09-06-2022, 06:38 PM
तरक्की का सफ़र
लेखक: राज अग्रवाल
CHAPTER १
भाग-2
“मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो”, नीता ने कहा।
“अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा”, मैंने जवाब दिया।
“तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे”, नीता ने कहा।
“ठीक है”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन नीता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट २-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।
“थैंक यू नीता! तुम्हारा जवाब नहीं”, मैंने कहा।
“अरे थैंक यू की कोई बात नहीं... ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है.... एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये”, नीता ने जवाब दिया।
ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। “ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?” मैंने पूछा।
“दो महीने का किराया एडवाँस”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है”, मैंने जवाब दिया।
“कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा”, इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
“नीता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे”, मैंने कहा।
“कुछ नहीं होगा राज, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ”, इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
उसके गोरे और गदराये बदन को देख कर मेरा मन भी सैक्स करने को चाहने लगा। मैंने ज़िंदगी में अभी तक किसी लड़की को चोदा नहीं था। मैं उसके बदन की खूबसूरती में ही खोया हुआ था।
“अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है क्या?” उसने पूछा।
“कौन कहता है कि मैंने किसी को नहीं चोदा, मैंने अपने गाँव की लड़कियों को चोदा है।” मैंने उससे झूठ कहा, और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मेरा लंड बाहर निकल कर खड़ा हुआ
“वाओ! तुम्हारा लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है... चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा। आओ अब देर मत करो”, इतना कहकर उसने अपनी टाँगों को और चौड़ा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाइट कर रही थी।
मैंने चुदाई पर काफी किताबें पढ़ी थी, पर आज तक किसी को चोदा नहीं था। भगवान का नाम लेते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। मगर चार पाँच बार के बाद भी मैं नहीं कर पाया।
“रुक जाओ राज, प्लीज़ रुको”, उसने कहा।
“क्या हुआ?” मैंने पूछा।
उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया, और कहा, “हाँ अब करो, डाल दो इसे पूरा अंदर।”
मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा। मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।
“राज जरा धीरे-धीरे करो”, वो मुझसे कह रही थी, पर मैं कहाँ सुनने वाला था। ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था। मैं झड़ने के करीब था, मैंने दो चार जोर के धक्के लगाये और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसके ऊपर लेट कर मैं गहरी गहरी साँसें ले रहा था।
उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किस किया और बोली, “राज तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला, ये तुम्हारी पहली चुदाई थी... है ना?”
“हाँ!” मैंने कहा।
“कोई बात नहीं, सब सीख जाओगे, धीरे-धीरे”, इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी। मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा। उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी।
मेरे लंड में फ़िर गर्मी आने लगी। मेरा लंड फ़िर तन गया था। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ओह राज! तुम्हारा लंड तो वाकय बहुत सुंदर है।”
इससे पहले वो कुछ और कहती मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया
“राज इस बार धीरे-धीरे चोदो... इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आयेगा।” उसने प्यार से कहा।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। करीब पाँच मिनट की चुदाई में वो भी अपनी कमर हिलाने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी। अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और…..
“ओहहहहह राज! बहुत अच्छा लग रहा है। आआआआआहहहहहह जोओओओओर से चोदो... हाँ तेज और तेज ऊऊऊहहहहहह”
“बस दो चार धक्कों की देर है रा..आआ..ज जोर जोर से करो”, वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
उसकी चींखें सुन कर मैं भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो चली थी। पर मेरी दूसरी बारी थी इसलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था।
वो नीचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी, “हाँआँआँआँ ऐसे ही करो ओहहहहहह चोदो राज और जोर से... आआहहहहहह... मेरा छूटने वाला है”, उसकी सिसकरियाँ कमरे में गूँज रही थी।
मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था। हम दोनों पसीने में तर थे।
मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में मैंने अपना पानी उसकी चूत की जड़ों तक छोड़ दिया। मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया।
“ओह राज! तुम शानदार मर्द हो। काफी मज़ा आया... इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा... आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है”, वो बोली।
“क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या?” मैंने पूछा।
“चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं। वो टूर पर से थके हुए आते है, और जल्दी-जल्दी करते हैं। वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं”, उसने कहा।
करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैं एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों से खेल रहा था। कभी मैं उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकरी निकल पड़ती। उसमें भी गर्मी आने लग रही थी। वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी।
“ओह राज तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गयी है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना।” इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।
मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी... “ओह मा...आआआ...र डाला। राज जरा धीरे... तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।”
“अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा..., तुम डरो मत।” इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।
“हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहहहहह आआहहहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईईईईईईई”, उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।
वो पलट कर मेरे ऊपर आ गयी और बोली, “राज तुम बहुत अच्छे हो... ऑय लव यू।”
“मुझे भी तुम पसंद हो नीता”, मैंने कहा।
!!! क्रमशः !!!
