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Adultery कामवासना की तृप्ति
#17
वो मेरी ओर ललचाई नजरों से देख रहे थे. उनकी नजर मेरी नाइटी को भेद कर मेरे चूचों का नाप ले रही थी.

मैंने भी सोच लिया था कि उस दिन का बदला आज ठीक से निकालूंगी.
मैंने पूछा- चाय लेंगे या कॉफी?
वो बोले- दूध!
मैंने पूछा- किसका?
उन्होंने मेरे वक्षों को घूरते हुए कहा- जो भी आपके पास हो.
मुंह बना कर मैं अंदर चली गयी. उनको भी थोड़ा अजीब सा लगा. पांच मिनट के बाद मैं चाय बना कर वापस आई तो वो मैगजीन पढ़ रहे थे.
मैंने चाय की ट्रे टेबल रखते हुए कहा- आप तो भूल ही गये थे शायद मुझे?
वो बोले- नहीं मैडम, रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहा था. रिपोर्ट के बिना तो आप पर हक नहीं बनता था. सेफ्टी दोनों के लिए ही जरूरी है.
मुझे ज्ञान जी का ये बर्ताव अच्छा लगा. उन्होंने सिर्फ सेक्स की पूर्ति को तरजीह नहीं दी बल्कि वो सामने वाले का ख्याल रखना भी खूब जानते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति - by neerathemall - 14-06-2022, 12:07 PM



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