12-06-2022, 11:13 AM
यह सुन ठाकुर मन ही मन खुश होते हुए बोला- ठीक है धनसुख कल से तीनो को काम पे भेज दे।
ये सुन धनसुख ठाकुर के पैरो मे से उठा और जाने लगा।।
तो ठाकुर बोला - कहा जा रहा है अपना आज का कोटा तो लेटे जा।। (हरिया से) अरे ओ हरीया जा जाकर धनसुख को दारू की दो बोतल और आनाज की एक बोरी और 5000 रूपय दे दे।
ये सुन धनसुख खुशी से ठाकुर के पैर में गिर गया और बोला - बहुत- बहुत धन्यावाद मालिक।।।आप महान हो।।
ठाकुर- ठीक है अब जा।
धनसुख दारू कि बोतल आनाज और पैसे लेकर घर कि तरफ मस्त होके चल परा।।
घर पहुंच कर धनसुख ने देखा उसकी बीवी चम्पा घर के बाहर दुकान पे बैठी है।
धनसुख चम्पा के पास पहुंच कर उसके पास आनाज की बोरी रख दी।
आनाज कि बोरी देख चम्पा बोली- ये कहा से ले आया तु।
धनसुख जेब से पैसे निकाल देते हुए बोला- मालिक ने दिया है ये सब।
ये सुन चम्पा बोली - तुम फिर ठाकुर साहब से कर्जा ले आए, कहा से वापस करेगा तु ये सब।
धनसुख- नही नही कर्ज नही है ये मलिक ने खुश होकर दिया है ये सब।
चम्पा- क्यों ऐसा क्या हुआ जो ठाकुर साहब खुश होकर आनाज और इतना सारा पैसा दिया है तुझे।
धनसुख- वो मालिक ने आज पैसे वापस करने के लिए बोला तो मै उनके पैरो मे गिर गया और बोला कि मै कहा से पैसे वापस करू। तो मालिक ने बोला एक काम कर तु अपनी बीवी और दोनो बेटीयो को मेरे पास काम करने भेज दे बदले मे धीरे धीरे कर्ज भी खत्म हो जाएगा और तेरे घर का हाल भी कुछ सुधर जाएगा।
ये सुन चम्पा सारा माजरा समझ गई क्योकि ऐसे ही ठाकुर ने चम्पा कि पड़ोसन सोभा और उसकी बहु रश्मी को कर्ज के बदले काम करने को हवेली बुलाया था और दोनो को एक साथ खुब चोदता था।
एक बार तो खेत मे जाते हुए चम्पा ने छुप के ठाकुर को सोभा और रश्मी को चोदते देखा था।
उनकी चुदाई देख चम्पा का भी बुर पनीया गई थी।
चम्पा का भी मन ठाकुर से चुदवाने को करता था लेकिन उसे अपने बेटियो कि चिन्ता थी।
ये सुन धनसुख ठाकुर के पैरो मे से उठा और जाने लगा।।
तो ठाकुर बोला - कहा जा रहा है अपना आज का कोटा तो लेटे जा।। (हरिया से) अरे ओ हरीया जा जाकर धनसुख को दारू की दो बोतल और आनाज की एक बोरी और 5000 रूपय दे दे।
ये सुन धनसुख खुशी से ठाकुर के पैर में गिर गया और बोला - बहुत- बहुत धन्यावाद मालिक।।।आप महान हो।।
ठाकुर- ठीक है अब जा।
धनसुख दारू कि बोतल आनाज और पैसे लेकर घर कि तरफ मस्त होके चल परा।।
घर पहुंच कर धनसुख ने देखा उसकी बीवी चम्पा घर के बाहर दुकान पे बैठी है।
धनसुख चम्पा के पास पहुंच कर उसके पास आनाज की बोरी रख दी।
आनाज कि बोरी देख चम्पा बोली- ये कहा से ले आया तु।
धनसुख जेब से पैसे निकाल देते हुए बोला- मालिक ने दिया है ये सब।
ये सुन चम्पा बोली - तुम फिर ठाकुर साहब से कर्जा ले आए, कहा से वापस करेगा तु ये सब।
धनसुख- नही नही कर्ज नही है ये मलिक ने खुश होकर दिया है ये सब।
चम्पा- क्यों ऐसा क्या हुआ जो ठाकुर साहब खुश होकर आनाज और इतना सारा पैसा दिया है तुझे।
धनसुख- वो मालिक ने आज पैसे वापस करने के लिए बोला तो मै उनके पैरो मे गिर गया और बोला कि मै कहा से पैसे वापस करू। तो मालिक ने बोला एक काम कर तु अपनी बीवी और दोनो बेटीयो को मेरे पास काम करने भेज दे बदले मे धीरे धीरे कर्ज भी खत्म हो जाएगा और तेरे घर का हाल भी कुछ सुधर जाएगा।
ये सुन चम्पा सारा माजरा समझ गई क्योकि ऐसे ही ठाकुर ने चम्पा कि पड़ोसन सोभा और उसकी बहु रश्मी को कर्ज के बदले काम करने को हवेली बुलाया था और दोनो को एक साथ खुब चोदता था।
एक बार तो खेत मे जाते हुए चम्पा ने छुप के ठाकुर को सोभा और रश्मी को चोदते देखा था।
उनकी चुदाई देख चम्पा का भी बुर पनीया गई थी।
चम्पा का भी मन ठाकुर से चुदवाने को करता था लेकिन उसे अपने बेटियो कि चिन्ता थी।