Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
हीर(चचेरी बहन)
#2
मैं गांव छोड़कर मुंबई शहर में नौकरी के लिए आया था. मैं यहां ट्रैवलर्स के ऑफिस में नौकरी करने लगा था.

मेरा काम बुकिंग का था. बसों के आने जाने का सब काम भी मुझे ही देखना था.
इसके साथ ही ये भी संभालना होता था कि कहां से कितनी सवारी बैठी हैं और कहां से कितनी सवारी आ रही हैं.
हिसाब किताब से लेकर चैकिंग से लेकर सब कुछ मुझे ही करना होता था और यही मेरी जॉब थी.

मेरा गांव में मैं, मम्मी पापा और बहन थे. मेरे पापा और हम सभी लोग खेती का काम कर रहे थे.
लेकिन बाद में मैं अपनी पढ़ाई खत्म करके मुंबई नौकरी के लिए आ गया था.

इस नौकरी से मैंने काफी अनुभव प्राप्त कर लिया था और 4 साल नौकरी करने के बाद मुझे लगा कि यह धंधा करने के लायक है, लेकिन पैसा नहीं था.

हमारे गांव के अन्दर हाईवे रोड से लग कर हमारी अपनी जमीन थी, इसलिए मैंने बैंक से लोन मांगा और चौड़े रोड पर जमीन होने के कारण बैंक ने मुझे लोन से दिया.

कुछ सरकारी खानापूर्ति के कारण हमारी उस जमीन में से 6 फीट के करीब चली गई.
इसके एवज में भी सरकार ने हमको बहुत सारा पैसा मुआवजे के रूप में दिया.
इस तरह से काफी पैसा इकट्ठा हो गया था.

पापा ने मुझसे कहा- मैं तो खेती कर रहा हूं. मैं बिना कुछ जाने समझे ये बस ट्रैवल का काम नहीं कर सकूँगा. तुमको यदि कुछ करना है तो इसे पैसे से तू धंधा कर सकता है.
मैंने भी सोच लिया कि मैं अब खुद की गाड़ी खरीद लूंगा और खुद ही बस चलवा लूंगा.

मैंने 2016 में दो बस ले लीं और काम शुरू कर दिया.
मेरा व्यापार बहुत अच्छे से चलने लगा था.

मेरी बस मुंबई से मेरे गांव के आगे सिरपुर चोपड़ा से गुजरती थी. इस रूट पर आने-जाने में मेरी दोनों बसें चलने लगी थीं.

कुछ ही दिनों में मैं मुंबई में अच्छी तरह से सैटल हो गया था और मेरा बिजनेस भी सही से चल रहा था.
मेरी शादी भी हो गई.

मैं अपने माता पिता की एकलौता पुत्र होने के कारण गांव में और रिश्तेदारों में भी मेरा बहुत अच्छा सा वर्चस्व हो गया था.
सब लोग मुझे मानने भी लगे थे. छोटी उम्र में इतना सब हैंडल करने के लिए सब सब लोग मुझे एक काबिल इंसान समझने लगे थे.

मेरे गांव में मेरे ही घर के बाजू में एक रिश्ते के चाचा रहते थे.
उन चाचा के चार लड़कियां थीं और एक लड़का था. सब लड़कियां बड़ी थीं और लड़का सबसे छोटा था.

चाचा की लड़कियों में सबसे बड़ी का नाम सपना, दूसरी हीर, तीसरी वैशाली और चौथी का नाम माया था.

एक दिन चाचा का फोन आया- बेटा गांव में कामकाज एकदम बंद पड़ा है खेतीबाड़ी में भी कुछ सही से नहीं चल रहा है. मेरी लड़कियां बड़ी हो रही हैं. तुम चाहो तो अपनी दो बहन को किसी नौकरी पर लगवा दो, तो तेरा मुझ पर बड़ा अहसान रहेगा. मुझे थोड़ी मदद भी हो जाएगी.
मैंने चाचा से कहा- ठीक है चाचा, मैं कुछ सोचता हूँ और कुछ जुगाड़ लगाकर आपको फोन करता हूं.

वैसे तो मुझे काम करने वाले एक आदमी की जरूरत थी लेकिन लड़की के बारे में कभी सोचा नहीं था.
चाचा की बात सुनकर मुझे लगा कि चलो मेरी ही बहन है और ऑफिस में घर का आदमी होना अच्छी बात है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: हीर(चचेरी बहन) - by neerathemall - 07-06-2022, 06:16 PM



Users browsing this thread: