10-06-2022, 02:49 PM
पूजा बुआ के बड़े बड़े 36 नाप के चुचे, बलखाती कमर 30 इंच की और 42 की गांड ऐसी थी कि मां कसम किसी के भी लंड का पानी एक झटके में निकाल दे.
मेरी इन शहर वाली पूजा बुआ की एक बेटी और एक बेटा है. उनकी बेटी की शादी हो चुकी है और बेटा और बाप यानि मेरे फूफा जी अक्सर शहर से बाहर रहते हैं.
पूजा बुआ की लड़की की शादी होने के बाद फूफा जी ने मुझसे कहा कि योगी तू यहीं अपनी बुआ के पास रह जा और यहीं काम ढूंढ़ ले. तू यहां रह कर अपनी बुआ की देखभाल भी कर लेना और काम करते रहना. हम दोनों को विदेश जाना है.
मैं उनकी बातें सुनकर खुश हो गया, लेकिन मैंने अपनी ख़ुशी को संभाला और फूफा जी से कहा कि फूफा जी, मैं अपने घर पर बात करके बताता हूँ.
फिर मैं घर आया और मम्मी पापा से पूछा.
तो उन्होंने कह दिया- ठीक है बेटा, तू शहर चला जा और अपनी बुआ का ख्याल रखना.
अब मैं शहर आ गया. दूसरे दिन फूफा जी और उनके बेटे को जाना था.
फूफा जी मुझे देखकर खुश हो गए.
मैंने ध्यान किया कि जब से मैं बुआ के घर आया था, तब से ही बुआ मंद मंद मुस्कुरा रही थीं. उनकी मुस्कुराहट के पीछे क्या राज था, वो तो बाद में पता चलने वाला था.
अगले दिन फूफा जी और उनका लड़का अपने काम से विदेश चले गए. उनका कुछ ऐसा था कि दोनों को ही दो तीन महीने से पहले देश वापस नहीं आना था.
मेरी इन शहर वाली पूजा बुआ की एक बेटी और एक बेटा है. उनकी बेटी की शादी हो चुकी है और बेटा और बाप यानि मेरे फूफा जी अक्सर शहर से बाहर रहते हैं.
पूजा बुआ की लड़की की शादी होने के बाद फूफा जी ने मुझसे कहा कि योगी तू यहीं अपनी बुआ के पास रह जा और यहीं काम ढूंढ़ ले. तू यहां रह कर अपनी बुआ की देखभाल भी कर लेना और काम करते रहना. हम दोनों को विदेश जाना है.
मैं उनकी बातें सुनकर खुश हो गया, लेकिन मैंने अपनी ख़ुशी को संभाला और फूफा जी से कहा कि फूफा जी, मैं अपने घर पर बात करके बताता हूँ.
फिर मैं घर आया और मम्मी पापा से पूछा.
तो उन्होंने कह दिया- ठीक है बेटा, तू शहर चला जा और अपनी बुआ का ख्याल रखना.
अब मैं शहर आ गया. दूसरे दिन फूफा जी और उनके बेटे को जाना था.
फूफा जी मुझे देखकर खुश हो गए.
मैंने ध्यान किया कि जब से मैं बुआ के घर आया था, तब से ही बुआ मंद मंद मुस्कुरा रही थीं. उनकी मुस्कुराहट के पीछे क्या राज था, वो तो बाद में पता चलने वाला था.
अगले दिन फूफा जी और उनका लड़का अपने काम से विदेश चले गए. उनका कुछ ऐसा था कि दोनों को ही दो तीन महीने से पहले देश वापस नहीं आना था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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