12-06-2022, 03:31 AM
और धनसुख को ठाकुर के पैर में पटक देते हैं।
ठाकुर- क्यों रे धनसुख तुने बोला था पिछले महिने सारा पैसा दे देगा लेकिन तुम तो फिर पैसे लेने आ गया।
धनसुख ठाकुर के पैरो में गिर कर - मालिक माफ कर दो मालिक लेकिन क्या करू इतने पैसे मै कहा से लाउ। एक छोटी सी दुकान हैं वो भी आज कल नहीं चल रहा हैं।
ठाकुर- (गुस्से से) अबे साले दुकान कैसे चलेगा पुरे दिन दारू पि कर कही पड़ा रहेगा तो दुकान कैसे चलेगी। मैं कुछ नहीं जानता मुझे मेरे पैसे चाहीए।
ये सुन धनसुख का डर से हाल खराब हो गया।
धनसुख(डरते-डरते) - मालिक मुझे माफ कर दो मालिक।
ठाकुर- सुन बे साले अगर तुने मेरे पैसे नही दिये तो तेरा घर और दुकान सब ले लुगा और तो और तुझे और तेरे बेटों की मार मार कर चमरी उधेर दुगा।।
धनसुख (ठाकुर के पैरो में गिर के)- माफी कर दो मालिक माफ कर दो आप जो बोलोगे वो करूंगा ।
ठाकुर- देख धनसुख तेरी औकात नहीं है मेरे पैसे देने कि तु एक काम कर अपनी पत्नी चम्पा और दोनो बेटियों को मेरे पास हवेली मे भेज दे कल से वो यहां काम करेगी तो तेरा कर्ज भी कम होगा और मैं तुझे रोज दारू का एक बोतल भी दुगा।।
ये सुन धनसुख कि आँखो मे चमक आ गई वैसे तो धनसुख अच्छे से जनता था की ठाकुर उसकी बीवी और दोनो बेटियों को हवेली में काम करने के लिए क्यो बुला रहा क्योकी ठाकुर पुरे गांव मे इसके लिए बदनाम हैं।
आज तक ऐसी कोई औरत या लड़की नही जो हवेली मे आई और बिना चुदे बाहर गई हो
लेकिन एक तो कर्ज का डर ऊपर से रोज दारू मिलने का लालच।
ठाकुर- बोल बे माधर क्या सोच रहा हैं।
धनसुख- कुछ नही मालिक सोचना क्या है आप जो बोलो सो मै कल से ही चम्पा सीता और गीता को काम पे भेज दुंगा।
।।।।।।
ठाकुर- क्यों रे धनसुख तुने बोला था पिछले महिने सारा पैसा दे देगा लेकिन तुम तो फिर पैसे लेने आ गया।
धनसुख ठाकुर के पैरो में गिर कर - मालिक माफ कर दो मालिक लेकिन क्या करू इतने पैसे मै कहा से लाउ। एक छोटी सी दुकान हैं वो भी आज कल नहीं चल रहा हैं।
ठाकुर- (गुस्से से) अबे साले दुकान कैसे चलेगा पुरे दिन दारू पि कर कही पड़ा रहेगा तो दुकान कैसे चलेगी। मैं कुछ नहीं जानता मुझे मेरे पैसे चाहीए।
ये सुन धनसुख का डर से हाल खराब हो गया।
धनसुख(डरते-डरते) - मालिक मुझे माफ कर दो मालिक।
ठाकुर- सुन बे साले अगर तुने मेरे पैसे नही दिये तो तेरा घर और दुकान सब ले लुगा और तो और तुझे और तेरे बेटों की मार मार कर चमरी उधेर दुगा।।
धनसुख (ठाकुर के पैरो में गिर के)- माफी कर दो मालिक माफ कर दो आप जो बोलोगे वो करूंगा ।
ठाकुर- देख धनसुख तेरी औकात नहीं है मेरे पैसे देने कि तु एक काम कर अपनी पत्नी चम्पा और दोनो बेटियों को मेरे पास हवेली मे भेज दे कल से वो यहां काम करेगी तो तेरा कर्ज भी कम होगा और मैं तुझे रोज दारू का एक बोतल भी दुगा।।
ये सुन धनसुख कि आँखो मे चमक आ गई वैसे तो धनसुख अच्छे से जनता था की ठाकुर उसकी बीवी और दोनो बेटियों को हवेली में काम करने के लिए क्यो बुला रहा क्योकी ठाकुर पुरे गांव मे इसके लिए बदनाम हैं।
आज तक ऐसी कोई औरत या लड़की नही जो हवेली मे आई और बिना चुदे बाहर गई हो
लेकिन एक तो कर्ज का डर ऊपर से रोज दारू मिलने का लालच।
ठाकुर- बोल बे माधर क्या सोच रहा हैं।
धनसुख- कुछ नही मालिक सोचना क्या है आप जो बोलो सो मै कल से ही चम्पा सीता और गीता को काम पे भेज दुंगा।
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