14-06-2022, 11:55 AM
अब जावेद मिताली के निप्पलो के छेड़खानी में लग गया। उसने अब दातो में निप्पलो को पकड़ कर उन्हें खींचना शुरू किया। इससे मिताली के निप्पल फूल गए और बड़े हो गए। उन निप्पलो को देखकर मेरे भी मुह में पानी आ गया अब तो मई भी उधर जाकर उन्हें चूसना चाह रहा था। निप्पल मुंह में लेकर अब वो जबान से निप्पलो के साथ खेल रहा था।
मिताली : ह्म्म…। ह्म्म्म्म्म्म………। आह्ह्ह्ह……… और जोर से। …… प्लीज
मिताली अब जावेद का सर और से खींचकर अपने मम्मो पर दबा रही थी। मिताली की उंगलिया अब जावेद के सर के बालो में घूम रही थी।
जावेद एक चुचीं से दूसरी चुचीं पर शिफ्ट हो रहा था। और अब वो पूरा जोर लगा कर किसी जंगली जानवर की तरह मिताली की नंगी चूचियों को चूस रहा था। मिताली अब जावेद के कंधो पर, पीठ पर, और जावेद की छाती पर अपने हाथ फेर रही थी और आहें भर रही थी। इसी दौरान जावेद फिर से उठकर खड़ा हो गया और मिताली के होठों पर जोर से अपने होठ रख दिए और ऐसे चूसने लगा मानो जैसे अब होठों से खून ही निकल जाये। और पूरी तरह कसकर मिताली को बाँहों में भर लिया।
मैंने अब ये सब रोकने का फैसला किया। और उन्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए चल दिया।
इस लिए मैंने अब मिताली के मोबाईल पर कॉल किया। जैसे ही मोबाईल की रिंग बजी वो दोनों अचानक एक दूसरे से अलग हो गए और उनकी खोई हुई दुनिया से असल दुनिया में लौट आये। मिताली को अब अपने पोसिशन का और अपनी अवस्था और परिस्थिति का ध्यान आया और उसने शर्म के मारे अपना सर झुका दिया। उसने अपना टी-शर्ट उठाया और अपने मम्मो पर इस तरह रखा जैसा वो इसे छुपाना चाहती हो जावेद से। यह देखकर मुझे हंसी आई। मेरी हंसी में दुख भी था और गुस्सा भी। अब तक मई मोबाईल पर दो बार रिंग दे चूका था। इस बार मिताली ने मोबाईल लेने के लिए हाथ बढ़ाया। लेकिन जावेद ने मिताली का हाथ पकड़ा और कॉल लेने से उसे रोका।
मिताली : क्या हुआ ?
जावेद : थोड़ा ठहरो। तुम्हे बताऊंगा।
मिताली : मुझे ये कॉल लेना चाहिए।
जावेद : मुझे पता है , लेकिन वेट करो।
मिताली इससे काफी कन्फ्यूज हो गयी। फोन कुछ देर तक बजा और बाद में बंद हो गया। मुझे अब ये समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। मुझे ये डर सता रहा था की कहनी उन्हें ये पता न चल जाये की मई वहां छुपा हुआ हु। मुझे अब पसीना आने लगा था पर थोड़ी देर बाद मेरा मन शांत हो गया। अगर मै उन्हें डिरेक्टली नहीं सुन पा रहा था तो ये कैसे शक्य था की वो मुझे डिरेक्टली सुने। जावेद के मन में कुछ अलग ही खिचड़ी शिज रही थी। थोड़ा कन्फ्यूजन में ही मैंने एक बार फिर मिताली को कॉल किया।
इस समय भी जावेद ने मिताली को फोन लेने नहीं दिया। अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। उस फाइल रूम से निकल कर बाहर चले जाने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। वो दोनों किसी भी समय रिसेप्शन एरिया में आ सकते थे। तो मैंने फाइल्स उठकर वापस जहाँ थे वहां रख दिए। और रूम से निकल कर बाहर चला गया जहांपर मेरी बाइक पार्क की हुई थी। वहां से फिर से एक बार मैंने कॉल किया लेकिन मिताली ने रिप्लाय नहीं दिया। तो फिर मैंने कुछ देर तक बाहर इंतज़ार किया। अब जिम के अंदर घुसकर देखने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। इसलिए मई वापस मेरी बाइक लेकर जिम पार्किंग में पहुँच गया। और बाइक पार्क करके जिम के अंदर चला गया।
मिताली : ह्म्म…। ह्म्म्म्म्म्म………। आह्ह्ह्ह……… और जोर से। …… प्लीज
मिताली अब जावेद का सर और से खींचकर अपने मम्मो पर दबा रही थी। मिताली की उंगलिया अब जावेद के सर के बालो में घूम रही थी।
जावेद एक चुचीं से दूसरी चुचीं पर शिफ्ट हो रहा था। और अब वो पूरा जोर लगा कर किसी जंगली जानवर की तरह मिताली की नंगी चूचियों को चूस रहा था। मिताली अब जावेद के कंधो पर, पीठ पर, और जावेद की छाती पर अपने हाथ फेर रही थी और आहें भर रही थी। इसी दौरान जावेद फिर से उठकर खड़ा हो गया और मिताली के होठों पर जोर से अपने होठ रख दिए और ऐसे चूसने लगा मानो जैसे अब होठों से खून ही निकल जाये। और पूरी तरह कसकर मिताली को बाँहों में भर लिया।
मैंने अब ये सब रोकने का फैसला किया। और उन्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए चल दिया।
इस लिए मैंने अब मिताली के मोबाईल पर कॉल किया। जैसे ही मोबाईल की रिंग बजी वो दोनों अचानक एक दूसरे से अलग हो गए और उनकी खोई हुई दुनिया से असल दुनिया में लौट आये। मिताली को अब अपने पोसिशन का और अपनी अवस्था और परिस्थिति का ध्यान आया और उसने शर्म के मारे अपना सर झुका दिया। उसने अपना टी-शर्ट उठाया और अपने मम्मो पर इस तरह रखा जैसा वो इसे छुपाना चाहती हो जावेद से। यह देखकर मुझे हंसी आई। मेरी हंसी में दुख भी था और गुस्सा भी। अब तक मई मोबाईल पर दो बार रिंग दे चूका था। इस बार मिताली ने मोबाईल लेने के लिए हाथ बढ़ाया। लेकिन जावेद ने मिताली का हाथ पकड़ा और कॉल लेने से उसे रोका।
मिताली : क्या हुआ ?
जावेद : थोड़ा ठहरो। तुम्हे बताऊंगा।
मिताली : मुझे ये कॉल लेना चाहिए।
जावेद : मुझे पता है , लेकिन वेट करो।
मिताली इससे काफी कन्फ्यूज हो गयी। फोन कुछ देर तक बजा और बाद में बंद हो गया। मुझे अब ये समझ में नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। मुझे ये डर सता रहा था की कहनी उन्हें ये पता न चल जाये की मई वहां छुपा हुआ हु। मुझे अब पसीना आने लगा था पर थोड़ी देर बाद मेरा मन शांत हो गया। अगर मै उन्हें डिरेक्टली नहीं सुन पा रहा था तो ये कैसे शक्य था की वो मुझे डिरेक्टली सुने। जावेद के मन में कुछ अलग ही खिचड़ी शिज रही थी। थोड़ा कन्फ्यूजन में ही मैंने एक बार फिर मिताली को कॉल किया।
इस समय भी जावेद ने मिताली को फोन लेने नहीं दिया। अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये। उस फाइल रूम से निकल कर बाहर चले जाने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। वो दोनों किसी भी समय रिसेप्शन एरिया में आ सकते थे। तो मैंने फाइल्स उठकर वापस जहाँ थे वहां रख दिए। और रूम से निकल कर बाहर चला गया जहांपर मेरी बाइक पार्क की हुई थी। वहां से फिर से एक बार मैंने कॉल किया लेकिन मिताली ने रिप्लाय नहीं दिया। तो फिर मैंने कुछ देर तक बाहर इंतज़ार किया। अब जिम के अंदर घुसकर देखने के अलावा मेरे पास दूसरा पर्याय नहीं था। इसलिए मई वापस मेरी बाइक लेकर जिम पार्किंग में पहुँच गया। और बाइक पार्क करके जिम के अंदर चला गया।