10-06-2022, 05:11 PM
मेरी बुआ का घर एक ही कॉलोनी में था. उस समय बुआ की उम्र करीब 22 साल होगी और बुआ का एक छोटा भाई और मम्मी, पापा उनके साथ में रहते थे और मेरा बुआ के घर पर बहुत आना जाना लगा रहता था और में हर दिन कॉलेज से आकर सीधा बुआ के घर पर ही चला जाता था और फिर खाना भी वहीं पर ख़ाता था. दोस्तों उस समय बुआ के घर में खाना बनाना के लिए मिटटी का चूल्हा था और उन्हें उस चूल्हे में आग लगाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और बुआ का रोज का यही काम था. वो आग जलाने के लिए बहुत परेशान रहती थी.
दोस्तों बुआ हर दिन सूखी लकड़ियाँ लेकर आती फिर बैठकर उस लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े करती और फिर चूल्हे में रखकर उसमें आग लगाने की कोशिश किया करती थी. में इन सब कामों में अपनी बुआ की मदद करने पहुंच जाता था. दोस्तों पूछिए ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि आग जलाते समय बुआ अपनी चुन्नी को अपने जिस्म से हटाकर दूर फेंक देती थी और चूल्हे की आग को जलाने के लिए नीचे झुककर बहुत देर तक चूल्हे में हवा करनी पड़ती है और मुझे वहाँ जो नज़ारा देखने को मिलता था वो आप लोग अच्छी तरह से समझ सकते है.
बुआ जैसे ही नीचे झुकती तो बुआ के बड़े बड़े बूब्स उनके कपड़े फाड़कर बाहर आने को तैयार रहते थे और मेरा मन करता कि पास जाकर बुआ के दोनों बूब्स को मसल दूँ और मुहं में डालकर चूस चूसकर नीबूं बना दूँ, लेकिन मेरी ऐसी किस्मत कहाँ? में बस मन ही मन में वो जन्नत का नज़ारा लिए बुआ के बाथरूम में तुरंत जाकर मुठ मार लेता था. फिर एक दिन की बात है. बुआ के उस समय एग्जाम थे और में बुआ के घर पर पहुंचा और एक बार फिर से वही आग देखने के लिए तो मुझे पता चला कि बुआ अगले बीस दिन तक खाना नहीं बनाएगी. यह बात सुनकर में बहुत उदास हुआ और तुरंत बाहर का रास्ता पकड़ा और बाहर जाने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.