10-06-2022, 04:31 PM
“……मम्मी…मम्मी…..सी सी चाटो अन्नू बेटा!! अच्छे से चाटो!! तेरे फूफा तो जरा भी नही चाटने है….हा हा……ऊँ. ..उनहूँ उनहूँ..” वो करने लगी
मैं भी जोश में जाकर चाटने लगा। बुआ की चूत की आकृति मुझे कुछ कुछ मछली के खुले मुंह जैसी लगी। कुछ औरतो के चूत के ओंठ बाहर को निकले होते है पर कुछ के होठ काफी छोटे होते है और अंदर ही घुसे होते है और पता भी नही चलता। इसी प्रकार से दोस्तों मेरी बुआ की चूत थी। साइड से गद्दियाँ फूली फूली थी और चूत के लब नीचे को धंसे हुए थे। मैं तो जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। बुआ भी किसी प्यासी मछली की तरह तड़पने लगी। अपनी गोल मटोल चूचियों को खुद ही दोनों हाथों से दबाने लगी। आखे बंदकर अपने दांत से अपने सेक्सी होठो को चबाये जा रही थी। मैंने 20 मिनट उसकी चूत चाट चाटकर किसी नये सिक्के की तरह चमका दी।
“आओ बेटा!! अब तुम लेटो। तेरा लंड चूसूंगी!!” बुआ जी बोली
मुझे सोफे पर लिटा दिया। दोस्तों, 3 सीटर सोफे इतना लम्बा था की आराम से हम दोनों उस पर आ गये थे। मैं लेटा और बुआ जी बैठ गयी। फिर लंड को हाथ से पकड़ कर अच्छे से किसी माहिर औरत की तरह फेटने लगी। अब मेरे लंड में हरकत होने लगी। फिर धीरे धीरे खड़ा हो गया। फिर से मेरा हथियार खड़ा था। मेरा लंड भी काफी खूबसूरत और गबरू जवान था। सुपाडा तो लाल लाल चमक रहा था। बुआ जी नीचे झुकी और मजे से चूसने लगी। मैं ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा—करने लगा। बुआ जी ने बालो में चोटी कर रखी थी। मैंने उसके सिर पर हाथ रख दिया। ऐसा लग रहा था की उनको किसी बाबा की तरह आशीवाद दे रहा था।
Cherie DeVille
मैं भी जोश में जाकर चाटने लगा। बुआ की चूत की आकृति मुझे कुछ कुछ मछली के खुले मुंह जैसी लगी। कुछ औरतो के चूत के ओंठ बाहर को निकले होते है पर कुछ के होठ काफी छोटे होते है और अंदर ही घुसे होते है और पता भी नही चलता। इसी प्रकार से दोस्तों मेरी बुआ की चूत थी। साइड से गद्दियाँ फूली फूली थी और चूत के लब नीचे को धंसे हुए थे। मैं तो जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। बुआ भी किसी प्यासी मछली की तरह तड़पने लगी। अपनी गोल मटोल चूचियों को खुद ही दोनों हाथों से दबाने लगी। आखे बंदकर अपने दांत से अपने सेक्सी होठो को चबाये जा रही थी। मैंने 20 मिनट उसकी चूत चाट चाटकर किसी नये सिक्के की तरह चमका दी।
“आओ बेटा!! अब तुम लेटो। तेरा लंड चूसूंगी!!” बुआ जी बोली
मुझे सोफे पर लिटा दिया। दोस्तों, 3 सीटर सोफे इतना लम्बा था की आराम से हम दोनों उस पर आ गये थे। मैं लेटा और बुआ जी बैठ गयी। फिर लंड को हाथ से पकड़ कर अच्छे से किसी माहिर औरत की तरह फेटने लगी। अब मेरे लंड में हरकत होने लगी। फिर धीरे धीरे खड़ा हो गया। फिर से मेरा हथियार खड़ा था। मेरा लंड भी काफी खूबसूरत और गबरू जवान था। सुपाडा तो लाल लाल चमक रहा था। बुआ जी नीचे झुकी और मजे से चूसने लगी। मैं ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा—करने लगा। बुआ जी ने बालो में चोटी कर रखी थी। मैंने उसके सिर पर हाथ रख दिया। ऐसा लग रहा था की उनको किसी बाबा की तरह आशीवाद दे रहा था।
Cherie DeVille
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.