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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा बस सुस्ताने ही चली थी, अचानक कुत्तों की तेज भौकने की आवाज़ से चौंक गयी । कुछ देर तक सतर्क कानो से अंदाज़ा लगाती रही की लोग किधर जा रहे है फिर एक गोली की आवाज़ सुनी । रीमा वहाँ से उठी और बिना कुछ सोचे समझे खुद को कसकर कम्बल में लपेट और अंदर गहरे घने जंगल की तरह भागी । एक सीमा के बाद तो रास्ते भी नहीं बचे अब कहाँ जाए किधर जाए कुछ समझ नहीं आया । कुछ देर बाद जब उसे लगा कुत्तों की आवाज़ों का शोर बढ़ता जा रहा है तो घनी झाड़ियों में कूद पड़ी और जहां से जैसे बन पड़ा घने जंगल को चीरती और अंदर चली गयी । तब तक भागती रही जब तक उसके कानो से कुत्तों की आवाज़ गुम नहीं हो गयी । जब साँसें क़ाबू आयी और दिमाग़ पर से दर का साया उतरा और चेतना वापस आयी तो खुद को डरावने घने जंगल में पाया । जहां १० मीटर बाद क्या है कुछ नहीं दिखायी पड़ रहा था । भयभीत रीमा ने जब खुद को कुछ और एकाग्र किया तो उसे लगा आस पास कही पानी बह रहा है लेकिन वो आगे बढ़े तो किस तरफ़ से । काफ़ी सोचने के बाद उसने ऊपर की तरफ़ सर किया और सूरज को पूरब दिशा में मानकर उसी तरफ़ चली । बड़ी बड़ी झाड़ियों में चलना मुश्किल हो रहा था, कभी बैठकर या लेटकर तक निकलना पड़ रहा था । कुछ देर झाड़ियों को चीरने के बाद उसे एक पतली सी पगडंडी मिली । वो हैरान थी बीचो बीच जंगल में पगडंडी, उसे कुछ समझ नहीं आया, धीरे धीरे उसी पर आगे बढ़ती चली गयी । कुछ किमी चलने के बाद उसे एक पुराना सा खंडहर मिला, जिसको गौर से देखने पर पता चला यहाँ को सदियों पुरानी इमारत रही होगी । कुछ हिस्सा अभी भी दीवारों के रूप में खड़ा था बाक़ी इमारत के पथर इधर उधर बिखरे पड़े थे । जिस पर जमकर घास और लताए चिपकी हुई थी । पथर की शिलाओं पर खूबसूरत  नक्कासी भी थी, बिलकुल वैसी ही जैसी रीमा ने खजुराहो में देखी थी ।कुछ देर इधर उधर देखने के बाद वही थक कर एक पथर पर छाँव में आराम करने लगी । भागते भागते वैसे भी उसका दम निकल गया था वो किसी भी हाल में इस बार सूर्यदेव के चंगुल में फँसना नहीं चाहती थी । फिर धीरे धीरे उन चट्टान नुमा फैले पथरो  पर एक एक कर चढ़ते हुए सबसे ऊपर पहुँच गयी । वहाँ से आस पास का पूरा इलाक़ा नज़र आता था । उसे वहाँ से बहती नदी साफ़ दिखायी दे रही थी, हर तरफ़ बस हरियाली ही हरियाली और घना जंगल । जहां रीमा बैठी थी यहाँ पर जंगली जानवरो का भी डर  नहीं थी । उसने एक लम्बी साँस ली और ठंडी हवा का सुखद स्पर्श महसूस करते हुए उसी पथर पर पसर गयी । कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला ।


