14-06-2022, 12:04 PM
मेरी गांड में मुझे मीठा मीठा दर्द उठ पड़ा। मैं अपने चेहरे को मालिश सुख महसूस करते हुए बिस्तर में गड़ाए पड़ी थी। ज्ञान ने अब तक मेरी पीठ पर तेल लगाना शुरू कर दिया। उसके कसरती कठोर हाथ की ताकत से मेरी नाज़ुक पीठ और कंधों की मस्त मालिश कराते हुए मैं सुख के उस संसार में पहुंच चुकी थी जहाँ से चाह कर भी लौटना नामुमकिन था।
इतने में उसने मेरे कंधे और कमर से हाथ लगाते हुए मुझे दूसरी ओर पलट दिया। अब मेरी नंगी, साफ, बिना झांटों वाली चूत ज्ञान के आगे पसर कर उसको ललचाने लगी.
इतने में उसने मेरे कंधे और कमर से हाथ लगाते हुए मुझे दूसरी ओर पलट दिया। अब मेरी नंगी, साफ, बिना झांटों वाली चूत ज्ञान के आगे पसर कर उसको ललचाने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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