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Adultery कामवासना की तृप्ति
#16
दो दिन तक मैंने ज्ञान जी को फोन ही नहीं किया. रात में पति के लंड से चुदने के बाद ध्यान तो ज्ञान के लंड से चुदाई करके प्यास को शांत करवाने पर ही जाता था लेकिन गुस्सा निकालने के लिए मैंने उनको संपर्क ही नहीं किया. ज्ञान जी भी तीन दिन तक खामोश रहे.

चौथे दिन मैं दोपहरी में कॉलेज आने के बाद नहाकर आई और मैक्सी पहन कर बेड पर आराम करने लगी. थकान के मारे जल्दी ही आंख लग गयी. मेरी नींद घर के दरवाजे की बेल ने खोली.
आलस में उठ कर दरवाजे तक गयी और दरवाजा खोला तो सामने ज्ञान जी एक कागज का लिफाफा लिये खड़े हुए थे. एक बार तो मन किया कि दरवाजे को वापस बंद कर लूं लेकिन ज्ञान की जीन्स में कसी उसकी सुडौल मांसल जांघों पर नजर गयी तो मन बहक गया. सोचा कि आज तो चुद कर ही रहूंगी.
मैंने कहा- अंदर आ जाइये, बाहर क्यों खड़े हुए हैं?
मेरे कहने पर ज्ञान अंदर आये और आकर सोफे पर बैठ गये. मैं किचन से पानी लेकर आई और उनको पीने के लिए दिया.
पानी पीते हुए उन्होंने रिपोर्ट वाला लिफाफा मेरी ओर बढ़ा दिया. मैंने लिफाफा खोल कर देखा.
एच.आई.वी. रिपोर्ट में निगेटिव आया हुआ था. मैंने ज्ञानी की ओर देखा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति - by neerathemall - 14-06-2022, 12:06 PM



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