इधर सूर्यदेव जैसे ही क्लिनिक में घुसा, उससे पहले ही विनीत भाग निकला, फ़िलहाल सूर्यदेव को रीमा चाहिए थी वो विनीत से तो बाद में भी निपट लेगा । उसने तेज़ी से अपने आदमियों को सब कमरे ढूँढने भेजा । खुद में लोगों से पूछताछ करने में लगा रहा । परे एक घंटे में सारा क्लिनिक छान मारा लेकिन रीमा का कही कोई अता पता नहीं था । क्लिनिक के गार्ड को वो पहले ही मार चुका था अब बाक़ी स्टाफ़ को भी धमकाने लगा । स्टाफ़ का बुरा हाल था लेकिन किसी को कुछ पता नहीं था ।  लिजेल और मोहन भी पीछे के दरवाज़े से जान बचाकर निकल भागे । बाक़ी स्टाफ़ को विनीत की प्राइवट चीजों का कुछ पता नहीं था । आख़िर हार कर विनीत के पेंट हाउस के ताले तोड़े जाने लगे । वहाँ भी बाद उसकी आय्यासी के समान की अलावा सूर्यदेव को कुछ हाथ नहीं लगा । 
वो आपने आदमियों पर चिल्लाया - अरे मदरचोदो मेरी शक्ल क्या देख रहे हो ढूँढो उस भोसड़ी वाली रंडी को वरना विलास मुझे बाद में मारेगा, उससे पहले मैं  तुम सब को जहन्नुम पहुँचा दूँगा । उसके साथ आयी सिक्युरिटी भी इधर उधर निकल ली । सुबह होने के बाद रीमा को ढूँढ ने के काम में तेज़ी आयी और सिक्युरिटी की एक टीम जंगल की तरफ़ जाने वाली पगडंडी की तरफ़ गयी । उसके पीछे पीछे शिकारी कुत्ते और सिक्युरिटी वाले भी गए, फिर सूर्यदेव भी उसी तरफ़ बढ़ चला । बूढ़ा रीमा को खाना देकर आया था और बस नहा पाया था की सिक्युरिटी वाले आ धमके , उन्होंने पूछताछ शुरू करी । बूढ़ा भी एक नम्बर का घाघ  था, ज़रा सी भनक न लगने दी । असल में विनीत ने उसके पैर का इलाज किया था जिसके कारण वो फिर से चलने लायक़ हो पाया था बस इसीलिए जी जान से डाक्टर का वफ़ादार था । सिक्युरिटी ने जल्दी ही विनीत का ऑफ़ फ़ोन ढूँढ लिया अब बुड्ढे  की ख़ैर नहीं थी । सिक्युरिटी के साथ साथ सूर्यदेव भी क़हर बनकर टूट पड़ा लेकिन बुड्ढे ने मुहँ  नहीं खोला । आख़िर कार ग़ुस्से में आकर सूर्यदेव ने उसको गोली मार दी । शिकारी कुत्ते जंगल में रीमा को खोजने निकल पड़े लेकिन एक सीमा के आगे जाने से वो कतराने लगे क्योंकि आगे भालुओं का साम्राज्य था और रास्ते भी नहीं थे । रास्ता ख़त्म होने के बाद आगे जाने को कोई राज़ी नहीं था, सूर्यदेव ने भी यहाँ की कहानियाँ सुनी थी एक यहाँ आदमखोर जंगली इंसान रहते है वो ज़िंदा ही आदमी को भूनते है और खाते है । इसके अलावा जंगली जानवरो का ख़तरा भी था । तभी पीछे से कुछ आहटों  ने सबको चौंका दिया ।

इधर रोहित रीमा की तलाश  में भटक रहा । उसके दिए पते  पर पहुँचने पर वहाँ तो कुछ और ही नजारा देखने को मिला । बाहर दो लाशें और सिक्युरिटी का मजमा लगा हुआ था । अपनी गाड़ी से उतरते ही समझ गया यहाँ कोई गोली कांड हुआ है । चूँकि वो अपने शहर की सिक्युरिटी के साथ था । इसलिए उसके साथ आया इन्स्पेक्टर ही आगे का मामला समझने गाड़ी से उतरा ।
वापस आकर उसी ने सारी कहानी रोहित को बतायी । 
रोहित के जबड़े भींच गए - सूर्यदेव अभी ज़िंदा है साला ।
इन्स्पेक्टर चौका - तुम जानते हो इस गुंडे को ।
रोहित ठीक से नहीं लेकिन जान पहचान तो बहुत पुरानी है ।
इन्स्पेक्टर - कैसे ।
रोहित - छोड़ो , अभी रीमा का पता लगाना ज़रूरी है ।
