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किरायेदार और मकान मालिक का परिवार
#2
अब मेरा मिशन प्रारम्भ हो चुका था। मैं प्रतिदिन का सामान रमेश से लेता ही था, अब उसने मेरा खाता शुरू कर दिया ताकि पूरे महीने का सामान का पैसा एक बार दूँ। सुबह दूध वों पहुंचाने लगा और हर रोज कुछ ना कुछ चाहता की ओ मुझे एक्स्ट्रा बेच दें। नौकरी मेरी अच्छी थी तो मुझे इससे बहुत फर्क नहीं पर रहा था और मेरा निशाना कुछ और था।

इधर मैंने सबसे पहले मनीष से नज़दीकी बढ़ाना प्रारम्भ किया। ओ सातवीं में था और उसका ट्यूशन का मन था। उसका कंजूस बाप उसे ट्यूशन नहीं भेजता था। मैंने बातों बातों में उसके सवालों को उसको समझाया और फिर कहाँ की वों चाहे तो मुझसे ट्यूशन ले सकता हैं और वों भी फ्री में। बाप बेटे खुश और मैंने कह दिया की सुबह 7 बजे आ जाया करें। अगले दिन सुबह 7 बजे मैं सोया ही था, मुझे ऐसे लेट से ही उठने की आदत थी की मनीष ने दरवाजे को नॉक किया। मैं उठा तो उसको दरवाजे पर देखकर पूछा क्या हुआ तो वों बोला भैया आपने सुबह ट्यूशन के लिए बोला था। तब मुझे याद आया तब मैं बोला हाँ याद आया और सॉरी मैं भूल गया था। फिर उसको बैठने को बोलके मैं फ्रेश हो के आया और उसको पहले दिन ट्यूशन दी। अब ये रूटीन स्टार्ट हो गया। मैं अब अपने फ्लैट का गेट लॉक करना छोड़ दिया ताकि मनीष अंदर आ जाता और मुझे जगा देता। उसके घर वाले ट्यूशन से खुश थे और मैं सोच रहा था कि प्लान कैसे आगे बढ़ाऊ।

इसी बीच एक दिन उसकी बहन शिल्पी भी उसके साथ ट्यूशन के लिए आ गई। मैं सोते वक्त बिना अंडरवियर के बारमुडे में सोता था। वों दोनों भाई बहन मेरे कमरे में आ के बैठ गए और मनीष मुझे उठाया। जैसे ही उठा, मेरा लंड जो तना खड़ा था वों मेरे साथ शिल्पी को देख चौंक पड़ा। मैंने किसी तरह लंड को आज एडजस्ट किया और उनदोनो को ट्यूशन दी। शिल्पी 11th में पढ़ रही थी और उसे भी मुझसे ट्यूशन चाहिए थी। यह सुनकर मैं समझ गया की अब मेरा मिशन सही दिशा में जा रहा है। शिल्पी से ट्यूशन के दौरान मैंने एक दिन मनीष को कुछ सामान दुकान से लाने के बहाने नीचे भेजा और शिल्पी के साथ एक डबल मीनिंग जोक बोला जिसपर शिल्पी शर्मा कर हंस पड़ी। मैंने सोच लिया था शिल्पी का शिकार धीरे धीरे करना है। अब मैं चाहता की मनीष ट्यूशन में ना आए और आता भी तो मैं किसी ना किसी बहाने से उसको बाहर भेजकर शिल्पी से करीब आने की कोशिश करता। शिल्पी भी मुझे फुल रिस्पांस दें रही थी। अब मैं कभी उसकी चूचिया दबा देता कभी गांड। वों ऐसी ही घर पर छोटे छोटे कपड़े पहनती थी अब वों और ज्यादा कपड़े खुले पहन कर आने लगी। अब मेरा मन पढ़ाने में कम और शिल्पी के अंगों को दबाने में ज्यादा होता था। कभी टॉप के ऊपर से तो कभी टॉप के अंदर हाथ डाल कर मैं उसकी चूचियों को खूब दबाता। वों छोटा सा शॉर्ट्स पहन कर आती और उसके नीचे होती पैंटी तो मैंने उससे कह दिया की नीचे पैंटी ना पहनकर आया करें। अगले दिन वों बिना पैंटी की छोटी सी शॉर्ट्स पहन कर आई और मैं भी मौके के इंतज़ार में बैठा था। मैंने मनीष को आज कुछ ज्यादा सामान लाने के लिए नीचे भेजा और उसके जाते ही अपने बरमुडे को नीचे कर दिया। मेरा 8" लम्बा लंड फड़ फड़ता हुआ बाहर निकला और शिल्पी को सलाम ठोंक रहा था। शिल्पी भी देखकर चौंक गई और मैंने तुरंत अपना लंड उसके हाथों में पकड़ा दिया। शिल्पी ने आँखे बंद कर लिया और मुझसे चिपक कर बैठ गई और मेरे लंड को सहलाने लगी। इधर मेरा हाथ शिल्पी के शॉर्ट्स के अंदर उसकी चुत को सहला रहा था। इतने में मनीष के आने की आहट हुई और हम दोनों के जल्दी जल्दी अपने हथियार को छुपाया।

अब यह सिलसिला रोज का हो गया जब मैं और शिल्पी एक दूसरे के करीब आते और एक दिन मैंने उसको अपना लंड मुँह में लेने को कहाँ। वों इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी तो मैंने उसको समझाते हुए अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटना सिखाया। वों अपने जीभ से मेरे पूरे लंड को चाटती और मुझे खूब मजा आता।
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RE: किरायेदार और मकान मालिक का परिवार - by raj4bestfun - 14-06-2022, 02:13 AM



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