10-06-2022, 05:11 PM
तभी मुझे पीठ पीछे से एक मधुर सी आवाज़ सुनाई दी, क्यों क्या आज तुझे देखना नहीं है? दोस्तों मुझे तो यह बात सुनकर जैसे करंट का झटका सा लग गया था. मैंने जब पीछे पलटकर देखा तो बुआ मुझे देखकर ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी और उसने मुझे अपनी बड़ी निगाहों से अपनी तरफ बुला लिया. में भी तुरंत भंवरे की तरह उसकी तरफ खींचा हुआ चल दिया और मन ही मन सोचने लगा कि जैसे आज तो शायद मेरी लॉटरी ही लग गई, लेकिन में जैसे ही बुआ के पास गया तो उसने मेरे साथ ऐसा व्यहवार किया जैसे उसने मुझसे कुछ कहा ही नहीं और कुछ देर खड़े रहने के बाद मुझे अपने गले से लगा लिया और अपने दूध से चिपका लिया. दोस्तों अब मेरा चेहरा बिल्कुल बुआ के दोनों दूध के बीच में ज़ोर से दबा हुआ था और में उसी में खुश था और जन्नत का आनन्द ले रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.