12-06-2022, 02:19 AM
(This post was last modified: 12-06-2022, 02:42 AM by Aryanraaj69. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
धनसुख अक्सर दारू पीने के लिए ठाकुर साहब से पैसा लेता रहता था और ठाकुर भी धनसुख को पैसा दे देता था।
ये जानते हुए भी कि धनसुख पैसे वापस नही कर पाएगा ठाकुर बस चम्पा और उसकी दोनो बेटियों को भोगने के लालच में धनसुख जितने पैसा मांगता उतना दे देता था।
एक दिन ठाकुर अपने हवेली के बाहर अपने बगीच मे बैठा आरम कर रहा था तभी ठाकुर का खास आदमी हरीया आता है और बोलता है - मालिक धनसुख आया है और पैसे मांग रहा है।
ठाकुर- अच्छा फिर आ गया वो कमीना जरा ले आ उसे मेरे पास आज उसका हिसाब करता हुॅ।
हरिया - ठीक है मालिक।
ये बोल हरिया चला जाता है।
कुछ देर बाद ठाकुर के दो आदमी धनसुख को पकड़े हुए हरिया के साथ ठाकुर के पास आते है।
और
ये जानते हुए भी कि धनसुख पैसे वापस नही कर पाएगा ठाकुर बस चम्पा और उसकी दोनो बेटियों को भोगने के लालच में धनसुख जितने पैसा मांगता उतना दे देता था।
एक दिन ठाकुर अपने हवेली के बाहर अपने बगीच मे बैठा आरम कर रहा था तभी ठाकुर का खास आदमी हरीया आता है और बोलता है - मालिक धनसुख आया है और पैसे मांग रहा है।
ठाकुर- अच्छा फिर आ गया वो कमीना जरा ले आ उसे मेरे पास आज उसका हिसाब करता हुॅ।
हरिया - ठीक है मालिक।
ये बोल हरिया चला जाता है।
कुछ देर बाद ठाकुर के दो आदमी धनसुख को पकड़े हुए हरिया के साथ ठाकुर के पास आते है।
और