दिया। मैंने बुआ को अपनी तरफ घुमाया तो देखा बुआ की आँखों में आंसू थे। बुआ रो रही थी। मैंने बुआ के आंसू पोंछे और पूछा- क्या हुआ?
तो बुआ फफक फफक कर रो पड़ी। मैं परेशान हो गया कि आखिर बुआ रो क्यों रही है।
मैंने बुआ से पूछा- मुझ से कोई गलती हो गई क्या बुआ ?
“अरे नहीं रे … बस तेरा प्यार देख कर वैसे ही मन भर आया”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.