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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#3
मैं शिल्पी के साथ कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। मैं धीरे धीरे उसको गर्म कर रहा था ताकि वों खुद एक दिन मेरे पास आकर कहे की आओ करो मेरे साथ। अब शिल्पी प्रतिदिन ट्यूशन के वक्त बिना पैंटी पहने शॉर्ट्स में आती और मैं मौका निकालकर अपना लंड कभी उसके मुँह में और कभी गांड की दरारों पर रगड़ता। वों भी इसका मजा ले रही थी। इधर मेरी रमेश की परिवार से नजदीकी बढ़ रही थी लेकिन मंजू से बात नहीं हो पा रही थी। मैं यह बात अच्छे से जानता था की रमेश बहुत ही लालची इंसान है, मैंने एक दिन बातों ही बातों में रमेश से कह दिया की मैं बैचलर रहता हूँ तो चाहो तो तुम्हारे यहां से टिफिन ले सकता हूँ और इसका पैसा पे कर दूँगा। रमेश ने यह बात मंजू से की और दोनों में क्या बात हुई मुझे मालूम नहीं लेकिन दो दिन बाद रविवार को उन्होंने मुझे डिनर पर इनवाइट किया। मैं भी अच्छे से तैयार होकर उनके घर डिनर पर पहुँच गया।

मैंने मंजू को देखा तो देखते ही रह गया। उसने स्लिवलेस ब्लाउज के साथ क्या मस्त तरीके से साड़ी पहन रखी थी। उसके बूब्स जो की पूरे 36 साइज के थे उसकी ब्रा के कैद में थे और ब्लाउज आगे से डीप कट था जो क्लीवेज दिख रहा था वों लंड को जगाने के लिए काफी था। पहुंचते ही मैंने नमस्ते भाभी बोला और बात चीत करने लगा। रमेश हमें मिलवाकर कुछ बोलता उससे पहले ही दुकानदार में ग्राहक आ गए और वों बाहर चला गया। फिर मंजू से मेरी हंसी मजाक के साथ बातें होने लगी। मैं बातें कम और उसके बूब्स को ज्यादा देख रहा था। तभी शिल्पी और मनीष भी आ गए। शिल्पी भी आज कम क़ातिल नहीं लग रही थी। शिल्पी ने वन पीस पहना था जो बमुश्किल उसके कमर और गांड को ढक रहा था। तभी किचन से सीटी की आवाज आई और मंजू उठ के किचन की और गई। उसको पीछे से देख मैं चौंक पड़ा। पीछे से उसके ब्लाउज बिल्कुल बैकलेस थे जो सिर्फ एक पतली सी डोर पर टीके थे। शिल्पी और मनीष मेरे पास बैठे थे इसलिए मैंने जल्दी से मंजू से नजर हटाई और शिल्पी से बात करने लगा। मैं सोफे के एक साइड बैठा था, बगल में मनीष और सामने शिल्पी। मैं बातें करते करते शिल्पी के पैरो से अपने पैरो को रगड़ रहा था जिससे मेरा लंड एकदम तन कर खड़ा था। ऐसे ही बात कर ही रहा था की मंजू अचानक से आ गई और कहाँ की डिनर रेडी है लेकिन 10बजे के बाद डिनर करेंगे जब रमेश दुकान बंद कर के अंदर आ जाएगा। अभी आठ बजे थे और घर के अंदर चार लोग थे मैं, मंजू, शिल्पी और मनीष। शिल्पी ने फिर कहाँ की क्यूँ ना हम लोग तब तक डांस और अंताक्षरी खेलते है। पहले शुरुआत हुई डांस से। शिल्पी ने डीवीडी स्टार्ट किया और एक पर एक लेटेस्ट और हॉट सेक्सी गाना बजायी जिसमे सबको डांस करना था। पहला ही गाना था "जरा जरा टच मी" और हम सब डांस किए जा रहे थे। मैंने डांस करते करते मंजू को पकड़ा और उसके साथ कपल डांस करने लगा। मंजू का पूरा पीठ नंगा था और मुझे छूने में बहुत मजा आ रहा था। मेरा एक हाथ उसके हाथ में और दूसरा हाथ उसके कमर में था। वों भी मुझसे चिपक कर मेरे कंधे पर हाथ रखकर डांस कर रही थी। मैं अपने हाथ से उसके कमर के पास नंगे बदन पर ऊँगली फेरता और तभी अचानक से उसने मेरे कानो के पास मस्ती से काटा और मेरी चीँख निकल गई। मंजू मुझसे ज्यादा मेरे करीब आने की कोशिश कर रही थी और यह देखकर मैं पूरा रोमांचित हो रहा था साथ ही मेरा पूरा ध्यान शिल्पी पर था क्योंकि शिल्पी मेरे करीब आ चुकी थी और जल्दी ही मैं उसकी सील तोड़ने वाला था। इस बीच मैं कभी कभी शिल्पी के साथ भी डांस करने लगता ताकि वो कुछ समझें नहीं। इस तरह लगभग एक घंटे तक डांस शो चलता रहा। फिर अंताक्षरी खेलना स्टार्ट किया जिसमे दो टीम बनी। एक टीम में मैं और मंजू और दूसरे टीम में शिल्पी और मनीष। मैं और मंजू एक साथ एक दूसरे के करीब बैठे थे और दूसरी साइड शिल्पी और मनीष  इस तरह हमने अंतराक्षी खेली जिसमे बहुत मजा आया। इसके बाद डिनर की बारी आई।

डिनर जो की काफी अच्छा बना था उसका मैंने जमकर लुफ्त उठाया। आज मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था इसलिए मैं जल्दी से उसके बाद ऊपर अपने फ्लैट में चला गया। डांस और डिनर के बाद मैं काफी थक गया था इसलिए मैं ऊपर आ कर कपड़े उतारे और तौलिया लपेट कर ही सो गया। सअगले दिन सुबह सिर्फ शिल्पी ट्यूशन के लिए आई और मैं सिर्फ तौलिया लपेटे सोया था। सोने की वजह से तौलिया भी काफी ऊपर आ गया था और मेरा लंड सुबह तन कर खड़ा था। शिल्पी ने आकर मेरे गालों पर किश किया। मैं भी नींद से जागा और शिल्पी को अपनी ओर खींच लिया।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 14-06-2022, 02:50 PM



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