लेखक: राज अग्रवाल
CHAPTER १
भाग-2
“मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो”, नीता ने कहा।
“अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा”, मैंने जवाब दिया।
“तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे”, नीता ने कहा।
“ठीक है”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन नीता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट २-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।
“थैंक यू नीता! तुम्हारा जवाब नहीं”, मैंने कहा।
“अरे थैंक यू की कोई बात नहीं... ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है.... एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये”, नीता ने जवाब दिया।
ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। “ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?” मैंने पूछा।
“दो महीने का किराया एडवाँस”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है”, मैंने जवाब दिया।
“कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा”, इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
“नीता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे”, मैंने कहा।
“कुछ नहीं होगा राज, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ”, इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
उसके गोरे और गदराये बदन को देख कर मेरा मन भी सैक्स करने को चाहने लगा। मैंने ज़िंदगी में अभी तक किसी लड़की को चोदा नहीं था। मैं उसके बदन की खूबसूरती में ही खोया हुआ था।
“अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है क्या?” उसने पूछा।
“कौन कहता है कि मैंने किसी को नहीं चोदा, मैंने अपने गाँव की लड़कियों को चोदा है।” मैंने उससे झूठ कहा, और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मेरा लंड बाहर निकल कर खड़ा हुआ
“वाओ! तुम्हारा लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है... चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा। आओ अब देर मत करो”, इतना कहकर उसने अपनी टाँगों को और चौड़ा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाइट कर रही थी।
मैंने चुदाई पर काफी किताबें पढ़ी थी, पर आज तक किसी को चोदा नहीं था। भगवान का नाम लेते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। मगर चार पाँच बार के बाद भी मैं नहीं कर पाया।
“रुक जाओ राज, प्लीज़ रुको”, उसने कहा।
“क्या हुआ?” मैंने पूछा।
उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया, और कहा, “हाँ अब करो, डाल दो इसे पूरा अंदर।”
मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा। मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।
“राज जरा धीरे-धीरे करो”, वो मुझसे कह रही थी, पर मैं कहाँ सुनने वाला था। ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था। मैं झड़ने के करीब था, मैंने दो चार जोर के धक्के लगाये और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसके ऊपर लेट कर मैं गहरी गहरी साँसें ले रहा था।
उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किस किया और बोली, “राज तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला, ये तुम्हारी पहली चुदाई थी... है ना?”
“हाँ!” मैंने कहा।
“कोई बात नहीं, सब सीख जाओगे, धीरे-धीरे”, इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी। मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा। उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी।
मेरे लंड में फ़िर गर्मी आने लगी। मेरा लंड फ़िर तन गया था। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“ओह राज! तुम्हारा लंड तो वाकय बहुत सुंदर है।”
इससे पहले वो कुछ और कहती मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया
“राज इस बार धीरे-धीरे चोदो... इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आयेगा।” उसने प्यार से कहा।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। करीब पाँच मिनट की चुदाई में वो भी अपनी कमर हिलाने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी। अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और…..
“ओहहहहह राज! बहुत अच्छा लग रहा है। आआआआआहहहहहह जोओओओओर से चोदो... हाँ तेज और तेज ऊऊऊहहहहहह”
“बस दो चार धक्कों की देर है रा..आआ..ज जोर जोर से करो”, वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
उसकी चींखें सुन कर मैं भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो चली थी। पर मेरी दूसरी बारी थी इसलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था।
वो नीचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी, “हाँआँआँआँ ऐसे ही करो ओहहहहहह चोदो राज और जोर से... आआहहहहहह... मेरा छूटने वाला है”, उसकी सिसकरियाँ कमरे में गूँज रही थी।
मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था। हम दोनों पसीने में तर थे।
मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में मैंने अपना पानी उसकी चूत की जड़ों तक छोड़ दिया। मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया।
“ओह राज! तुम शानदार मर्द हो। काफी मज़ा आया... इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा... आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है”, वो बोली।
“क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या?” मैंने पूछा।
“चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं। वो टूर पर से थके हुए आते है, और जल्दी-जल्दी करते हैं। वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं”, उसने कहा।
करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैं एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों से खेल रहा था। कभी मैं उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकरी निकल पड़ती। उसमें भी गर्मी आने लग रही थी। वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी।
“ओह राज तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गयी है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना।” इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।
मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी... “ओह मा...आआआ...र डाला। राज जरा धीरे... तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।”
“अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा..., तुम डरो मत।” इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।
“हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहहहहह आआहहहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईईईईईईई”, उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।
वो पलट कर मेरे ऊपर आ गयी और बोली, “राज तुम बहुत अच्छे हो... ऑय लव यू।”
“मुझे भी तुम पसंद हो नीता”, मैंने कहा।
!!! क्रमशः !!!