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Adultery कामवासना की तृप्ति
#22
जब रहा न गया तो मैंने कहा- बस कीजिये, अब डाल भी दीजिये.

ज्ञान भी चुदाई के पूरी तरह से तैयार थे. उन्होंने मुझे उठाया और सोफे के पीछे ले जाकर खड़ी होने के लिए कहा.
मेरी एक टांग को उठाकर उन्होंने मेरी चूत को पीछे चाटना शुरू कर दिया. आह्हह … ओह्ह … ऊईई … सस्स … आई मां … आह्ह … करके मेरे मुंह से कामरूपी सीत्कार फूट पड़े.
अब लंड लेने के लिए मेरी चूत एक पल का इंतजार नहीं सहन कर सकती थी. ऐसा लग रहा था कि अगर लंड नहीं मिला तो कयामत हो जायेगी. मैंने ज्ञान से मिन्नतें करना शुरू कर दिया- प्लीज, चोद दीजिये. आह्ह … चोद दीजिये.
वो उठे और मेरी एक टांग को सोफे पर रख कर अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर सटा दिया. लंड का अहसास चूत पर हुआ तो मुझे मजा सा आया. मैंने ज्ञान को पीछे से पकड़ कर अपनी खींचना चाहा. मगर वो लंड को मेरी चूत पर रगड़ रहे थे.
मैं उत्तेजना में बेहोश सी होने लगी. तभी उन्होंने एक धक्का मारा और मेरे मुंह से आह्ह … करके हल्की चीख बाहर आ गयी. उस बांके जवान मर्द के लंड का सुपाड़ा मेरी चिकनी चूत में चला गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति - by neerathemall - 14-06-2022, 12:17 PM



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