10-06-2022, 02:50 PM
मेरी पूजा बुआ पक्की चुदक्कड़ थीं और वो मुझसे चुदवाना चाहती थीं. ये मुझको मेरी बड़ी बुआ मीना ने मुझे बता दिया था.
मेरी ये दोनों बुआ लेस्बियन थीं और एक दिन उन दोनों को मैंने लेस्बियन सेक्स करते देख लिया था. उस समय छोटी बुआ रेखा मुझे देख कर बिना कुछ कहे उधर से चली गई थीं.
मैंने मीना बुआ से मस्ती की तो उसी समय मीना बुआ ने मुझको अपने साथ बिस्तर में खींच लिया था और चुदाई करवाते समय बड़ी बुआ ने बताया था कि ये दोनों भी चुदवाने को मचलती रहती हैं.
मगर मीना बुआ ने मुझे उन दोनों के साथ सेक्स करने में मुझे टाल दिया था.
मैं समझ गया था कि बुआ अपने माल को किसी दूसरी चूत के साथ शेयर करना नहीं चाहती थीं.
मैंने उसी समय ये तय कर लिया था कि मैं उन दोनों रेखा और पूजा बुआ को एक दिन जरूर चोद कर मजा लूंगा.
रेखा बुआ विधवा थीं वो मेरे लिए आसान शिकार थीं.
मगर वो घर में सभी के साथ रहती थीं तो मुझे उनको चोद पाने का मौका नहीं मिल पा रहा था.
फिर मीना बुआ भी मुझे छोड़ना नहीं चाहती थीं इस वजह से रेखा बुआ की चुत मिलने में कुछ समस्या आ रही थी.
मैं शहर में पूजा बुआ के साथ रहने आ गया था.
हालांकि मुझे मालूम चल गया था कि पूजा बुआ मेरे लंड से चुदना चाहती थीं … लेकिन तब भी मैं खुद से पहल नहीं करना चाहता था.
मुझे कुछ डर भी था कि कहीं उनका मूड न बदल गया हो. क्योंकि इस विषय में मैंने जो जाना था, वो एक साल पहले की बात थी.
पूजा बुआ के घर में रात बिताने के बाद अगले दिन मैं काम ढूंढने निकल गया पूजा बुआ भी वर्किंग लेडी थीं, तो वो भी अपने काम पर चली गईं.
एक हफ्ते बहुत ढूंढने के बाद मुझे काम मिल गया.
अगले दिन रविवार था. उस दिन बुआ और मैं मार्केट गए, तो सब्जी और बाकी का सामान आदि लिया.
फिर बुआ मुझे एक अंडरगारमेंट की दुकान में लेकर गईं और अपने लिए ब्रा पैंटी खरीदने लगीं.
मैं उनके साथ ही था, बुआ एक ब्रा मुझे दिखाते हुए मुझसे पूछ रही थीं- ये पीस कैसा है योगी … बता न ये सैट मुझे सूट करेगा या नहीं.
इसमें मुझको शर्म भी आ रही थी और दिल ही दिल ही उत्तेजना भी बढ़ रही थी.
बुआ एकदम छोटी सी दिखने वाली ब्रा पैंटी ले रही थीं, जिसमें से उनका कुछ भी छुपने वाला नहीं था.
शायद वो जानबूझ कर ऐसे सैट ले रही थीं … ताकि मुझे वो अपने मदमस्त यौवन को दिखा सकें.
बाजार से आकर मैं अपने कमरे में चला गया और रात को डिनर के बाद हम दोनों सोने चले गए.
बुआ ने उस रात कुछ भी जाहिर नहीं किया. इससे मुझे समझ नहीं आया कि ये क्या चाह रही हैं.
फिर अगले दिन वो काम से वापस आईं तो शाम गहरा गई थी.
मैं भी आ गया था.
बुआ ने अपने कपड़े बदले और वो एक टी-शर्ट लोअर में आकर खाना बनाने लगीं.
उनकी टी-शर्ट से उनके मदमस्त मम्मे मुझे गर्म कर रहे थे.
मगर मैं सजग था, अपनी तरफ से कुछ भी ऐसा जाहिर नहीं कर रहा था कि मुझे बुआ के साथ कुछ करने का मन है.
हम दोनों ने खाना खाया, फिर बुआ टीवी चालू करके सोफे पर लेट गईं.
मैं भी उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.