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Adultery कामवासना की तृप्ति
#8
ज्ञान के मजबूत हाथों की पकड़ ने मेरा ध्यान उसके बदन पर ले गया जो कि पोलो टी शर्ट और नीली जीन्स में कसा हुआ था। मेरे मन में आया कि बदन गठीला और कसा हुआ है तो लण्ड का क्या हाल होगा. ऐसा सोचते ही मेरी चूत में सरसराहट सी मच गयी।

मैंने खुद को संभालते हुए नॉर्मल बातचीत शुरू की। बात करते करते मैं ध्यान दे रही थी कि ज्ञान कभी कभी सामने देखकर गाड़ी चला रहा था और कभी कभी मुझे मेरे बदन को भी निहार देता।
स्कूल से मेरा घर 5-6 किमी ही है और जल्दी ही मेरा घर आ गया। ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई थी इसलिए मेरा मन उससे छोड़ने का हो नहीं रहा था, दिल आ गया था मेरा इस बांके नौजवान पर।
मैंने अपने घर के सामने गाड़ी रुकवाई और ज्ञान को चाय पीने के बहाने अंदर चलने को कहा।
वो भी जैसे इसी बात का इंतज़ार ही कर रहा था। उसके बाद जब तक ज्ञान अपनी कार साइड लगाकर आया, तब तक मैंने पर्स से चाभी निकालकर मेन गेट खोला और उसे अंदर आने का इशारा किया।
ज्ञान अंदर आया और घर की तारीफ करते हुए सोफे पर विराजमान हो गया। मैं भी रसोई की तरफ बढ़ी और फ्रिज से पानी और कुछ बिस्किट वगैरह लेकर आयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कामवासना की तृप्ति - by neerathemall - 14-06-2022, 12:00 PM



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