23-05-2019, 10:02 PM
Update 6
श्वेता : "यार, तेरे पापा ने तेरे लिए इतना कुछ किया है, तुझे भी कुछ करना चाहिए उनके लिए ''
काव्या : "मुझे .... क्या ???"
श्वेता : "आज उनकी सुहागरात है, तेरी मम्मी के साथ , क्यों न हम दोनों मिलकर उनका रूम डेकोरेट करे ''
काव्या ने तो ये बात सोची भी नहीं थी, और कोई भी ऐसा नहीं था जो ये काम करता, उन्हें ही ये करना होगा.
दोनों ने तय किया कि उनके कमरे को गुलाब के फूलो से सजा दिया जाए और इसके लिए श्वेता ने अपने भाई नितिन को फ़ोन किया.
नितिन के बारे में बता दू, वो श्वेता से दो साल बड़ा है और कॉलेज जाता है, और मन ही मन वो काव्या पर मरता भी है..
जैसे ही श्वेता ने नितिन को सारी बात बतायी, वो झट से मान गया, वो काव्या को देखने का एक भी अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.
नितिन मार्किट से जाकर एक फ्लावर शॉप वाले को ले आया और उसने अपने दो साथियो के साथ आकर पूरा कमरा गुलाब से सजा दिया.
नितिन कि नजरे रह रहकर काव्या को घूर रही थी, उसकी नाभि उसने आज पहली बार देखि थी, अंदर कि तरफ धंसी हुई, वो मन ही मन उसे चूसने कि सोच ही रहा था कि श्वेता बोली : "थेंक्स भाई, तुम्हारी वजह से ये सब आसानी से हो सका ''
किसी और चीज कि है ''
काव्या : "किस चीज कि ''
श्वेता : "सुहागरात कि, आज इतने सालो के बाद इन दोनों को कोई मिलेगा, धमाल होगा आज तो इनके कमरे में''
अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर काव्या शरमा गयी, उसके दिमाग में चलचित्र उभरने लगे, जिसमे उसकी माँ और समीर पापा नंगे एक दूसरे के शरीर से लिपटे हुए हैं और प्यार कर रहे हैं.
उसकी आँखों में गुलाबीपन उतर आया..
श्वेता ने उसे शर्माते हुए देखा और धीरे से उसके कान में बोली : "मुझे पता है तू क्या सोच रही है ''
काव्या ने चोंक कर उसकी आँखों में देखा, और उसकी शरारती नजरों में छुपी बात को वो समझ गयी क्योंकि वो जानती थी कि श्वेता इन मामलो में कितनी तेज है , उसने फिर से अपनी नजरें झुका ली..
श्वेता धीरे से बोली : "एक आईडिया आया है, अगर तू साथ दे तो मजा आएगा "
काव्या : "क्या ??"
श्वेता : "इन दोनों कि सुहागरात देखते हैं , छुप कर, बोल क्या कहती है ''
काव्या कि आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी, उसने सोचा भी नहीं था कि श्वेता ऐसा कुछ कहेगी.
श्वेता आगे बोली : "देख, अभी पार्टी से सब लोग चले जायेंगे, कोई रिश्तेदार रुकने वाला नहीं है रात को, पुरे घर में सिर्फ तेरे मम्मी पापा और तू रहेगी, मैं नितिन को बोल दूंगी कि मैं रात को यहीं रुकूँगी, और फिर रात को हम दोनों मिलकर दोनों कि लाइव सुहागरात देखेंगे , वॉव, कितना मजा आएगा, हमें भी कुछ सीखने को मिलेगा , है न ''
काव्या चुप चाप उसकी बाते सुनती रही..
श्वेता आगे बोली : "और वैसे भी, अपनी माँ कि सुहागरात देखने का मौका मिलता भी किसे है, यु आर लक्की वन''
काव्या कि हंसी निकल गयी और उसने हँसते हुए अपना सर हिला कर उसे अपनी सहमति दे डाली.
वैसे तो उसने इतनी सी देर में काफी कुछ सोच लिया था कि ये सब गलत है, अपनी माँ को ऐसे सेक्स करते हुए देखना गलत होगा, समीर सर भी अब उसके पापा है, अपने पापा को नंगा देखना कितना गलत है ये वो अच्छी तरह से जानती थी, पर उसकी उम्र ही ऐसी थी कि ये सब गलत बातो को दरकिनार करते हुए उसने श्वेता कि बात मान ली.
श्वेता ने नितिन को वापिस घर भेज दिया और मम्मी को भी फ़ोन करके बता दिया कि आज वो वही रुकेगी .
धीरे-२ सभी मेहमान चले गए.
दोनों सहेलिया समीर के बेडरूम में छुपने कि जगह देख रही थी.
बंगले में सभी बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और सभी बेडरूम कि बड़ी सी बालकनी एक दूसरे से मिली हुई थी , बस बीच में छोटी सी दिवार थी, समीर के बेडरूम और काव्या के बेडरूम के बीच एक स्टोर रूम भी था, जिसके पीछे भी एक बालकनी थी.