इन्स्पेक्टर - अगर आस पास के लोगों की कानाफूसी पर भरोसा करे तो, मैडम के यहाँ से २ किमी पूरब की तरफ़ पड़ने वाले तराई के घनघोर जंगल की तरफ़ जाने की बातें  हो रही है । ये जंगल यहाँ से शुरू होकर नदी के साथ साथ आगे १०० किमी तक गया है । सूर्यदेव भी वही गया है ।
रोहित - तो देर किस बात की है, चलो उसी तरफ़ ।
इन्स्पेक्टर - देखो बुरा मत मानना लेकिन हमें किसी भी सूरत में यहाँ की लोकल सिक्युरिटी से नहीं भिड़ना है, मुझे पता है ये ज़रूर सूर्यदेव से मिले हुए होंगे लेकिन फिर भी किसी तरह की खींचतानी मत करना प्लीज़ । हमें मैडम को किसी भी तरह पता लगाकर वापस ले चलना है, एक दोस्त की हैसियत से इमोशन पर थोड़ा क़ाबू रखना अगर यहाँ की सिक्युरिटी अड़ंगे डालती भी है तो चलेगा कोई बात नहीं ।
रोहित - ठीक है जैसा तुम कहो ।
रोहित भी उसी रास्ते से जंगल की तरफ़ बढ़ गया जिस रास्ते से पहले रीमा फिर सूर्यदेव अपनी गैंग के साथ गया था । कही देर खोजने के बाद रोहित भी उसी रास्ते पर चला जहां सूर्यदेव गया था । आगे मरे पड़े बूढ़े  की लाश देख सब सतर्क हो गए । सबने अपने अपने हथियार निकाल  लिए और कुछ ही दूर पर आख़िरकार रोहित को सूर्यदेव का गैंग मिल ही गया । दोनो  तरफ़ के लोगों ने एक दूसरे पर हथियार तान दिए । रोहित के साथ ज़्यादा लोग तो नहीं थे लेकिन सबके पास औटोमैटिक गन थी । रोहित को सूर्यदेव को पहचानते देर न लगी लेकिन सूर्यदेव को अंदाज़ा नहीं था की सामने वाला कौन है यहाँ कैसे । 
सूर्यदेव की माथे पर बल पड़ गए, इस वक्त इस जंगल में वो भी इन हथियारों के साथ 
सूर्यदेव - कौन हो तुम लोग और यहाँ इस घने जंगल में क्या कर रहे हो ।
रोहित - यही सवाल मेरा भी है ।
सूर्यदेव गरजा - ये मेरा इलाक़ा है ।
रोहित - इलाक़ा तो कुत्तों का होता है शेर तो पूरे जंगल का मालिक होता है ।
सूर्यदेव - अबे औक़ात में रह, वरना यही मार के डाल दूँगा, लाश भी नहीं नसीब होगी घरवालों को ।
रोहित - ओय धमकी किसको देता है, गाँड में दम है तो चला गोली साले ५ सेकंड में ७२ छेद कर दूँगा । पता नहीं चलेगा की छेदो  में तू फ़िट किया गया है या तुझमें छेद     भक्क गड़फट्टू  ।
सूर्यदेव - साले औक़ात के बाहर बोल रहा है  । 
रोहित - उतना ही बोल रहा हूँ जितना पिछवाड़े में दम है , तेरी तरह पालतू  कुत्तों की फ़ौज लेकर नहीं चलता हूँ ।
उसके कुछ कुत्ते गुराने लगे इससे पहले ही रोहित के साथ आया इन्स्पेक्टर बीच बचाव में आ गया - देखिए सर हम लोग दो  ज़िले पार करके आए है, हमें किसी गुमसूदा  की तलाश है । तभी सूर्यदेव के साथ आए सिक्युरिटी वालों में से एक बोल - तो आपको कोतवाली आना था यहाँ जंगल में हम आपकी कोई मदद थोड़े ही ना कर पायेंगे ।
सूर्यदेव बीच में टोकता हुआ - किसको ढूँढ रहे हो तुम ।
इन्स्पेक्टर ने जेब से फ़ोटो निकाली और सधे कदमों से सूर्यदेव की तरफ़ बढ़ा, सबकी बंदूके तनी हुई थी - रोहित भी साये की तरह उसके पीछे चला जिसे खुद उसने रुकने का इशारा किया । फ़ोटो देखते ही सूर्यदेव चौंक गया । वो रीमा की थी ।
सूर्यदेव - इसको कैसे जानते हो ।
इन्स्पेक्टर - तुमने देखा है इसे क्या ?
