07-06-2022, 06:16 PM
मैंने बियर पी लीं और नाश्ता करके बस में बैठ गया.
तभी ड्राइवर ने मुझसे कहा- सेठ जी, आप ऑफिस पर उतरोगे कि घर पर?
मैंने कहा- घर पर!
मैं एक कम्बल और तकिया लेकर सोने लगा.
हीर बैठी थी.
वहां से मुंबई का 6 घंटे का रास्ता था तो मुझे सुबह ऑफिस में बहुत काम रहता था.
मैंने हीर को अपने सोने का कहा और सोने लगा.
थोड़ी देर के बाद मेरी आंख लगने वाली थी कि मेरी नजर हीर पर पड़ी.
मुझे मालूम पड़ गया कि हीर को ठंड लग रही है.
मैंने हीर से कहा- तू ये कम्बल ले ले, मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही है.
हीर मना करने लगी.
मेरे जोर देने पर उसने कम्बल ले लिया और सोने लगी.
थोड़ी देर के बाद उसको समझ आ गया कि अब मुझे ठंड लग रही है तो उसने मुझसे कहा- भैया आप भी आ जाओ इसी कम्बल में.
मैंने मना किया और कहा- मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही, मैंने बियर पी हुई है न.
उसने हंस कर कहा- तीन बियर में ये ठंड नहीं जाएगी, मुझे मालूम है.
मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम कि इतनी बियर में ये ठंड नहीं जाएगी?
हीर हंसने लगी.
तभी मैं समझ गया कि हीर भी बियर पीती है.
अब हम लेटे हुए ही बातें करने लगे. मैंने उससे जोर देते हुए पूछा- तू झूठ बोल रही है, तू बियर पीती है, लेकिन बता नहीं रही.
उसने कहा कि आप किसी को कहोगे तो नहीं … तो मैं कहूं.
मैंने कहा- किसी को नहीं कहूंगा, सच बताओ.
उसने कहा कि जब आप गांव आते हैं, तब मैं और भाभी पीते हैं. उसके सिवा किसी के साथ कभी हाथ भी नहीं लगाया.
मैं भी चौंक गया. उसकी बात तो सही थी, लेकिन कभी मेरी बीवी ने मुझे बताया नहीं.
मैं तुरंत खड़ा हुआ बाहर गया और ड्राइवर को कहा कि आगे कोई भी होटल से मेरे लिए बीयर ले लेना.
ड्राइवर ने ओके कहा और होटल से उसने बियर लेकर मेरे केबिन में आकर मुझे दे दीं.
साथ में नमकीन भी लाकर दिया था.
मैंने और हीर ने पीना चालू कर दिया.
दोनों कुछ देर तक तक बीयर पीते रहे.
फिर मैंने उससे कहा- चलो अब सोते हैं.
इस वक्त तक मेरे लिए हीर की तरफ से कोई बुरा ख्याल नहीं था.
हम दोनों एक ही कम्बल में सोने लगे. एक दूसरे का मुँह सामने नहीं था, पीठ के बल सोए हुए थे.
कम्बल में एक दूसरे के पास होने की वजह से एक दूसरे की बॉडी टच हो रही थी. हम दोनों एक दूसरे का मुँह बिना देखे ही बातें भी कर रहे थे.
मैंने उससे सोने का कह दिया, लेकिन हम दोनों का दिल कुछ कुछ धड़कने लगा था.
मेरे दिमाग में अन्तर्वासना जागने लगी थी.
गाड़ी के हिलने की वजह से हमारे पिछवाड़े ज्यादा हिल और रगड़ रहे थे.
छोटे से गड्डे में भी बस गिरती तो ज्यादा हलचल हो रही थी.
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं कुछ आगे बढूँ, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका.
आधे घंटे के बाद मुझे लगा कि हीर सो गई है. मैंने करवट ली और मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर डाल दिया.