श्वेता : "यार, तेरे पापा ने तेरे लिए इतना कुछ किया है, तुझे भी कुछ करना चाहिए उनके लिए ''
काव्या : "मुझे .... क्या ???"
श्वेता : "आज उनकी सुहागरात है, तेरी मम्मी के साथ , क्यों न हम दोनों मिलकर उनका रूम डेकोरेट करे ''
काव्या ने तो ये बात सोची भी नहीं थी, और कोई भी ऐसा नहीं था जो ये काम करता, उन्हें ही ये करना होगा.
दोनों ने तय किया कि उनके कमरे को गुलाब के फूलो से सजा दिया जाए और इसके लिए श्वेता ने अपने भाई नितिन को फ़ोन किया.
नितिन के बारे में बता दू, वो श्वेता से दो साल बड़ा है और कॉलेज जाता है, और मन ही मन वो काव्या पर मरता भी है..
जैसे ही श्वेता ने नितिन को सारी बात बतायी, वो झट से मान गया, वो काव्या को देखने का एक भी अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.
नितिन मार्किट से जाकर एक फ्लावर शॉप वाले को ले आया और उसने अपने दो साथियो के साथ आकर पूरा कमरा गुलाब से सजा दिया.
नितिन कि नजरे रह रहकर काव्या को घूर रही थी, उसकी नाभि उसने आज पहली बार देखि थी, अंदर कि तरफ धंसी हुई, वो मन ही मन उसे चूसने कि सोच ही रहा था कि श्वेता बोली : "थेंक्स भाई, तुम्हारी वजह से ये सब आसानी से हो सका ''
किसी और चीज कि है ''
काव्या : "किस चीज कि ''
श्वेता : "सुहागरात कि, आज इतने सालो के बाद इन दोनों को कोई मिलेगा, धमाल होगा आज तो इनके कमरे में''
अपनी माँ के बारे में ऐसी बाते सुनकर काव्या शरमा गयी, उसके दिमाग में चलचित्र उभरने लगे, जिसमे उसकी माँ और समीर पापा नंगे एक दूसरे के शरीर से लिपटे हुए हैं और प्यार कर रहे हैं.
उसकी आँखों में गुलाबीपन उतर आया..
श्वेता ने उसे शर्माते हुए देखा और धीरे से उसके कान में बोली : "मुझे पता है तू क्या सोच रही है ''
काव्या ने चोंक कर उसकी आँखों में देखा, और उसकी शरारती नजरों में छुपी बात को वो समझ गयी क्योंकि वो जानती थी कि श्वेता इन मामलो में कितनी तेज है , उसने फिर से अपनी नजरें झुका ली..
श्वेता धीरे से बोली : "एक आईडिया आया है, अगर तू साथ दे तो मजा आएगा "
काव्या : "क्या ??"
श्वेता : "इन दोनों कि सुहागरात देखते हैं , छुप कर, बोल क्या कहती है ''
काव्या कि आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी, उसने सोचा भी नहीं था कि श्वेता ऐसा कुछ कहेगी.
श्वेता आगे बोली : "देख, अभी पार्टी से सब लोग चले जायेंगे, कोई रिश्तेदार रुकने वाला नहीं है रात को, पुरे घर में सिर्फ तेरे मम्मी पापा और तू रहेगी, मैं नितिन को बोल दूंगी कि मैं रात को यहीं रुकूँगी, और फिर रात को हम दोनों मिलकर दोनों कि लाइव सुहागरात देखेंगे , वॉव, कितना मजा आएगा, हमें भी कुछ सीखने को मिलेगा , है न ''
काव्या चुप चाप उसकी बाते सुनती रही..
श्वेता आगे बोली : "और वैसे भी, अपनी माँ कि सुहागरात देखने का मौका मिलता भी किसे है, यु आर लक्की वन''
काव्या कि हंसी निकल गयी और उसने हँसते हुए अपना सर हिला कर उसे अपनी सहमति दे डाली.
वैसे तो उसने इतनी सी देर में काफी कुछ सोच लिया था कि ये सब गलत है, अपनी माँ को ऐसे सेक्स करते हुए देखना गलत होगा, समीर सर भी अब उसके पापा है, अपने पापा को नंगा देखना कितना गलत है ये वो अच्छी तरह से जानती थी, पर उसकी उम्र ही ऐसी थी कि ये सब गलत बातो को दरकिनार करते हुए उसने श्वेता कि बात मान ली.
श्वेता ने नितिन को वापिस घर भेज दिया और मम्मी को भी फ़ोन करके बता दिया कि आज वो वही रुकेगी .
धीरे-२ सभी मेहमान चले गए.
दोनों सहेलिया समीर के बेडरूम में छुपने कि जगह देख रही थी.
बंगले में सभी बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर थे और सभी बेडरूम कि बड़ी सी बालकनी एक दूसरे से मिली हुई थी , बस बीच में छोटी सी दिवार थी, समीर के बेडरूम और काव्या के बेडरूम के बीच एक स्टोर रूम भी था, जिसके पीछे भी एक बालकनी थी.


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