Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
शर्मा जी और हम पास पास ही रहते थे। दोनों के ही सरकारी मकान थे। मेरे पति और शर्मा जी ए
#46
फिर मनीष ने चूत पर लंड फिट करके जैसे ही धक्का मारा, मैंने अपनी कमर हिला दी.
उसका लंड फिसल गया.

उसने फिर से अपने लंड को पकड़ा और वापस मेरी चूत की फांकों में ऊपर-नीचे रगड़ा.
फिर छेद पर टिका कर हल्के से धकेला तो उसका सुपारा अन्दर घुस गया.

मैंने तड़प कर छूटने की कोशिश की पर मनीष मुझे कस कर पकड़े हुए था जिससे उससे छूट पाना मेरे लिए मुश्किल ही था.

हालांकि मैं भी अब छूटना नहीं चाहती थी.
लेकिन मैं इस तरह से चुदना भी नहीं चाहती थी क्योंकि मेरे पति ने हमेशा प्यार से सेक्स किया था.

फिर अभी तो मेरी चूत भी गीली नहीं हुई थी.
लेकिन मैं क्या करती.
वो मुझे ऐसे ही चोदना चाहता था.

अगर वो मेरी आंखों में देखता, तो शायद समझ जाता.
पर उस पर तो वासना का भूत चढ़ा हुआ था.

इसके बाद उसने अपना हाथ हटा लिया और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिए, मेरे एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply


Messages In This Thread
RE: शर्मा जी और हम पास पास ही रहते थे। दोनों के ही सरकारी मकान थे। मेरे पति और शर्मा जी ए - by neerathemall - 14-06-2022, 11:32 AM



Users browsing this thread: 8 Guest(s)