मैंने अपना हाथ यह सोचकर डाला था कि वो यदि नहीं सोई होगी तो कुछ बोलेगी. मैं बोल दूंगा कि मैं नींद में तुझे तेरी भाभी समझ रहा था … सॉरी.
मेरे हाथ डालने पर उसका कोई विरोध नहीं हुआ.
इससे मेरी हिम्मत थोड़ी और बड़ी और मैंने उसके बूब्स पर अपना हाथ डाल दिया.
एक दो पल रुकने के बाद मैं आहिस्ता आहिस्ता थोड़ा दबाने लगा.
अब भी उसकी कुछ प्रतिक्रिया नहीं आई तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने उसकी कुर्ती के अन्दर 4 उंगली डाल दीं.
एक मिनट ऐसे ही हाथ डाले रखा, जब
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने अपना हाथ और ज्यादा अन्दर जाने दिया.
उसका कोई विरोध ना होने के कारण मेरा साहस बढ़ता जा रहा था.
फिर मैं अपने दोनों हाथ अलग अलग करके उसके मम्मों पर लगाने लगा और दबाने लगा.
कमाल की बात थी कि उसका कोई विरोध नहीं हो रहा था.
मैं उसके पास एकदम सट कर सो गया और उसके गाल के पास मेरा मुँह लेकर आ गया.
उसका चेहरा एकदम ऊपर था. मैंने अपने होंठ उसके गाल के ऊपर लगा दी.
अब उसने अपना सर हल्के से घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
यह सब देख कर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये मुझे रेड सिगनल है या ग्रीन सिगनल है.
लेकिन बियर के नशे की वजह से और ठंड की वजह से मैं अपना आपा खोता जा रहा था.
मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा है.
फिर मैंने अपने होंठ यूं ही उसके होंठों के पास बनाए रखे. उसके होंठ मेरे होंठों से छू रहे थे.
तभी मुझे लगा ये अब उठ गई है. यह काफी कितने परसेंट मेरे फेवर में है, ये जानने के लिए उसके होंठों के पास मेरी जीभ निकाल कर होंठ पर लगा दी.
तभी ड्राइवर ने मुझसे कहा- सेठ जी, आप ऑफिस पर उतरोगे कि घर पर?
मैंने कहा- घर पर!
मैं एक कम्बल और तकिया लेकर सोने लगा.
हीर बैठी थी.
वहां से मुंबई का 6 घंटे का रास्ता था तो मुझे सुबह ऑफिस में बहुत काम रहता था.
मैंने हीर को अपने सोने का कहा और सोने लगा.
थोड़ी देर के बाद मेरी आंख लगने वाली थी कि मेरी नजर हीर पर पड़ी.
मुझे मालूम पड़ गया कि हीर को ठंड लग रही है.
मैंने हीर से कहा- तू ये कम्बल ले ले, मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही है.
हीर मना करने लगी.
मेरे जोर देने पर उसने कम्बल ले लिया और सोने लगी.
थोड़ी देर के बाद उसको समझ आ गया कि अब मुझे ठंड लग रही है तो उसने मुझसे कहा- भैया आप भी आ जाओ इसी कम्बल में.
मैंने मना किया और कहा- मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही, मैंने बियर पी हुई है न.
उसने हंस कर कहा- तीन बियर में ये ठंड नहीं जाएगी, मुझे मालूम है.
मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम कि इतनी बियर में ये ठंड नहीं जाएगी?
हीर हंसने लगी.
तभी मैं समझ गया कि हीर भी बियर पीती है.
अब हम लेटे हुए ही बातें करने लगे. मैंने उससे जोर देते हुए पूछा- तू झूठ बोल रही है, तू बियर पीती है, लेकिन बता नहीं रही.
उसने कहा कि आप किसी को कहोगे तो नहीं … तो मैं कहूं.
मैंने कहा- किसी को नहीं कहूंगा, सच बताओ.
उसने कहा कि जब आप गांव आते हैं, तब मैं और भाभी पीते हैं. उसके सिवा किसी के साथ कभी हाथ भी नहीं लगाया.
