13-06-2022, 05:37 PM
इतनी देर में मम्मी की आवाज़ आ गयी- प्रदीप दूध ठंडा हो गया पी ले!
और मुझे गर्म माल को छोड़कर जाना पड़ा.
अब दूध पी कर मैं सीधा बाथरूम में गया और मीतू की पैंटी लेकर उसके नाम की मुठ मारने लगा और अपना पूरा माल उसकी पैंटी में छोड़ कर आ गया.
कुछ देर बाद मम्मी बोली- मैं मीतू के पास सो रही हूँ, तुम यही टीवी वाले कमरे में सो जाओ.
पर अब मुझे कहां नींद आने वाली थी, मेरे मन में तो मीतू के बूब्स घूम रहे थे.
गले दिन रक्षाबंधन था, उसने राखी बांधी और सभी अपना अपना काम करने लग गए. मम्मी खेत में चली गयी, हमें पता था कि मम्मी शाम को देर से आएगी, फिर मैं मोबाइल पर कुछ करने लग गया और मीतू पढ़ने लग गयी.
फिर उसने बोला- भाई कुछ पढ़ा दो, समझ नहीं आ रहा!
और मुझे गर्म माल को छोड़कर जाना पड़ा.
अब दूध पी कर मैं सीधा बाथरूम में गया और मीतू की पैंटी लेकर उसके नाम की मुठ मारने लगा और अपना पूरा माल उसकी पैंटी में छोड़ कर आ गया.
कुछ देर बाद मम्मी बोली- मैं मीतू के पास सो रही हूँ, तुम यही टीवी वाले कमरे में सो जाओ.
पर अब मुझे कहां नींद आने वाली थी, मेरे मन में तो मीतू के बूब्स घूम रहे थे.
गले दिन रक्षाबंधन था, उसने राखी बांधी और सभी अपना अपना काम करने लग गए. मम्मी खेत में चली गयी, हमें पता था कि मम्मी शाम को देर से आएगी, फिर मैं मोबाइल पर कुछ करने लग गया और मीतू पढ़ने लग गयी.
फिर उसने बोला- भाई कुछ पढ़ा दो, समझ नहीं आ रहा!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.