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Adultery कामवासना की तृप्ति
#12
खुद को एक नज़र शीशे में निहारा तो मन मे रोमांच की तरंगें उठने लगी। एक पराया मर्द बांका नौजवान मुझे इस तरह नंगी देखेगा। और केवल देखेगा तो है नहीं बल्कि एक एक करके अपने बलिष्ठ हाथों से मेरे गदराए अंगों को सहलायेगा, टटोलेगा, मसलेगा।

इससे ज्यादा मैं आगे सोचती, मैंने ब्रा के साथ पैंटी भी उतार फेंकी। और यहां मैं अपने मर्द मित्रों को एक बात आपको बता दूँ कि औरतें जब दिन भर की भागदौड़ के बाद अपनी ब्रा उतारती हैं तो जो रिलैक्सेशन वाली फीलिंग आती है ना कि पूछिये मत।
मेरे भी दोनों उरोज उछल कर फुदकने लगे।
मैंने ऊपर टॉवल लपेटा और बाथरूम से निकल बैडरूम मे आ गयी जहां ज्ञान भी अपने कपड़े निकालकार केवल बॉक्सर पहने बेड के सिरहाने बैठा था।
मुझे इस रूप मे देखकर उसकी आँखों में एक अलग सी चमक आ गयी- आप गज़ब की खूबसूरत हैं सिमरन मैम। यहां आकर पेट के बल लेट जाएं।
मैं टॉवल लपेटे हुए बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी और ज्ञान ने अपना काम शुरू कर दिया। सबसे पहले उसने मेरे पैरों पर मालिश शुरू करते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा। मेरे घुटने तक आने के बाद उसने मेरे कूल्हे को सहारा देते हए धीरे से मेरे बदन पर लिपटा एकमात्र वस्त्र तौलिये को निकाल दिया। मेरे 36 के चूतड़ उसकी आंखों के सामने नंगे हो गए।
उसने देर न करते हुए मेरे मोटे चूतड़ों पर तेल लगाना शुरू कर दिया। मेरी गांड पर तेल लगाते हुए ज्ञान ने बड़ी कस के मेरे दोनों चूतड़ों को दबा दिया।
‘उफ्फ’ करके मैं बड़ी जोर से कराह उठी। मैं एकदम गर्म हो चुकी थी।
इतना जैसे कम था कि उसने हाथ में तेल लेकर मेरे चूतड़ों के बीच मेरी चूत पर हाथ फेर दिया। दो तीन बार मेरी चूत पर हाथ फेरने के बाद उसने मेरी गांड के छेद से छेड़खानी शुरू कर दी। तेल से डूबी हुई मध्यमा उंगली को उसने एकाएक मेरी छोटी सी गांड के छेद में घुसेड़ दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति - by neerathemall - 14-06-2022, 12:03 PM



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