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Adultery कामवासना की तृप्ति
#15
सके हाथों के अंगूठे जब मेरी चूत के इर्द गिर्द आकर रगड़ दे रहे थे तो मन कर रहा था उसके कपड़ों को फाड़ कर उसे नंगा कर लूं और उसके गठीले मजबूत जिस्म को बेतहाशा चूमने लगूं.

अपनी चिकनी मजबूत हथली से ज्ञान ने मेरी चूत पर सहला दिया. मैं तड़प गयी और उसकी और लपकी. मगर ज्ञान एकदम से पीछे हट लिये.
मैंने रोषपूर्ण, कुंठित दृष्टि से ज्ञान की ओर देखा तो उन्होंने मुझे इस हालत में अधूरा छोड़ने के कारण की ढाल को पहले से तैयार कर लिया था.
मेरे प्रश्नवाचक नैनों के तीर उनके मन के किले को भेद ही नहीं पाये.
इससे पहले मैं अपना गुस्सा दिखाती उन्होंने कह दिया- पहले रिपोर्ट आने दीजिये, उसके बाद आपकी तसल्ली बख्श चुदाई का रास्ता साफ हो जायेगा. तब तक के लिए थोड़ा सा इंतजार और कीजिये.
एच.आई.वी. रिपोर्ट का सवाल सामने आया तो मेरे पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था. मन मसोस कर रह गयी. न जबरदस्ती कर सकती थी और न ही वासना की आग में जल रहे अपने जिस्म के अंगों पर छिड़कने के लिए मर्दन का पानी ही मांग सकती थी.
ज्ञान जी मुझे अधूरा छोड़ कर चले गये. मेरा मन खार खा गया. सोच लिया कि आज के बाद इनसे बात ही न करूंगी.
दोस्तो, कोई औरत जब किसी बांके जवान मर्द के नीचे खुद ही अपने जिस्म को रगड़वाने के लिए तड़प रही होती है तो ऐसी स्थिति में किसी का रूखा व्यवहार बहुत अखरता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति - by neerathemall - 14-06-2022, 12:05 PM



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