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Adultery कामवासना की तृप्ति
#19
अपनी पीठ पर मैं ज्ञान का लंड चुभता हुआ महसूस करने लगी. मेरे होंठों को चूसने के बाद उन्होंने मेरी मैक्सी में दिख रही मेरी वक्षरेखा पर अपने होंठों को रख दिया. अपने होंठों को मेरी चूचियों की वक्षरेखा पर रगड़ते हुए वो उनको नाक घुसा कर सूंघ रहे थे.

मैंने भी उनके सिर को अपने सीने में दबा लिया और उनके बालों में हाथ से सहलाने लगी. उनका एक हाथ नीचे से मेरी मैक्सी में घुस कर मेरी जांघों को सहलाता हुआ मेरी चूत को टटोलता हुआ मेरी पैंटी तक आ पहुंचा था.
जल्दी ही उनकी उंगलियां पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को छेड़ने लगीं. मैं भी एक्टिव मोड में आ गयी और उनकी जांघों की ओर घूम कर अपने होंठों को उनकी जांघों के बीच में तन चुके लंड पर रख दिया.
उनका लंड पूरे जोश में आ चुका था. मैं भी कई दिन से उनके लंड को अपने होंठों से छूने का इंतजार कर रही थी लेकिन अपनी चूत को सहला कर ही सांत्वना दे रही थी. अब वो पल जब मेरे करीब था तो मैंने भी जोश में आकर ज्ञान के लंड पर अपने होंठों को फिराना शुरू कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति - by neerathemall - 14-06-2022, 12:15 PM



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