सूर्यदेव - पहले मैंने सवाल किया । पूरी बात बतावो तभी बात आगे और ज़्यादा नहीं बिगड़ेगी ।
इन्स्पेक्टर ने कुछ सोचा - देखिए अगर आपको कोई जानकारी हो तो हमें बता दीजिए, इसकी कई दिनो  से हम तलाश कर रहे है ऊपर से बहुत प्रेशर है ।
सूर्यदेव - मैंने कहा न पूरी बात बतावो, तुम लोग इसके जनाने वाले हो । सूर्यदेव अंदर से सतर्क हो गया उसे लगा रीमा के घरवाले यहाँ आ गए है, उसने अंदर से पूरी हिम्मत बटोरी ।
इन्स्पेक्टर - देखिए आप लोग समझ नहीं रहे मेरे ऊपर से बहुत प्रेशर है, SP साहब ने इसे हर हाल में खोज कर लाने को कहा है ।
सूर्यदेव - मैंने कहा न पूरी बात बतावो, वरना ख़ाली हाथ ही यहाँ से जवोगे ये मेरा इलाक़ा है । उसके पीछे खड़े सिक्युरिटी वाले हंसने लगे । रोहित मुट्ठियाँ भींच आगे बढ़ा तो उसे इन्स्पेक्टर ने शांत रहने का इशारा किया ।
इन्स्पेक्टर - देखिए सूर्यदेव जी मैं  आपको सच बता दूँगा लेकिन आपको भी वादा करना पड़ेगा की इन मैडम को खोजने में आप मेरी मदद करेंगे । 
सूर्यदेव - इसकी कोई मैं  गारंटी नहीं दे सकता, बस इतना कह सकता हूँ अगर आपने मुझे मेरे सवालों का जवाब सही सही दिया तो शायद मैं  आपकी कोई मदद कर पाऊँ । अब बताइए ये कौन है और आप इसे यहाँ क्यू खोजने आए है । 
इन्स्पेक्टर - अब आपसे क्या झूठ बोलना, लेकिन ये बात आप अपने पास तक ही रखिएगा, क्योंकि इसमें मेरे विभाग की बड़ी बदनामी हो सकती है । ये औरत एक नम्बर की फ़्रॉड है इसने SP साहब को अपने रूप जाल में फँसा कर ५० लाख रुपए ऐंठ लिए है और अब मंत्री जी उनका MMS भेजने की धमकी दे रही थी । जिसने बाद सिक्युरिटी ने जब दबिश करी तो ये वहाँ से भाग निकली । 
सूर्यदेव - अच्छा और ये कब की बात है ।
इन्स्पेक्टर - यही कोई एक हफ़्ता पहले की, उसके बाद हमें जंगल में एक लाश मिली, जो हमारे शहर के बेहद शरीफ़ व्यापारी विलास जी के बेटे की थी । हमें शक है इसी ने उसकी हत्या की है । इनसे (रोहित की तरफ़ इशारा करके ) जिनसे आप दो दो हाथ करने की तैयारी में थे इनके डेढ़ करोड़ रुपए का चुना लगा गयी है तभी से ये उनके खून के प्यासे घूम रहे है । धीमा आवाज़ में, नुक़सान के कारण थोड़ा सदमे में चले गए है । इनकी बात का बुरा मत मानिएगा । SP साहब के घर अगर वो SMS पहुँच गया तो न केवल समाज में उनकी थू थू होगी बल्कि परिवार में भी कलह होगी । 
सूर्यदेव - तुमारी  बात का थोड़ा थोड़ा ही भरोसा हो रहा है पता नहीं क्यू ।  वैसे अगर ये औरत तुम्हें मिल जाए तो क्या करोगे इसका ।
इन्स्पेक्टर - गोली मार देगें, मेरा मतलब इन काउंटर कर देगें , न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी । 
सूर्यदेव - वैसे मेरा इस औरत से कोई लेना देना नहीं है आपका सरदर्द है आप जानो । 
इन्स्पेक्टर - लेकिन आप ने अभी तो थोड़ी देर पहले कहा आप इसे जानते है ।
सूर्यदेव - नहीं आप ग़लत समझ रहे है, मैंने तो बस एक अजनबी के नाते सवाल किया था, मैं  भी इस क़स्बे का एक जाना माना बिज़नेस मैन  हूँ और मेरी गोदाम से कुछ क़ीमती चीज़ चोरी हो गयी थी वही खोजने इस जंगल में आया था । 
इन्स्पेक्टर - आप अपने वादे से मुकर रहे है सूर्यदेव जी, याद रखिए हम सिक्युरिटी वाले है हमारे पास सबकी कुंडली रहती है, विलास जी को आपकी भी तलाश है, अगर रीमा मैडम न मिली तो सिक्युरिटी से पहले आपका इन  काउंटर विलास के आदमी कर देगें । बाक़ी आपकी मर्ज़ी, मैं  तो बस आपकी मदद करना चाहता था ।