मैं भी चौंक गया. उसकी बात तो सही थी, लेकिन कभी मेरी बीवी ने मुझे बताया नहीं.
मैं तुरंत खड़ा हुआ बाहर गया और ड्राइवर को कहा कि आगे कोई भी होटल से मेरे लिए बीयर ले लेना.
ड्राइवर ने ओके कहा और होटल से उसने बियर लेकर मेरे केबिन में आकर मुझे दे दीं.
साथ में नमकीन भी लाकर दिया था.
मैंने और हीर ने पीना चालू कर दिया.
दोनों कुछ देर तक तक बीयर पीते रहे.
फिर मैंने उससे कहा- चलो अब सोते हैं.
इस वक्त तक मेरे लिए हीर की तरफ से कोई बुरा ख्याल नहीं था.
हम दोनों एक ही कम्बल में सोने लगे. एक दूसरे का मुँह सामने नहीं था, पीठ के बल सोए हुए थे.
कम्बल में एक दूसरे के पास होने की वजह से एक दूसरे की बॉडी टच हो रही थी. हम दोनों एक दूसरे का मुँह बिना देखे ही बातें भी कर रहे थे.
मैंने उससे सोने का कह दिया, लेकिन हम दोनों का दिल कुछ कुछ धड़कने लगा था.
मेरे दिमाग में अन्तर्वासना जागने लगी थी.
गाड़ी के हिलने की वजह से हमारे पिछवाड़े ज्यादा हिल और रगड़ रहे थे.
छोटे से गड्डे में भी बस गिरती तो ज्यादा हलचल हो रही थी.
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं कुछ आगे बढूँ, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका.
आधे घंटे के बाद मुझे लगा कि हीर सो गई है. मैंने करवट ली और मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर डाल दिया.
मैंने अपना हाथ यह सोचकर डाला था कि वो यदि नहीं सोई होगी तो कुछ बोलेगी. मैं बोल दूंगा कि मैं नींद में तुझे तेरी भाभी समझ रहा था … सॉरी.
मेरे हाथ डालने पर उसका कोई विरोध नहीं हुआ.
इससे मेरी हिम्मत थोड़ी और बड़ी और मैंने उसके बूब्स पर अपना हाथ डाल दिया.
एक दो पल रुकने के बाद मैं आहिस्ता आहिस्ता थोड़ा दबाने लगा.
अब भी उसकी कुछ प्रतिक्रिया नहीं आई तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने उसकी कुर्ती के अन्दर 4 उंगली डाल दीं.
एक मिनट ऐसे ही हाथ डाले रखा, जब
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने अपना हाथ और ज्यादा अन्दर जाने दिया.
उसका कोई विरोध ना होने के कारण मेरा साहस बढ़ता जा रहा था.
फिर मैं अपने दोनों हाथ अलग अलग करके उसके मम्मों पर लगाने लगा और दबाने लगा.
कमाल की बात थी कि उसका कोई विरोध नहीं हो रहा था.
मैं उसके पास एकदम सट कर सो गया और उसके गाल के पास मेरा मुँह लेकर आ गया.
उसका चेहरा एकदम ऊपर था. मैंने अपने होंठ उसके गाल के ऊपर लगा दी.
अब उसने अपना सर हल्के से घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
यह सब देख कर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये मुझे रेड सिगनल है या ग्रीन सिगनल है.
लेकिन बियर के नशे की वजह से और ठंड की वजह से मैं अपना आपा खोता जा रहा था.
मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा है.
फिर मैंने अपने होंठ यूं ही उसके होंठों के पास बनाए रखे. उसके होंठ मेरे होंठों से छू रहे थे.
तभी मुझे लगा ये अब उठ गई है. यह काफी कितने परसेंट मेरे फेवर में है, ये जानने के लिए उसके होंठों के पास मेरी जीभ निकाल कर होंठ पर लगा दी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