सूर्यदेव - ये धमकाता किसको है, फिर से ढीली पड़ी बंदूके तन  गयी । 
माहौल की गर्मी देख इन्स्पेक्टर बोला - देखिए सूर्यदेव जी मैं आपसे लड़ने झगड़ने नहीं आया हूँ, अगर आप हमारा सहयोग करेंगे तो ठीक है, नहीं करेंगे तो हम अपने आप मैडम को खोज निकालेगे और अगर आपने मेरी राह में रोड़े  अटकाए तो सोच लीजिए, मेरा एक फ़ोन और २००० की सिक्युरिटी फ़ोर्स यहाँ होंगी । मैं  आपकी बंदर घुड़कियों से नहीं डरने वाला , बाक़ी आप समझदार है ।
अपने साथ आए लोगों को इशारा करता हुआ - चलो से आगे चलकर देखते है । 
सूर्यदेव कुछ सोचकर - रुको, शायद मैं  आपकी कोई मदद कर पाऊँ ।
रोहित भी नज़दीक आ गया । सूर्यदेव ने मोबाइल निकाला उसमें से जितेश और उसके दो साथियों की फ़ोटो दिखाकर - मैं  पुख़्ता तौर पर अभी कुछ नहीं कह सकता लेकिन इस आदमी ने किसी तीसरे के ज़रिए दो दिन पहले मुझसे फिरौती माँगी थी लेकिन उसके बाद ये औरत वहाँ से उड़न छू  हो गयी । मुझे बस इतना ही पता है । 
इन्स्पेक्टर - आपको रीमा मैडम की तलाश क्यू है ?
सूर्यदेव - इसका जवाब आप जानते है । मैं  आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा लेकिन मेरे तरफ़ से आपको कोई दिक़्क़त भी नहीं होगी । आप आराम से मैडम को खोजिए, अब मैं चलता हूँ ।
इतना कहकर वो पूरे दल बदल के साथ वापस क़स्बे की तरफ़ चल दिया । उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था, यहाँ की सिक्युरिटी को तो वो सम्भाल लेता लेकिन रोहित के साथ आयी सिक्युरिटी, ऊपर से विलास के कहने पर आयी । सूर्यदेव ऊपर से नीचे तक पसीना पसीना हो गया । उसने जल्दी जल्दी यहाँ से निकलने में भलायी समझी ।
रोहित के साथ आए लोगों ने लाख हाथ पाँव मारे लेकिन चारों  तरफ़ जंगल ही जंगल, कुछ हाथ न लगा, इसीलिए कुछ देर बाद वो भी क़स्बे की तरफ़ लौट गए । वहाँ जाकर एक ठीक ठाक गेस्ट हाउस लिया, और नए सिरे से सोचने लगे । 
रोहित अपने हाथ मलता  हुआ - कोई तो होगा जिसे रीमा का पता होगा । 
इन्स्पेक्टर - हमें लगता है हमें एक बार फिर से क्लिनिक चलना चाहिए ।
रोहित - जैसा तुम कहो मेरा दिमाँग तो चल नहीं रहा है ।

इधर विलास की बेचैनी बढ़ती जा रही थी,  उसके घर में  मातम का माहौल ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा था । ऊपर से सूर्यदेव पर 
उसे रह रह कर ग़ुस्सा आ रहा था । सूर्यदेव और विलास के बीच की रार का फ़ायदा उठाने की सोच रहे मंत्री की सारी राजनीति जग्गु की मौत ने पलट दी थी । बिना विलास के समर्थन के उनका अगली बार जीत पाना मुश्किल था । समझ नहीं पा रहे थे की विलास के साथ खड़े हो या सूर्यदेव के । 
हाल ये था कि  
रोहित रीमा की चिंता में भटक रहा
रीमा अपनी घर वापसी की चिंता में डूबी
सूर्यदेव विलास के डर से रीमा की चिंता में डूबा हुआ 
जितेश अपनी ही चिंता में डूब हुआ
विनीत  को सूर्यदेव की चिंता 
मंत्री जी को अपने राजनैतिक करियर की चिंता
सबकी चिंता की वजह सिर्फ़ रीमा थी और रीमा की हालत की ज़िम्मेदार उसकी असीमित वासना थी जिसमें वो जितना डूबती वो उतनी ही गहरी होती चली जा रही थी ।
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 12-06-2022, 10:49 AM



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